गुलाल और रंगों का त्यौहार होली का नाम सुनते ही हमारे चेहरे खुशी से खिल जाते हैं और साथ ही होली पर कहा जाना हैं, क्या खाना और पहनना है? इसकी प्लानिंग पहले से ही करने लगते है। भारत में फरवरी और मार्च को फाल्गुन के महीने के तौर पर जाना है। इसी महीने के दौरान रंगों का त्योहार होली आता है। होली के त्योहार पर लोग जमकर रंग खेलते हैं। क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी होली के रंगों में सराबोर होते हैं। होली पर सिर्फ रंग ही नहीं बल्कि गुजिया और ठंडाई का भी खूब चलन है। हालांकि राज्य या शहर बदलते ही होली खेलने का अंदाज भी बदल जाता है, मगर होली की खुमारी व मस्ती का नजारा हर जगह एक जैसा होता है। तो चलिए आपको बताते हैं अपने देश में कहां-कहां किस तरह से होली मनाई जाती है।
1. उत्तरप्रदेश
भारत का दिल जिसे उत्तर प्रदेश कहते है, साथ ही जो होली की जन्मस्थली है, में उत्सव अपने चरम पर पहुंच जाता है। प्राचीन शहर मथुरा और वृन्दावन वास्तव में उल्लास के केंद्र बन जाते हैं। यहां की होली में सबसे ज्यादा मस्ती देखने को मिलती है। सप्ताह भर पहले से ही जश्न शुरू हो जाता है और यहां लोग सिर्फ रंगों से ही नहीं बल्कि लड्डुओं व लाठियों से भी होली खेलते हैं। इसे लट्ठमार होली कहते हैं, परंपराओं के मुताबिक, महिलाएं लाठियां बरसाती हैं और पुरुष अपना बचाव करते हैं और यह नजारा इतना दिलचस्प होता है कि इसे देखने के लिए देश भर से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से हजारों लोग यहां आते हैं।
2. पश्चिम बंगाल
बंगाल में होली को 'डोल जात्रा', 'डोल पूर्णिमा' या 'झूला महोत्सव' के नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार कृष्ण और राधा की मूर्तियों को एक सुरम्य सजी हुई पालकी पर रखकर पारंपरिक तरीके से सजाया जाता है, जिसे बाद में शहर की मुख्य सड़कों पर घुमाया जाता है। भक्त बारी-बारी से उन्हें झुलाते हैं जबकि महिलाएं झूले के चारों ओर नृत्य करती हैं और भक्ति गीत गाती हैं। इस दौरान पुरुष उन पर रंग और गुलाल फेंकते रहते हैं।
3. गुजरात
गुजरात के प्रसिद्ध तटीय शहर द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर में संगीत उत्सव और हास्य कार्यक्रमों के साथ होली मनाई जाती है। अहमदाबाद में, सड़कों पर छाछ का एक बर्तन लटका दिया जाता है और युवा लड़के टोली बनाकर उस तक पहुंचने और उसे तोड़ने की कोशिश करते हैं, जबकि लड़कियां उन पर रंगीन पानी फेंककर उन्हें रोकने की कोशिश करती हैं। हालाँकि, कुछ स्थानों पर हिंदू परिवारों में एक प्रथा है कि परिवार की महिलाएँ अपनी साड़ी को रस्सी बनाकर अपने देवरों को पीटती हैं क्योंकि वे उन्हें रंगों से सराबोर करने की कोशिश करते हैं और बदले में , वे शाम को उनके लिए मिठाइयाँ लाते हैं।
4. पंजाब
पंजाब में होली को होला मोहल्ला कहा जाता है। यह त्योहार होली के अगले दिन पवित्र धर्मस्थान श्री आनंदपुर साहिब में मनाया जाता है। सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने होली के लिए होला मोहल्ला का इस्तेमाल किया। होलिका दहन के बाद उसकी राख पर परंपरा के अनुसार, पंजाबी परिवार को लोग आटे या बेसन की मीठी रोटी बनाते हैं, जिसे डोढा कहा जाता है। यही रोटी रंग खेलने वाले दिन परिवार के लोगों को खिलाई जाती है। होला मोहल्ला का यह त्योहार आनंदपुर साहिब में 6 दिन तक चलता है। इस मौके पर भांग की तरंग में मस्त घोड़ों पर सवार निहंग, हाथों में लिए तलवारों के करतब दिखाकर साहस और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं। निहंगों के अखाड़े नंगी तलवारों के करतब दिखते हुए बोले सो निहाल के नारे लगाते हैं।
