पहाड़ की चोटियों से आसामन के रंग-बिरंगे तारों को देखना रोमांचक एहसास से भर देता है। ग्रह-नक्षत्रों में रुचि रखने वाले लोग अपनी इस चाहत को पूरा करने के लिए दुनियाभर में घूमते हैं और आसमान की खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद करते हैं। देश में लेह लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर की चोटियां एस्ट्रो टूरिज्म के लिए सबसे बेहतर जगहें मानी जाती हैं। अब इसमें उत्तराखंड का भी नाम जुड़ चुका है।
क्या होता है 'एस्ट्रो टूरिज़्म'
आर्टिफिशियल लाइट, प्रदूषण और शोर से दूर तारे देखने का लुत्फ उठाना अब 'एस्ट्रो टूरिज्म' कहलाता है। ट्रेवल एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत के घूमने-फिरने के शौकीन लोगों के बीच इस तरह का टूरिज्म बहुत तेजी पकड़ रहा है जिसमें सितारे देखना, सूरज की ऑब्सेर्वशन्स, दोस्तों के साथ स्टार्गेजिंग पार्टीज, साइंस के एक्सपेरिमेंटल एक्टिविटीज और भी बहुत सी चीजें शामिल हैं।
उत्तराखंड में कहाँ हो रहा है इसका निर्माण?
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने एक एस्ट्रो-टूरिज्म कंपनी स्टारस्केप्स के साथ मिलकर काम करने के लिए नक्षत्र सभा शुरू की है, जो एक व्यापक खगोल-पर्यटन अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से एक प्रमुख पहल है। मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट से जून की शुरुआत में शुरू होने वाली नक्षत्र सभा 2025 के मध्य तक चलेगी, जिसमें उत्तराखंड में इमर्सिव इवेंट होंगे। ये आयोजन उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, नैनीताल और चमोली जैसे जिलों में संभावित नाइट स्काई साइटों का पता लगाएंगे, जो क्षेत्र के विशेषज्ञों के नेतृत्व में शैक्षिक सेमिनार और वेबिनार द्वारा पूरक होंगे।
उत्तराखंड में एस्ट्रो टूरिज्म डेस्टिनेशन बड़ी संख्या में हैं। नक्षत्र सभा भारत में इस तरह का पहला एस्ट्रो टूरिज्म अभियान है। इसका उद्देश्य दुनिया भर से लोगों को यहां आमंत्रित करना है। उन्हें उत्तराखंड की अनूठी विरासत की झलक दिखाने के साथ साथ ब्रह्मांड के जादू का अनुभव करने और इस तरह के कई और अभियानों की मेजबानी करने को उत्सुक हैं। जो उत्तराखंड को वैश्विक एस्ट्रो टूरिज्म मानचित्र पर ला सकते हैं।
ये स्टार गेजिंग सेंटर ना सिर्फ पर्यटकों को आसमान की सैर करायेगा, बल्कि देश विदेश के लोगों के लिये शोध सेंटर के तौर पर भी विकसित होगा। इसके बनने से स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा तो पलायन को रोका जा सकेगा।