दिल्ली शहर अपने आप ने अनूठा है। ये शहर अनवरत सालो से ऐसे ही लगातार आगे बढ़ता आ रहा है। इस शहर का इतिहास हजारों साल पुराना है। महाभारत काल में इस शहर का नाम इंद्रप्रस्थ था। पांडवों ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया था। और कालांतर में भी अनेको राजाओं और सम्राठो ने इस शहर को अपनी राजधानी बनाया। समय समय पर विभिन संस्कृतियों का यहां आना और बसना लगा रहा । महाभारत काल में भी पांडवों ने यहां 5 हनुमान मंदिर बनवाए थे। उन सभी में कनॉट प्लेस के पास स्थित ये प्राचीन हनुमान मंदिर अपनी विशिष्ठ पहचान रखता है।
प्राचीन हनुमान मंदिर की वास्तुकला ने शाश्वत डिज़ाइन और जटिल नक्काशी का मेल किया है। गर्भगृह में भगवान हनुमान की प्राचीन मूर्ति है, जो दैवी ऊर्जा की आभा छोड़ती है। यहां भक्तजन आशीर्वाद प्राप्त करने और प्रार्थनाएँ समर्पित करने के लिए एकत्र होते हैं।
इस मंदिर को, जो कॉनॉट प्लेस जैसे भीड़ भाड़ वाले इलाके के पास स्थित है, दिल्ली के शहरी हलचल के बीच एक शांति से भरा द्वीप माना जा सकता है। जब आप अंदर कदम रखते हैं, तो आपको भक्तिभावना की ध्वनि और धूप की सुगंध से स्वागत किया जाता है, जिससे एक शांतिपूर्ण वातावरण बनता है। मंदिर के पास एक अलग ही शक्ति का अहसास होता है।
मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है, जिसमें इसकी शुरुआत के किस्से किस्सों और पुराणों के साथ जुड़े हुए हैं। भक्त मानते हैं कि इस पवित्र स्थान की यात्रा से शांति, बल, और परेशानी से बचाव होता है।हनुमान जयंती जैसे त्योहारों के दौरान, मंदिर रंगीन उत्सवों के साथ जीवंत हो जाता है। दिल्ली के और देश विदेश के विभिन्न कोनों से श्रद्धालु उत्सवों में भाग लेने के लिए इकट्ठा होते हैं, एक संगीतमय और भक्तिपूर्ण माहौल हमेशा यहां बना रहता है।
प्राचीन हनुमान मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है ।यह सांस्कृतिक धरोहर है जो भूत से वर्तमान तक का समय सेतु है। एक व्यस्त नगर में इसके अस्तित्व ने दिल्ली के गहरे आध्यात्मिक स्वभाव को याद दिलाया है। कैसे अपने सुनहरे अतीत को साथ रखकर आगे बढ़ा जाता है। ये हम दिल्ली शहर से सीख सकते है।
कुछ प्रचलित कथाएं भी इस मंदिर से जुड़ी हुई है।
जैसे की गोस्वामी तुलसीदास जी भी अपने दिल्ली प्रवास के दौरान इस मंदिर में रुके थे। तुलसीदास जी भी भगवान हनुमान के अनन्य भक्त थे । और कहा भी जाता है की
उन्होंने हनुमान चालीसा की कुछ पंक्तियां भी यही इसी मंदिर में रहकर पूरी की थी।
एक अनूठा गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी इस मंदिर के नाम है
यहां पिछले काफी सालो से लगभग 50 से ज्यादा सालो से लगातार अनवरत हनुमान जी को समर्पित जाप भी हो रहा है।
ये भी अपने आप में बड़ी बात है। और कहा तो ये भी जाता है की मुगल शासक अकबर की भी इस प्राचीन हनुमान मंदिर में काफी रुचि थी। और अकबर भी यहां भगवान हनुमान जी से आशीर्वाद लेने आया करता था । अकबर ने एक चांद सितारा सरीखा कलश भी मंदिर को भेंट किया था।
जो आज भी मंदिर के शिखर पर विराजमान है।
तो अगर आप भी दिल्ली में या आस पास रहते हैं । या किसी काम से दिल्ली आना जाना होता रहता हैं । तो इस प्राचीन हनुमान मंदिर में जरूर आए।
आपकी मनोकामना जरूर पूरी होगी। ऐसा भक्तो का विश्वास है।
पता बाबा खड़क सिंह मार्ग कनॉट प्लेस नई दिल्ली
नजदीकी मेट्रो राजीव चौक है ।