5. राजस्थान
राजस्थान की होली तीन प्रकार की होती है। माली होली- इसमें माली जात के मर्द, औरतों पर पानी डालते हैं और बदले में औरतें मर्दों की लाठियों से पिटाई करती हैं। इसके अलावा गोदाजी की गैर होली और बीकानेर की डोलची होली भी बेहद खूबसूरत होती है।होली पर राजस्थान के पारंपरिक नृत्य की एक अलग ही पहचान है। बीकानेर में सुबह से लेकर रात तक होली खेली जाती है। श्रीगंगानगर में होली के रंगों के साथ-साथ पतंग भी उड़ाई जाती है, भरतपुर में लट्ठमार होली होती है तो उदयपुर और बाड़मेर में होली का नृत्य रूप देखने को मिलता है। शेखावटी का गींदड़ नृत्य ज्यादा ही फेमस है, वहीं जयपुर की फूलों वाली होली भी है। यहां के उदयपुर शहर में हर साल होली के मौके पर शाही मेवाड़ परिवार द्वारा शानदार होली उत्सव आयोजित किए जाते हैं। उत्सव में सजाए गए घोड़ों और शाही बैंड का एक भव्य जुलूस शामिल होता है।
6. महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में होली को रंग पंचमी और शिमगा के नाम से जाना जाता है। यहां फाल्गुन महीने में पूर्णिमा वाले दिन सूर्यास्त के बाद लकड़ी जलाकर होली के त्योहार की शुरुआत की जाती है। इसके अगले दिन लोग रंग पंचमी मनाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं।शिमगा की शाम को, एक अलाव बनाया जाता है और ओडल होलिका का एक पुतला स्थापित किया जाता है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
7. तमिलनाडु
होली को लेकर तमिलनाडु की एक अलग मान्यता है। तमिलनाडु में होली को कामन पंडिगई और काम-दहन्मा कहा जाता है। जो भगवान शिव द्वारा प्रेम के देवता, कामदेव को जलाने की याद दिलाती है। यह त्योहार अलाव जलाकर और प्रार्थनाओं के साथ मनाया जाता है, जो बुराई पर सदाचार की जीत का प्रतीक है। यहां के लोग इस दिन को कामदेव के यज्ञ के रूप में मनाते हैं।
8. असम
असम में, होली 'डोल जात्रा' और 'मनुह बिहू' के त्योहार के नाम से जानी जाती है। जहां समुदाय 'बिहू' अलाव के चारों ओर नृत्य करते है, लोक गीत गाते है और प्यार और सम्मान के प्रतीक के रूप में 'गमोसा' का आदान-प्रदान करने के लिए एक साथ आते हैं। लोग पीठा, लारू और जोल्पन जैसे विशेष व्यंजन तैयार करते हैं और उन्हें अपने दोस्तों और परिवार को पेश करते हैं। वे मंदिरों में भी जाते हैं और भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं। मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और त्योहार मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
9. केरल
केरल में होली को मंजुल कुली के नाम से जाना जाता है। रंगों का यह त्योहार यहां के गोसरीपुरम थिरूमा के कोंकणी मंदिर में मनाया जाता है। होली के पहले दिन लोग मंदिर जाते हैं और दूसरे दिन सब एक दूसरे पर हल्दी वाला पानी छिड़कते हैं और लोकगीतों पर डांस करते हैं।
10. हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में होली का जश्न 40 दिन तक मनाया जाता है। यहां राज परिवार द्वारा भगवान रघुनाथ को रथ में बिठाकर पूजा-अर्चना सहित रथ की परिक्रमा की जाती है। पूजा के बाद सैकड़ों लोगों ने भगवान श्रीराम के जयकारे लगाते हुए रथ में लगी रस्सियों की से उसे खींचना शुरू करते हैं। इसके बाद रथ को थोड़ी देर बाद रोककर वहां पर भरत मिलाप करवाया जाता है। माना जाता हे कि जिसे भी हनुमान बना यह व्यक्ति छू लेता है तथा रंग उसके हाथ में लग जाता है तो वह सौभाग्यशाली माना जाता है। इसके बाद भगवान रघुनाथ का रथ अपने अस्थायी निवास स्थान पर पहुंचाया जाता है।