वाराणसी का स्वर्वेद मंदिर चर्चा में है.इसे आध्यात्म और हिंदू संस्कृति का अद्भुत प्रतीक माना जा रहा है. ये महामंदिर एक योग तीर्थ भी है, अभी हाल ही के प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा इसका उदघाटन किया गया है
जानें स्वर्वेद मंदिर की खासियत । – वाराणसी का स्वर्वेद महामंदिर का परिसर 200 एकड़ में फैला है. 7 मंजिला ये मंदिर कमल के फूल की तरह डिजाइन किया गया है. इस मंदिर का निर्माण विहंगम योग संत समाज ने किया है.स्वर्वेद महामंदिर दुनिया का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर कहा जा रहा है. जहां एक साथ 20 हजार लोग बैठकर योग और ध्यान कर सकते हैं.इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर भगवान की नहीं, योग- साधना की पूजा होगी. ये महामंदिर 20 साल में बनकर तैयार हुआ है.स्वर्वेद मंदिर का नाम स्व: और वेद से जुड़कर बना है. स्व: का एक अर्थ है आत्मा या परमात्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. आत्मा का ज्ञान जिसके जरिए हो वही स्वर्वेद कहा जाता है.
भारत भूमि सदियों से ऋषियों की, वेदों की , योग की , ध्यान और ज्ञान की भूमि रही है। भारत ने सदैव ही दुनिया को एक अलग ध्यान और ज्ञान का मार्ग दिखाया है। विगत के कुछ वर्षो में तो भारतीय ज्ञान और ध्यान का काफी प्रचार और प्रसार हुआ है। वैसे भी आधुनिक समय में मनुष्य का जीवन अवसाद से भरा है। ध्यान और योग इन सभी तरह की समस्याओं के लिए रामबाण का काम कर सकता है।
मंदिर के सभी तलों पर अंदर की दीवार पर लगभग 4000 स्वर्वेद के दोहे लिखे हैं। बाहरी दीवार पर 138 प्रसंग वेद उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि के प्रसंग पर चित्र बनाए गए हैं, ताकि लोग उससे प्रेरणा लें सकें। वैसे भी भारतीय संस्कृति और दर्शन का दुनिया में कोई और सानी तो नही है । अब इस प्रकार के आश्रम का खुलना देश , दुनिया के युवाओं के लिए वरदान सरीखा ही है। वैसे भी काशी की हवा में ही कुछ खास है । यहां आकर एक अलग ही सुकून का अहसास होता है।
तो कभी आपका आना काशी हो तो यहां आना न भूले।