फलों से लदी, झरनों से भरी सिरमौर घाटी

Tripoto
1st Aug 2024
Photo of फलों से लदी, झरनों से भरी सिरमौर घाटी by Rajwinder Kaur

भारत का खुबसूरत राज्य हिमाचल प्रदेश का एक जिला सिरमौर है। सिरमौर का अर्थ होता है सबसे बड़ा, सबसे पहला। कुछ लोग सिरमौर को सिर का ताज भी कहते है। पहाड़ी भाषा में सिरमौर का मतलब तालाब के किनारे बना महल भी मानते है।
यह जिला टूरिस्ट में थोड़ा कम प्रसिद्ध है, क्योंकि ज्यादातर टूरिस्ट शिमला, मंडी जिलों में जाते है।
यह जिला अतिअन्त हसीन है। इस जिले की सबसे खास बात यह है, यहां पर फल बहुत होते है।  यह इलाका पूरा हरा भरा है। इस जिले में खुरमानी, आरू, आलू बुखारा, सेब जैसे फल होते है ।
यहां से आप इन सब फलों की पेटी भी लेकर आ सकते है।
इस जिले की पुरानी रयासत काफी प्रसिद्ध थी, यहां के राजे आस पास में बहुत प्रसिद्ध थे।
हिमाचल का यह जिला खुबसूरती के साथ साथ , पुरातन ईतिहास भी समाय हुए है।
कहा जाता सिरमौर जिले में नाहन के पास 85 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर और अन्य जानवरों के अवशेष पाए गए थे, जो नाहन के पास एक जीवाश्म पार्क में है।
सिक्ख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से भी इस सिरमौर जिले का संबंध रहा है।

सिरमौर जिले में देखने के लिए जो टूरिस्ट जगह है , वो निम्नलिखत है :
1. त्रिलोकपुर ग्राम
2. नाहन
3. रेणुका झील
4. पांवटा साहिब
5. राजगढ़
6. बरु साहिब

सभी जगह के रास्ते कुदरत के नज़ारों से भरपूर हैं । चलते चलते आप को कही झरने के बहते पानी की मधुर आवाज सुनाई देगी, कभी सड़क पर ही झरना दिखाई देगा। फलों से लदे पेड़ साथ साथ चलते दिखाई देगे।
अब इस जिले में देखने लाइक जगह के बारे में बात करते है ।

1. त्रिलोकपुर ग्राम :

चंडीगढ़ अंबाला हाईवे पर जाते समय आगे चल कर काला अंब नाम का कस्बा आता है, जो अपने वन्य क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है। काला अंब से 6 किलोमीटर की दूरी पर त्रिलोकपुर ग्राम आता है जहां दिव्यशक्ति धाम महामाया श्री बाला सुंदरी जी का मंदिर है। माता बाला सुंदरी जी को माता वैष्णो के बाल रूप में पूजा जाता है। सोलहवीं शताब्दी के सिरमौर रायासत के राजा प्रदीप परकाश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

2. नाहन :

नाहन शिवालिक की पहाड़ियां में सन् 1921 में बसाया शहर है। समुंदर तल से इस शहर की ऊंचाई 933 मीटर है।

नाहन को तालाबों का शहर भी कहा जाता है।
नाहन के रानी ताल के साथ सुबह सैर कर सकते है, शाम को बोटिंग का नज़ारा लिया जा सकता है। रानी ताल में एक शिव जी का मंदिर भी है। रानी ताल नाहन का दिल है। नाहन में बहुत सारे ताल है जिसमें पक्का ताल भी काफी प्रसिद्ध है।
नाहन में सभी धर्म के धार्मिक स्थल है, मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारा साहिब, चर्च।

नाहन पुराने सिरमौर की राजधानी भी हुआ करता था। सुंदर साफ शहर नाहन का नाम नाहर से बना है जिसका अर्थ होता है शेर। इस धरती पर पहले बहुत शेर होते थे।

नाहन से 21 किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक फॉसिल पार्क भी है। यहां पर पुराने अवशेष है। पुराने कंकाल भी है जानवरों के। यहां पर फॉसिल पर रिसर्च होती है।

नाहन में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित गुरुद्वारा साहिब दशमेश अस्थान है , जहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी 1685 में राजा मेदनी प्रकाश के कहने पर परिवार और अन्य सिक्खों के साथ आए थे और 8 महीने निवास किया था।

चंडीगढ़ से 85 किलोमीटर की दूरी पर है नाहन।

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3. रेणुका झील:

