नारकंडा हिमाचल प्रदेश का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो शिमला से 65 किलोमीटर दूर हिंदुस्तान- तिब्बत रोड़ पर बसा हुआ एक पहाड़ी कस्बा है| नारकंडा की समुद्र तल से ऊंचाई 2708 मीटर है जो शिमला से ज्यादा ऊंचाई पर बसा हुआ है| अगर आप सर्दी में पहाड़ों पर बर्फ देखना चाहते हो तो नारकंडा आपके लिए बहुत बढ़िया जगह है|जो लोग शिमला की भीड़ से तंग आ गए है और शिमला जैसा ही कोई खूबसूरत हिल स्टेशन ढूंढ रहे है तो नरकंडा उनके लिए सही जगह है। नरकंडा की ऊंचाई 2708 मीटर हैं। नरकंडा अपने खूबसूरत दृश्यों के लिये मशहूर हैं। यहाँ से हाटू पीक दिखाई देती हैं जो नरकंडा से 8 किमी दूर हैं। हम जब नरकंडा पहुंचे तो हमनें होटल में रूम लिया और हाटू पीक जाने का प्रोग्राम बनाया। नरकंडा के बाजार में एक रेस्टोरेंट में चाय और सनेकस खाए।
तानी जुब्बर झील नारकंडा से 12 किमी और थानेदार से 8 किमी दूर हैं। यह जगह नारकंडा- थानेदार रोड़ से 2 किमी दूर हटकर हैं। यह झील अपने खूबसूरत दृश्यों से मन मोह लेती हैं। जब हम यहाँ पहुंचे थे तो झील पर कोई भी नहीं था। अभी भी यह खूबसूरत झील पर्यटकों से अछूती हैं। हम शाम को इस झील पर पहुंचे थे। झील के किनारे पर नाग देवता का एक मंदिर है, जो बंद था। झील में दिखने वाला बादलों का प्रतिबिंब बहुत खूबसूरत लगता है, आप पोस्ट में डाली हुई फोटो में झील की खूबसूरती और झील में बादलों का प्रतिबिंब देख सकते हो। हमनें झील पर एक घंटा बिताया और नारकंडा की ओर वापसी कर दी।
हमनें हाटू पीक जाने का मन बनाया। हाटू पीक की ऊंचाई 3300 मीटर हैं। नारकंडा से हाटू पीक 8 किमी दूर है। आप हाटू पीक पैदल भी जा सकते हो, अपने वाहन जैसे गाड़ी या बाईक से भी जा सकते हो। हाटू पीक शिमला और किनौर के बीच में सबसे ऊंची जगह है। हाटू पीक में माता हाटूकेशवरी देवी का मंदिर बना हुआ है। हमनें भी अपनी गाड़ी निकाल ली, हाटू पीक की ओर, नारकंडा से थोड़ी दूर जाकर हाईवे से हट कर थानेदार की तरफ मुडकर आगे बढे़ तो सामने एक संकरी सी सड़क ऊपर जाती हुई दिखाई दी, यही तंग और पतली रोड़ हाटू पीक कीओर जाती हैं। यहाँ अपनी गाड़ी पर जाने के लिए दिल होना चाहिए और पहाड़ों पर डराईविंग का तजुर्बा भी होना चाहिये। यह रोड़ इतना तंग है कि सामने से अगर कोई गाडी़ आ जाए तो करौस नही कर सकती दोनो गाड़ियां। हम बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, सामने से एक गाड़ी आ गई तो बडी़ मुश्किल से गाड़ी बैक करके
उसको रास्ता दिया, नारकंडा से हाटू तक बरफ ही बरफ थी। जब हम नारकंडा से 5 किमी दूर आ गए तो एक गाड़ी वाले ने हमें बताया आप अपनी गाड़ी को यही पार्क करके आगे पैदल ही जाऔ, कयोंकि आगे जाम भी लगा हुआ है और लोगों की गाडिय़ां भी बरफ के ऊपर फिसल रही हैं। हमनें उस भले आदमी की बात मानकर गाडी़ साईड पर लगा दी बाकी 3 किमी हमनें पैदल यात्रा करके हाटू पीक पर पहुंचे। यहां माता हाटूकेशवरी का भव्य मंदिर बना हुआ हैं जो पूरा लकड़ी से बना हुआ है,
