मध्यप्रदेश में शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ उज्जैन भारत का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है| उज्जैन का नाम 12 जयोतिलिंगो में भी आता है| उज्जैन हिन्दू धर्म के सप्त पुरियों में भी शामिल हैं| यह भारत के सात पवित्र शहर है - हरिद्वार, अयोध्या, मथुरा, काशी, कांचीपुरम, द्वारका और उज्जैन | उज्जैन को अविंतका नगरी भी कहा जाता है| ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में इस नगरी में एक धर्मात्मा ब्राह्मण रहता था| दूषण नाम के एक राक्षस ने इस नगर को घेरकर लोगों को त्रस्त करना आरंभ कर दिया| लोग उस ब्राह्मण की शरण में गए| ब्राह्मण ने भगवान शिव का तप किया | उसके तप से प्रसंन होकर भगवान महाकाल प्रकट हुए और उस राक्षस का संहार किया| भक्तों ने भगवान शिव से प्रार्थना की और महाकाल जी ने उज्जैन में ही निवास कर लिया| भगवान महाकाल ज्योतिर्लिंग के रुप में स्थापित हो गए| उज्जैन शहर एक धार्मिक स्थल है| यहाँ पर बहुत सारे धार्मिक मंदिर है जो दर्शनीय है|
महाकालेश्वर मंदिर
इस मंदिर का नाम भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में आता है| मुख्य मंदिर के मार्ग में अंधेरा रहता है| इस मंदिर में भगवान शिव शिवलिंग के रुप में विराजमान है| लिंग मूर्ति विशाल है इस मंदिर में दर्शन करने के लिए पूरे भारत से श्रदालु आते हैं| महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती पूरे देश में प्रसिद्ध है| मुझे भी 2014 में मध्यप्रदेश यात्रा में इस आलौकिक मंदिर के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था|
उस समय भी इस मंदिर में बहुत भीड़ थी| तीन चार घंटे लाईन में लगकर मैंने दर्शन किए थे|
हरसिद्धि मंदिर उज्जैन
यह उज्जैन का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है| एक पुरातन कथा के अनुसार भगवान शिव कैलाश में एक बार अपनी पत्नी गौरी के साथ पासा खेल रहे थे| चंड और प्रचंड नाम के दो असुरों ने उनके खेल में बाधा डाली और नंदी को घायल कर दिया| भगवान शिव ने देवी का धयान किया और उन राक्षसों का संहार करने की प्रार्थना की| भगवती ने प्रकट होकर हर का कार्य सिद्ध किया| इसी कारण उन्हें हरसिद्धि कहा जाता है| हरसिद्धि सम्राट विक्रमादित्य की कुल देवी थी| यहाँ सती की केहुनी गिरी थी| उज्जैन में दर्शन करने के लिए आए श्रदालु इस मंदिर में भी आते है|
महाकाली गढ़ कालिका मंदिर
यह भी उज्जैन का प्रसिद्ध मंदिर है| ऐसा माना जाता है कि महाकवि कालिदास भी इस मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते थे| इस मंदिर में कालिका माता की प्राचीन मूर्ति बनी हुई है|
भर्तृहरि गुफा
यह एक संकरी गुफा है| इसमें प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं जिसको भर्तृहरि की समाधि कहा जाता है| पार्किंग से कुछ दूर चलकर आपको सीढ़ियों से उतरकर एक ग्राऊंड आता है| इस गुफा मे शिवलिंग बना हुआ है| लोग कहते हैं कि इस गुफा का संबंध गोरखनाथ जी से भी है| भर्तृहरि जी ने यहाँ पर 25 वर्ष तक तपस्या की थी|
सिद्ध वट उज्जैन
यह एक प्राचीन वटवृक्ष है जिसको सिद्ध वट के नाम से जाना जाता है| यह शिप्रा नदी के किनारे पर स्थित है| यह आकार में छोटा है| श्रदालु इस जगह पर भी आते हैं| ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष को माता पार्वती ने लगाया था| ऐसा कहते हैं यह वृक्ष अमर है |
बड़ा गणेश मंदिर
मुख्य मंदिर के पास ही गणेश जी का मंदिर है| इस मंदिर में बड़े गणेश जी की आधुनिक बहुत सुंदर मूर्ति स्थापित है| इस मंदिर में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति भी बनी हुई है|
उज्जैन कैसे पहुंचे
उज्जैन देश के सभी राजमार्ग से जुड़ा हुआ है| यहाँ का नजदीकी हवाई अड्डा इंदौर है जो उज्जैन से 53 किलोमीटर दूर है| आप सीधे रेलवे मार्ग से भी उज्जैन पहुंच सकते हो| उज्जैन बस मार्ग से भी आ सकते हो मध्यप्रदेश के सभी शहरों से आप बस से उज्जैन आ सकते हो| रहने के लिए आपको उज्जैन में बहुत सारी धर्मशाला और होटल आदि मिल जाऐंगे|