गुलाबी नगरी जयपुर की मन मोहक यात्रा।

Tripoto
12th Mar 2024
Photo of गुलाबी नगरी जयपुर की मन मोहक यात्रा। by Janki tripathi
Day 1

हम फरवरी महीने में कहीं घूमने का बारे में सोच रहे थे हमने बहुत सोचा की सर्दियों में कहां जाना ठीक रहेगा बहुत सोचने के बाद हमने   निश्चय किया की राजस्थान फरवरी महीने में बेहतर रहेगा क्योंकि राजस्थान में ना ही अधिक ठंडी ना अधिक गर्मी रहेगी । राजस्थान में हमें ऐतिहासिक , धार्मिक, झील अरावली के पहाड़ और प्राकृतिक दृश्य सभी के लिए बेहतर लगा इसीलिए हमने निश्चय किया कि हम वही जाएंगे। वैसे तो हम वैसे तो हम हमेशा ही घूमने जाते रहते हैं लेकिन वहां जाना हमें अलग ही आकर्षित कर रहा था।        
अंततः हम जयपुर के लिए ट्रेन द्वारा प्रस्थान किए हमारी ट्रेन दूसरे दिन 12:00 बजे जयपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई। हमने स्टेशन पर उतरकर पहले कैंटीन में चाय  पी  उसके बाद उसके बाद  इडली सांभर का नाश्ता करके फिर स्टेशन के बाहर निकले स्टेशन के बाहर तमाम टैक्सी वाले मिल गए जो सभी  यात्रियों सेउनके बारे में कहां जाना है पूछ कर उन्हें ले जा रहे थे।  हमें भी कई टैक्सी वालों ने पूछा कहां जाना है अंत में हमने एक टैक्सी वाले को अपने होटल का पता बताया तो वह₹100 में ले जाने को तैयार हो गया और ले जाकर वहां छोड़ दिया  । बोला कि अगर आपको घूमना हो तो आप नहा धोकर फ्रेश हो जाइए हम1 घंटेबाद आपको जयपुर का साइटसाींइग करादेंगे। साइटसाींइग 1 दिन का करने का₹2000 चार्ज बताया टैक्सी ड्राइवर का नाम  कृष्णा स्वामी था । हमारा होटल अभी नया-नया खुला था होटल का नाम नारायण था जो बहुत साफ   सुथरा लगा। होटल की सर्विस बहुत  अच्छी लगी यह होटल स्टेशन से करीब 1 किलोमीटर दूर  है ।    होटल से हम 2:00 बजे जयपुर घूमने के लिए निकले पहले हम बिरला मंदिर के दर्शन किए के दर्शन किए उसके बाद ड्राइवर ने हमें बताया यहां सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज भी है जो बहुत अच्छे कॉलेजोमें से एक माना जाता है ।