हमनें मंदिर के दर्शन किए। मन आनंदित हो गया।
गुजरात से आए हुए मेरे स्टूडेंट पहाड़ों पर बर्फ देखना चाहते थे| हिमाचल प्रदेश में शिमला तक हमें बिलकुल भी बर्फ देखने के लिए नहीं मिली लेकिन जैसे ही हम कुफरी और फागू से थोड़ा आगे बढ़े तो हाईवे पर साथ साथ हमें थोड़ी बर्फ देखने के लिए मिली| फिर हम नारकंडा पहुंचे तो तापमान 1 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया था| ठंड बहुत लग रही थी लेकिन बर्फ देखकर मन रोमांचक हो रहा था| फिर मैंने गाड़ी को नारकंडा से थानेदार वाली रोड़ की ओर मोड़ दिया| इस रास्ते पर हमें पहाड़ों पर पड़ी हुई बर्फ काफी मात्रा में दिखाई देने लगी| अब मेरे स्टूडेंट गाड़ी रोकने के लिए बोलने लगे| जैसे ही मैंने गाड़ी रोकी तो स्टूडेंट बर्फ के पहाड़ों पर चढ़ जाते हैं| गाने गाते हुए नाचने लगते हैं| गुजरात के स्टूडेंट ने जिंदगी में पहली बार बर्फ देखी थी पहाड़ों पर तो वह जयादा रोमांचित हो रहे थे| हम सब एक दूसरे के साथ बर्फ से खेलने लगे| तभी मौसम थोड़ा खराब हो गया और ऊपर से बर्फबारी शुरू हो गई| ऐसा लग रहा था कि जैसे वक्त थम गया हो| मैंने जिंदगी में बस दो बार ही बर्फबारी होती हुई देखी है| पहली बार फरवरी 2012 में कुफरी में और दूसरी बार मार्च 2024 में नारकंडा में| काफी समय नारकंडा में बर्फबारी का मज़ा लेने के बाद हम आगे बढ़ जाते हैं|
नारकंडा में बर्फबारी का मज़ा लेने के बाद हम नारकंडा में स्कीइंग का आनंद लेना चाहते थे| बर्फ के ऊपर जो खेल कूद किया जाता है उसको स्कीइंग कहा जाता है| भारत में कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही स्कीइंग का मज़ा लिया जाता है जैसे गुलमर्ग, औली, मनाली, नारकंडा, कुफरी आदि| नारकंडा से कोई सात किलोमीटर दूर सिद्धपुर नामक जगह पर विंटर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है| सड़क के किनारे पड़ी हुई बर्फ को देखते हुए हम सिद्धपुर पहुँच गए| वहाँ हमने एक व्यक्ति से 1000 रुपये में स्कीइंग करने की बात तय कर ली| 500 रुपये और देकर हमने बर्फ से बचने के लिए नये कपड़े पहन लिये और बर्फ पर पहनने वाले जूते भी| हम दो लोग स्कीइंग करने के लिए चल पड़े| साथ में हमारे गाईड था| सबसे पहले हम एक बर्फीले पहाड़ पर चढ़ जाते हैं| वहाँ पर दो सटिक के ऊपर अपने जूते लाक कर देते हैं| फिर गाईड हमें स्कीइंग कैसे करते हैं सिखाता है| शुरू शुरू में हम बर्फ के ऊपर गिरते हैं| बर्फ के ऊपर गिरने का भी अपना अलग नजारा है| ऊपर से बर्फबारी भी हो रही थी मेरे तो हाथ जमने लगते हैं| गाईड ने मेरे हाथों पर एक करीम लगाई और बोला जोर से अपने हाथों को मसलना शुरू कर दो| फिर मेरे हाथ थोड़े गर्म हो जाते हैं| फिर हम अगले आधे घंटे तक बर्फ पर स्कीइंग का नजारा लेते रहे| सचमुच जिंदगी के वह पल शानदार पल बन गए|
