आंध्र प्रदेश में बौद्ध धर्म से संबंधित बहुत सारी जगहें है| अगर आप आंध्र प्रदेश घूमने जाते हो तो आप इन जगहों की यात्रा भी कर सकते हैं| इसमें आप बौद्ध स्तूप, राक कट गुफाएं, बौद्ध मठ आदि को देख सकते हो| इस पोस्ट में हम आंध्र प्रदेश की बौद्ध धर्म से संबंधित जगहों के बारे में जानेगे|
नागार्जुनकोंडा आंध्र प्रदेश का एक ईतिहासिक शहर है| कोंडा का अर्थ होता है हिल| यह भारत के बौद्ध स्थलों में से एक है| नागार्जुनकोंडा नागार्जुन सागर के पास एक खूबसूरत द्वीप है| इस जगह को श्री पर्वत भी कहते हैं| यह खूबसूरत जगह गंटूर शहर से 145 किलोमीटर दूर है| यहाँ पर आपको ईंटों के ऊपर ईटों को जोड़कर बनाई हुई बौद्ध मठ और चैत्य आदि देखने के लिए मिलेगें| नागार्जुनकोंडा में एक शानदार मयुजियिम भी बना हुआ है जिसमें महात्मा बुद्ध का खूबसूरत बुत रखा हुआ है|
बोजन्नाकोंडा आंध्र प्रदेश में एक पहाड़ी पर बौद्ध धर्म से संबंधित गुफाएं है| ऐसा माना जाता है कि यह गुफाएं चौथी और नौंवी शताब्दी के बीच की बनाई गई है| बोजन्नाकोंडा का मूल नाम बुदिना कोंडा है| विशाखापट्टनम से इस जगह की दूरी 41 किलोमीटर है| यह जगह एक ईतिहासिक बौद्ध स्थान है| पत्थर की चट्टान को काट कर महात्मा बुद्ध की मूर्ति बनाई हुई है|
उंडवल्ली गुफाएं
यह खूबसूरत राक कट गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित है| आंध्र प्रदेश के गंटूर से 22 किलोमीटर दूर उंडवल्ली में है| ऐसा माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण चौथी से छठी शताब्दी के बीच हुआ है| ये गुफाएं भगवान नरसिम्हा को समर्पित है| बौद्ध भिक्षु इसको रेस्ट हाऊस के रूप में इस्तेमाल करते थे| यहाँ पर कुल 64 गुफाएं बनी हुई है|बौद्ध धर्म से संबंधित यह खूबसूरत गुफाएं दर्शनीय है|
आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप
अमरावती महा स्तूप
आंध्र प्रदेश में बौद्ध संसकृति का केंद्र रहा है अमरावती | अमरावती के पास ही आंध्र प्रदेश की प्रसतावित राजधानी को बजाया जा रहा है| अमरावती कृष्णा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है| अमरावती आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर से 40 किलोमीटर और गंटूर से 30 किमी दूर है| आंध्र प्रदेश की प्रसतावित राजधानी भी अमरावती के पास बन रही है | अमरावती में देखने के लिए अमरावती का महा स्तूप, पुरातत्व विभाग का संग्रहालय, धयान बुद्धा की मूर्ति और अमरेशवर शिव मंदिर है | अमरावती मेरे मन काफी समय से घूम रहा था |
अमरावती महा स्तूप - अमरावती में एक विशाल स्तूप है जो आन्ध्र प्रदेश का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है| इस विशाल स्तूप को दूसरी शताब्दी ई. पू. में बनाया गया| इसके बाद आंध्र प्रदेश के सातवाहन राजाओं ने
इस स्तूप के चारों ओर संगमरमर की बाड़ बनवाई | सातवाहन राजाओं ने संगमरमर की शिलायों पर चित्र भी अंकित किए| समय के साथ अमरावती के स्तूप की लूट भी हुई जिससे इसकी मूर्तियां नष्ट भी हुई| अमरावती में पाई जाने वाली मूर्तियों में अनेक विशेषताएं हैं|इन मूर्तियों में इनके भावों का सुंदर चित्रण किया गया है| छह फुट की खड़ी मूर्तियां बहुत ही गंभीर भावना से भरी हुई है| हरेक मूर्ति को बनाने के लिए कलाकारों ने अपनी कला को प्रदर्शित किया है| अमरावती का विशाल स्तूप कला का अद्भुत नमूना है| मैंने भी अमरावती स्तूप के द्वार पर पहुँच कर टिकट ली और इस विशाल स्तूप की खूबसूरती को निहारा| हालांकि यह स्तूप अब काफी ढह चुका है फिर भी इसकी विशालता महान है| मैंने इस विशाल स्तूप की प्ररिक्र्मा की | इस विशाल स्तूप की खूबसूरती को बारीकी से देखा| कुछ देर बैठ कर इसकी विशालता को अनुभव किया |
अमरलिंगेश्चर मंदिर - यह खूबसूरत मंदिर कृष्णा नदी के तट पर भगवान शिव को समर्पित है| यह मंदिर द्राविड़ शैली में बना हुआ है| यह खूबसूरत मंदिर उस बिंदु के ऊपर बना हुआ है जहाँ नदी अपना मार्ग बदलती है| मैं भी इस मंदिर के दर्शन करने के लिए गया| मंदिर का वातावरण बहुत शांत था |
पुरातत्व विभाग संग्रहालय - अमरावती में पुरातत्व विभाग संग्रहालय बना हुआ है| इसकी देखरेख भारत का पुरातत्व विभाग करता है| अमरावती यात्रा के दौरान मुझे इस संग्रहालय में भी जाने का मौका मिला| इस खूबसूरत संग्रहालय में अमरावती में मिली पुरातन मूर्तियों को संभाल कर रखा हुआ है जो देखने लायक है| यह संग्रहालय सुबह 10 बजे से लेकर शाम को 5 बजे तक खुला रहता है| हर शुक्रवार को यह संग्रहालय बंद रहता है|