नाहन से लगभग 21 किलोमीटर पर है हिमाचल की प्रसिद्ध रेणुका झील। यह झील टूरिस्ट में काफी प्रसिद्ध है। नाहन से रेणुका का रास्ता घुमावदार तथा हरा भरा है, कही पुल आ जाते है, कही बल खाती नदी, कही झरने, कही खेत, कही पहाड़ी गांव ऐसे रास्ते में समय का पता ही नही चलता कब नाहन से रेणुका झील आ जाती है।
रेणुका झील हिमाचल प्रदेश की 3241 मीटर लगभग 3 किलोमीटर में फैली हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है जिसकी समुंदर तल से ऊंचाई 672 मीटर है।
रेणुका झील का अपना इतिहास है। रेणुका जी विष्णु के अवतार परशुराम की माता का नाम है ।परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षतियों से मुक्त कराया था। दंत कथा है  परशुराम की माता जी ने अपने पति यमदग्नी के शाप कारण झील का रूप धारण कर लिया था। रेणुका झील से कुछ आगे एक छोटा ताल है जिसे परशुराम ताल कहा जाता है। रेणुका में रेणुका माता और परशुराम के मंदिर विशेष है।
इस झील में मछली पकड़ना वर्जित है।
यहां बच्चों के लिए चिड़िया घर है जहा पर बब्बर शेर देख कर बच्चे खुश होते है, सफारी भी होती है ।
हर वर्ष नवंबर महीने में रेणुका माता जी का मेला लगता है। हजारों लोग आते है झील में एशनान करते है।

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4. पांवटा साहिब :

सिक्ख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चरण स्पर्श प्राप्त पांवटा साहिब यमुना नदी के तट पर बसा है । यह स्थान सिक्ख धर्म के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
कई वर्ष श्री गुरु गोबिंद सिंह जी यहां पर रहे थे, यहां पर ही दशमेश पिता जी के दरबार सजते थे, कवि दरबार लगते थे, बहुत सारे ग्रंथ भी इसी पवित्र भूमि पर लिखे गए।
अब इसी जगह पर काफी बड़ा गुरुद्वारा साहिब शशोभित है। यमुना नदी के तट पर बसा है यह गुरुद्वारा साहिब।
संगत यमुना में एस्नान भी करती है। जब यमुना में पानी कम होता है तब इसे चल कर भी लोग पार करते दिखाई देगे। । यहां पर यमुना काफ़ी बड़ी नजर आती है।
गुरुद्वारा साहिब के परसर तक यमुना का पानी आ जाता है।
रहने के लिए कमरे गुरुद्वारा साहिब में मिल जाते है।
पांवटा साहिब में वाइल्डलाइफ सेंचुरी पार्क भी है। नेशनल पार्क भी है।
रेणुका झील से पांवटा साहिब सिर्फ 35 किलोमीटर की दूरी पर है।

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5. राजगढ़ :

1555 मीटर की ऊंचाई पर बसा राजगढ़ हिमाचल के सिरमौर जिले का खूबसूरत हिल स्टेशन है।
पीच आरु वैली के नाम से जाना जाता है राजगढ़।
यहां के फल बहुत प्रसिद्ध है। अपने सेब, आलू बुखारा, खुरमानी के लिए जाना जाता है राजगढ़।
हरे भरे जंगलों से गिरा है राजगढ़।
यहां की प्राकृतिक सुंदरता मन खुश कर देती है। रास्ते में आते झरने सफ़र की थकावट को दूर कर देते है।
शहर के ट्रैफिक और भीड़ भाड़ से बचने से बचने के लिए राजगढ़ उत्तम जगह है जो प्रकृति के सौंदरीह से भरी है।
राजगढ़ में काफी मंदिर भी है।
कुदरती सुंदरता के साथ साथ धार्मिक महत्व भी है राजगढ़ का ।

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6. बरु साहिब :

बरु साहिब सिर्फ गुरुद्वारा साहिब ही नही है एक विद्यालय है जहां पर गुरमत की विद्या के साथ साथ स्कूल की विद्या भी देते है। हॉस्टल भी है बच्चों के लिए।
यहां पर भोरा साहिब बना है, वहा पर तपस्या की गई थी। सरदार अतर सिंह ने बहुत तपस्या की थी। बहुत सारे संत ने इसी जगह पर ध्यान लगाया था।
अब यहां पर विद्यालय बना है।
बरु साहिब के आस पास बहुत सुंदर प्राकृतिक दृश्य है, झरने है। विद्या का माहौल है।

ऐसे में आप भी आ सकते है सिरमौर घाटी को देखने । कुदरत के नजारों को देखने कुछ पल सकून के गुजारने के लिए कभी आए सिरमौर जिले में।

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