नारकंडा में बर्फबारी का मज़ा लेने के बाद हम नारकंडा में स्कीइंग का आनंद लेना चाहते थे| बर्फ के ऊपर जो खेल कूद किया जाता है उसको स्कीइंग कहा जाता है| भारत में कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही स्कीइंग का मज़ा लिया जाता है जैसे गुलमर्ग, औली, मनाली, नारकंडा, कुफरी आदि| नारकंडा से कोई सात किलोमीटर दूर सिद्धपुर नामक जगह पर विंटर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है| सड़क के किनारे पड़ी हुई बर्फ को देखते हुए हम सिद्धपुर पहुँच गए| वहाँ हमने एक व्यक्ति से 1000 रुपये में स्कीइंग करने की बात तय कर ली| 500 रुपये और देकर हमने बर्फ से बचने के लिए नये कपड़े पहन लिये और बर्फ पर पहनने वाले जूते भी| हम दो लोग स्कीइंग करने के लिए चल पड़े| साथ में हमारे गाईड था| सबसे पहले हम एक बर्फीले पहाड़ पर चढ़ जाते हैं| वहाँ पर दो सटिक के ऊपर अपने जूते लाक कर देते हैं| फिर गाईड हमें स्कीइंग कैसे करते हैं सिखाता है| शुरू शुरू में हम बर्फ के ऊपर गिरते हैं| बर्फ के ऊपर गिरने का भी अपना अलग नजारा है| ऊपर से बर्फबारी भी हो रही थी मेरे तो हाथ जमने लगते हैं| गाईड ने मेरे हाथों पर एक करीम लगाई और बोला जोर से अपने हाथों को मसलना शुरू कर दो| फिर मेरे हाथ थोड़े गर्म हो जाते हैं| फिर हम अगले आधे घंटे तक बर्फ पर स्कीइंग का नजारा लेते रहे| सचमुच जिंदगी के वह पल शानदार पल बन गए|
नारकंडा में बर्फबारी का मज़ा लेने के बाद हम नारकंडा में स्कीइंग का आनंद लेना चाहते थे| बर्फ के ऊपर जो खेल कूद किया जाता है उसको स्कीइंग कहा जाता है| भारत में कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही स्कीइंग का मज़ा लिया जाता है जैसे गुलमर्ग, औली, मनाली, नारकंडा, कुफरी आदि| नारकंडा से कोई सात किलोमीटर दूर सिद्धपुर नामक जगह पर विंटर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है| सड़क के किनारे पड़ी हुई बर्फ को देखते हुए हम सिद्धपुर पहुँच गए| वहाँ हमने एक व्यक्ति से 1000 रुपये में स्कीइंग करने की बात तय कर ली| 500 रुपये और देकर हमने बर्फ से बचने के लिए नये कपड़े पहन लिये और बर्फ पर पहनने वाले जूते भी| हम दो लोग स्कीइंग करने के लिए चल पड़े| साथ में हमारे गाईड था| सबसे पहले हम एक बर्फीले पहाड़ पर चढ़ जाते हैं| वहाँ पर दो सटिक के ऊपर अपने जूते लाक कर देते हैं| फिर गाईड हमें स्कीइंग कैसे करते हैं सिखाता है| शुरू शुरू में हम बर्फ के ऊपर गिरते हैं| बर्फ के ऊपर गिरने का भी अपना अलग नजारा है| ऊपर से बर्फबारी भी हो रही थी मेरे तो हाथ जमने लगते हैं| गाईड ने मेरे हाथों पर एक करीम लगाई और बोला जोर से अपने हाथों को मसलना शुरू कर दो| फिर मेरे हाथ थोड़े गर्म हो जाते हैं| फिर हम अगले आधे घंटे तक बर्फ पर स्कीइंग का नजारा लेते रहे| सचमुच जिंदगी के वह पल शानदार पल बन गए|