बिरला मंदिर mi रोड

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अल्बर्ट हॉल म्यूजियम जयपुर

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जयपुर को पिंक सिटी क्यों कहा जाता है और इसे किसने बसाया था।    _जयपुर की स्थापना के 100 साल बाद इस नगर को गुलाबी नगर की संज्ञा दी गई इससे पहले जयपुर को केवल जयपुर के नाम से जाना जाता था ।उस वक्त इस शहर का रंग पीला और सफेद हुआ करता था जयपुर में 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि की इसके साथ ही ज यपुर के आधुनिकीकरण का दौर शुरू हो गया।                    राजा सवाई     जय सिंह ने इसकी स्थापना की थी इसलिए इसे जयपुर कहा गया ।वर्ष 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट जयपुर आने वाले थे उसे समय जयपुर के महाराजा सवाई राज राम सिंह उनकी तैयारी में जुटे थे उनके स्वागत के लिए पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा था। शहर की सड़क साफ करके उनके किनारे फूल पत्तियां लगाए जा रहे थे और शहर का रंग बदल गया महाराजा सवाई राम सिंह के मन में सूझा कि क्यों न पूरे शहर को एक रंग में रंग दिया जाए फिर उन्होंने अधिकारियों से बात करके और मंत्रणा की और और पर कोटे में स्थित पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंग दिया उसके बाद से यह शहर गुलाबी हो गया । जो बाद में चलकर गुलाबी न गर कहलाया।                                                                        अल्बर्ट हॉल म्यूजियम__     बिरला मंदिर घूमने के बाद हम अल्बर्ट हॉल म्यूजियम देखने के लिए निकले । अल्बर्ट हॉल म्यूजियम की स्थापना साल 1876 में 6 फरवरी को प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड की जयपुर यात्रा के दौरान रखी गई थी। अल्बर्ट महारानी एलिजाबेथ के भाई थे। उनके नाम पर है इमारत का नाम अल्बर्ट हॉल रखा गया। हमारे टैक्सी ड्राइवर ने बताया यह या इमारत तीन मंजिला है और तीनों के बनावट अलग-अलग है ऊपर से या मुस्लिम वास्तुकला का परिचय देता है और बीच में हिंदू वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है और नीचे मंजिल पर या क्रिश्चियन शैली में बनाया गया है। लेकिन दूर से इसका कोई अंदाजा नहीं लग सकता। म्यूजियम की भव्य वास्तुकला आपको हैरान कर देगी यहां के डिजाइन इंडो   -   सरसेनिक  शैली में निर्मित है अब म्यूजियम में जयपुर कला के कुछ बेहतरीन काम, पेंटिंग, कलाकृ नीति आभूषण ,कालीन ,धातु पत्थर ,और हाथी दांत की मूर्तियां मौजूद है। अल्बर्ट हॉल म्यूजियम हफ्ते के सभी दिनों में सुबह 9:00 बजे से 5:00 बजे तक और शाम 7:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। पर्यटकों के लिए टिकट। भा  रती पर्यटकों के लिए शुल्क₹40 रुपए, विदेशी पर्यटकों के लिए शुल्क ₹300 है। अल्बर्ट हॉल म्यूजियम रात में बहुत सुंदर देखने लायक नजारा होता है यहां लोग फोटोग्राफी आदि रात में करने आते है।

अल्बर्ट हॉल म्यूजियम रात का दृश्य

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हवा महल -राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध हवा महल है यहां पर रानियां झरोखे से बैठकर के बाजार का आनंद लेती थी ।क्योंकि राजपूत में पर्दा था वहां की रानियां घर के बाहर नहीं निकलती थी। हवा महल बहुत ही खूबसूरत बनाया गया है। यह बड़ी चौपड़ के पास मेट्रो स्टेशन के पास बनाया गया इसका निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया था यह किसी मुकुट के आकार का लगता है। यह लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ गुलाबी रंग का लगता है इसके इसके वास्तुकला, इसका इतिहास, इसका डिजाइन आपको मंत्र मुक्त कर देंगे। हवा महल राजस्थान का लोकप्रिय स्थल है इसकी गुलाबी रंग की बालकनी एवं जालीदार खिड़कियां लोकप्रिय है जहां से आप इस शहर का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।

हवा महल हवा महल अंदर का दृश्य

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हवा महल ऊपरी भाग का दृश्य

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हवा महल बाहर का दृश्य

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रंगीन कांच की दीवारें

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हवा महल घूमने के बाद शाम को हम लोग बापू बाजार घूमने गए। सड़क के दोनों किनारे पर दुकानें सजी हुई थ। बापू बाजार जयपुर का सबसे सस्ता मार्केट है यहां दूर-दूर से लोग खरीदारी करने आते हैं। बापू बाजार के पास मी iरोड पर हमें एक वेज रेस्टोरेंट मिल गया। यह होटल अच्छा था हमने वहां वेज  थाली  मंगाई। इसके बाद हम रात्रि में होटल में विश्राम करने चले गए।

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वेज थली वेज

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बापू बाजार मार्केट

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बापू बाजार मार्केट

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दूसरे दिन हम नाहरगढ़, किला,विजयगढ़  किला ,आमेर का किला घूमने निकले। पहले हमने  वहां एक रेस्टोरेंट में जलेबी कचोरी जो राजस्थान की फेमस है हमने नाश्ता किया। दिन भर हम जयपुर घूमते रहे। जयपुर में हमने ढेर सारी शॉपिंग भी की अगले दिन हमने खाटू श्याम जाने का प्रोग्राम बनाना वहां भी भगवान के दर्शन करके होटल लौट आए और रात में हमारी  ट्रेन उदयपुर के लिए थी ।इस तरह हमारी जयपुर यात्रा बहुत खूबसूरत रह रही। वहां हमने बहुत एंजॉय किया यह यात्रा बहुत यादगार रही।

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