वड़ोदरा गुजरात का तीसरा सबसे बड़ा शहर है| वड़ोदरा को पहले बडोदा के नाम से भी जाना जाता था| वड़ोदरा नाम के पीछे कहा जाता है कि किसी समय इस क्षेत्र में बहुत सारे वट वृक्ष (वड) हुआ करते थे जिस वजह से यह नाम पड़ गया| वड़ोदरा को गुजरात की संस्कारित राजधानी भी कहा जाता है| गायकवाड़ मराठों ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया| वड़ोदरा विश्वामित्री नदी के किनारे पर बसा हुआ है| मराठा जरनैल पिला जी राओ गायकवाड़ ने 1721 ईसवीं में मुगलों से इस जगह को जीता था| वड़ोदरा शहर का स्वर्ण काल महाराजा सायाजी राओ गायकवाड़ तीसरे (1875-1939 ) के राज्यकाल को कहा जाता है| उनके राज्य में ही बडोदा कालेज बना जिसको बाद में यूनिवर्सिटी में तब्दील कर दिया गया| अगर आप गुजरात घूमने आ रहे हैं तो आपको वड़ोदरा भी घूमना चाहिए| वड़ोदरा में आप खूबसूरत पैलेस, मंदिर, गार्डन मयुजियिम आदि देख सकते हैं|
लक्ष्मी विलास पैलेस वड़ोदरा
वड़ोदरा शहर का यह खूबसूरत पैलेस 700 एकड़ क्षेत्र में बना हुआ है| यह विश्व का सबसे बड़ा प्राईवेट पैलेस है| लक्ष्मी विलास पैलेस इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस से चार गुना बढ़ा हैं| इस खूबसूरत पैलेस का निर्माण 1890 ईसवीं में पूरा हुआ | इस पैलेस के निर्माण के ऊपर उस समय 27 लाख रुपये का खर्च आया था| टूरिस्ट्स के लिए पैलेस का कुछ क्षेत्र ही खुला है| इस खूबसूरत पैलेस में आप दरबार हाल, एलीफेंट रुम आदि देख सकते हो| पैलेस के अंदर प्रवेश के लिए आपको 250 रुपये का भुगतान देना पड़ेगा| लक्ष्मी विलास पैलेस का नाम लक्ष्मी नाम की रानी के ऊपर रखा गया है| अगर आप वड़ोदरा घूमने आए तो लक्ष्मी विलास पैलेस जरूर देखें|
महाराजा फतेह सिंह मयुजियिम
यह वड़ोदरा शहर का शानदार मयुजियिम है| इस मयुजियिम का नाम महाराजा फतेह सिंह के नाम पर पड़ा है| इस खूबसूरत मयुजियिम को 1961 ईसवीं में नवाब मेंहदी नवाज़ जंग जो गुजरात के गवर्नर थे ने उदघाटन किया| इस मयुजियिम में आप फोटोग्राफी नहीं कर सकते| इस खूबसूरत मयुजियिम के अंदर हथियार, चित्र, पेंटिंग आदि देख सकते हो| यह मयुजियिम सुबह 10 बजे से लेकर 5.30 बजे तक खुलता है| इस मयुजियिम को देखने के लिए 150 रुपये टिकट लेनी पड़ती है|
सायाजी बाग वड़ोदरा
वड़ोदरा में बना हुआ सायाजी बाग पश्चिम भारत का सबसे बड़ा गार्डन है| सायाजी बाग 90 एकड़ में फैला हुआ है| इस बाग में 100 से ज्यादा किस्मों के पेड़ देखने के लिए मिलेगें| इस खूबसूरत बाग में आप सरदार पटेल पलेनीटेरियम, साया बाग चिड़ियाघर, वड़ोदरा मयुजियिम, पिक्चर गैलरी आदि जगहों को देख सकते हैं| सायाजी बाग में आप उस लड़के के बुत को जरूर देखना जिसने सायाजी महाराजा की जान बचाई थी जब वह शिकार खेलने के लिए गए थे|
वड़ोदरा मयुजियिम और पिक्चर गैलरी
इस खूबसूरत मयुजियिम की ईमारत का निर्माण 1894 ईसवीं में लंदन के एलबर्ट मयुजियिम की तरज पर किया गया था| सायाजी गायकवाड़ तीसरे महाराज ने पिक्चर गैलरी को 1921 में खुलवाया था| इस मयुजियिम में सिक्के, संगीत के साज, मिस्र की ममी और 23000 के लगभग किताबें और नीली वेल मछली का पिंजर जो 22 मीटर का रखा गया है|
पिक्चर गैलरी में यूरोपीयन ओयल पेंटिंग जो ब्रिटिश कलाकारों ने बनाई है संभाल कर रखी है| इसकी टिकट मात्र 10 रुपये है| इसके खुलने का समय 10.30 बजे सुबह से लेकर शाम तक 5.00 बजे तक है|
EME टैंपल
यह खूबसूरत मंदिर एक आर्मी कैंपस में बना हुआ है| इसके पास एक पंचवटी है (पांच वट के वृक्ष) | इसका निर्माण 1965 ईसवीं में किया गया था ब्रिगेडियर Eugene द्वारा | इसका डिजाइन एक यूनीक तरीके का है| इसके निर्माण में एलमूनियिम मेटल का उपयोग हुआ है| वड़ोदरा में आए तो इस खूबसूरत मंदिर के दर्शन जरूर करना|
सुर सागर झील
वड़ोदरा शहर के बीच एक चंदन तालाब था जिसका नाम बदलकर सुर सागर रख दिया गया है| सुर सागर का नाम सुरेश्वर देसाई के नाम पर पड़ा जो एक टैक्स कलेक्टर थे जिन्होंने 1757 ईसवीं में इस तालाब को खुदवाया था| अब इस खूबसूरत झील के बीच भगवान शिव का 120 फीट का बुत लगा हुआ है| शाम को जब सुर सागर झील की लाईटे जगती है तो पूरा क्षेत्र जगमग करता है|
तांबे कर वाडा
यह बडौदा राज्य के दीवान भाऊ तांबेकर का निवास स्थान था| यह जगह लगभग 140 साल पुरानी है| इस खूबसूरत स्थान में 19 वीं शताब्दी की चित्र कला को प्रदर्शित किया गया है जो तीन मंजिला इस मकान में संभाल कर रखे गए हैं| यह मराठा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है| यह चार मंजिला लकड़ी की हवेली है|
वड़ोदरा कैसे पहुंचे- वड़ोदरा गुजरात का एक प्रमुख शहर है| वड़ोदरा रेल मार्ग से भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| आप रेल द्वारा वड़ोदरा पहुँच सकते हो| गुजरात और आसपास के राज्यों से आप बस से भी वड़ोदरा पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको वड़ोदरा में हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|