नारकंडा में बर्फबारी का मज़ा लेने के बाद हम नारकंडा में स्कीइंग का आनंद लेना चाहते थे| बर्फ के ऊपर जो खेल कूद किया जाता है उसको स्कीइंग कहा जाता है| भारत में कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही स्कीइंग का मज़ा लिया जाता है जैसे गुलमर्ग, औली, मनाली, नारकंडा, कुफरी आदि| नारकंडा से कोई सात किलोमीटर दूर सिद्धपुर नामक जगह पर विंटर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है| सड़क के किनारे पड़ी हुई बर्फ को देखते हुए हम सिद्धपुर पहुँच गए| वहाँ हमने एक व्यक्ति से 1000 रुपये में स्कीइंग करने की बात तय कर ली| 500 रुपये और देकर हमने बर्फ से बचने के लिए नये कपड़े पहन लिये और बर्फ पर पहनने वाले जूते भी| हम दो लोग स्कीइंग करने के लिए चल पड़े| साथ में हमारे गाईड था| सबसे पहले हम एक बर्फीले पहाड़ पर चढ़ जाते हैं| वहाँ पर दो सटिक के ऊपर अपने जूते लाक कर देते हैं| फिर गाईड हमें स्कीइंग कैसे करते हैं सिखाता है| शुरू शुरू में हम बर्फ के ऊपर गिरते हैं| बर्फ के ऊपर गिरने का भी अपना अलग नजारा है| ऊपर से बर्फबारी भी हो रही थी मेरे तो हाथ जमने लगते हैं| गाईड ने मेरे हाथों पर एक करीम लगाई और बोला जोर से अपने हाथों को मसलना शुरू कर दो| फिर मेरे हाथ थोड़े गर्म हो जाते हैं| फिर हम अगले आधे घंटे तक बर्फ पर स्कीइंग का नजारा लेते रहे| सचमुच जिंदगी के वह पल शानदार पल बन गए|
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नारकंडा में बर्फबारी का मज़ा लेने के बाद हम नारकंडा में स्कीइंग का आनंद लेना चाहते थे| बर्फ के ऊपर जो खेल कूद किया जाता है उसको स्कीइंग कहा जाता है| भारत में कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही स्कीइंग का मज़ा लिया जाता है जैसे गुलमर्ग, औली, मनाली, नारकंडा, कुफरी आदि| नारकंडा से कोई सात किलोमीटर दूर सिद्धपुर नामक जगह पर विंटर स्पोर्ट्स का आयोजन होता है| सड़क के किनारे पड़ी हुई बर्फ को देखते हुए हम सिद्धपुर पहुँच गए| वहाँ हमने एक व्यक्ति से 1000 रुपये में स्कीइंग करने की बात तय कर ली| 500 रुपये और देकर हमने बर्फ से बचने के लिए नये कपड़े पहन लिये और बर्फ पर पहनने वाले जूते भी| हम दो लोग स्कीइंग करने के लिए चल पड़े| साथ में हमारे गाईड था| सबसे पहले हम एक बर्फीले पहाड़ पर चढ़ जाते हैं| वहाँ पर दो सटिक के ऊपर अपने जूते लाक कर देते हैं| फिर गाईड हमें स्कीइंग कैसे करते हैं सिखाता है| शुरू शुरू में हम बर्फ के ऊपर गिरते हैं| बर्फ के ऊपर गिरने का भी अपना अलग नजारा है| ऊपर से बर्फबारी भी हो रही थी मेरे तो हाथ जमने लगते हैं| गाईड ने मेरे हाथों पर एक करीम लगाई और बोला जोर से अपने हाथों को मसलना शुरू कर दो| फिर मेरे हाथ थोड़े गर्म हो जाते हैं| फिर हम अगले आधे घंटे तक बर्फ पर स्कीइंग का नजारा लेते रहे| सचमुच जिंदगी के वह पल शानदार पल बन गए|
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