कर्नाटक के मैसूर जिले में बायलाकुप्पे में बौद्ध धर्म से संबंधित नामद्रोलिंग मठ है| भारत में धर्मशाला के बाद सबसे ज्यादा बौद्ध लोग इसी जगह पर रहते हैं| नामद्रोलिंग मठ को कर्नाटक का गोलडन टैंपल भी कहा जाता है| नामद्रोलिंग मठ दुनिया में बौद्ध धर्म के निंगमा वंश का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र है| इस खूबसूरत जगह पर 5000 से ज्यादा बौद्ध लामा रहते हैं| यहाँ पर इस संघ के लिए हाई स्कूल,धार्मिक कालेज भी मौजूद है| यहाँ पर बौद्ध धर्म के अनुयायी आते रहते हैं| टूरिस्ट लोग भी नामद्रोलिंग मठ को देखने के लिए आते हैं कयोंकि नामद्रोलिंग मठ बहुत खूबसूरत और शानदार बना हुआ है| टूरिस्ट जब बंगलौर या मैसूर से कुर्ग टूर पर जाते हैं तो रास्ते में कुशालानगर नामक कस्बे से पांच किलोमीटर पहले बायलाकुप्पे गाँव में बौद्ध धर्म के मशहूर नामद्रोलिंग मठ को भी जरूर देखने जाते हैं|
सितम्बर 2023 में मैंने अपनी साऊथ इंडिया यात्रा की शुरुआत पंजाब से पहले दिल्ली और फिर दिल्ली से फलाईट लेकर बंगलौर एयरपोर्ट पर पहुँच कर की| एक दिन बंगलौर में रहकर अगले दिन मैं अपनी फैमिली के साथ कुर्ग टूर पर निकल पड़े| कुर्ग टूर के लिए मैंने कर्नाटक टूरिज्म की वैबसाइट सेसे कुर्ग पैकेज बुक कर रखा था| इस टूर पैकेज में आपको दो दिन में कुर्ग दिखाना था| इस टूर की शुरुआत सुबह साढ़े छह बजे बंगलौर से हुई| 1 सितम्बर 2023 को शानदार ऐ सी बस मैं बैठकर हम बंगलौर से सुबह 6.30 बजे कुर्ग यात्रा के लिए रवाना हो गए| सुबह सुबह बंगलौर की सड़के खाली थी जल्दी ही हमारी बस बंगलौर- मैसूर हाईवे पर दौड़ने लगी| सुबह हमने कुछ खाया भी नहीं था लेकिन अपनी बेटी के लिए एक चाय वाली दुकान से दूध गर्म करवाकर उसकी एक शीशी भर ली थी| मेरी बेटी बस में बैठ कर सो गई| बेटी ने तो सोते समय ही दूध पी लिया| हमने बिसकुट खा लिए| सुबह जल्दी उठने की वजह से हम भी सो गए| दो घंटे बाद हमारी बस एक कस्बे में एक रेस्टोरेंट के बाहर खड़ी थी| बस में गाईड ने हमें आधे घंटे का समय दिया और ब्रेकफास्ट करने के लिए कहा| हम बस से उतर कर रेस्टोरेंट में पहुँच गए| साऊथ इंडिया में मुझे डोसा और फिलटर कौफी बहुत पसंद है| हमने अपना नाश्ता इन दोनों आईटम से किया| दुबारा फिर बस चल पड़ी | मैसूर शहर को बाईपास करते हुए बस आगे बढ़ रही थी| मैसूर से आगे चलकर सड़क थोड़ी छोटी हो गई थी लेकिन नजारे खूबसूरत हो रहे थे| ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी जंगल में गुज़र रहे हैं| दोपहर के बारह बजे के बाद हम बायलाकुप्पे गाँव में पहुँच गए|
जब हमारी बस बायलाकुप्पे पहुंची तो बस ड्राइवर ने बस को पार्किंग में लगा दिया| सभी लोग बस में से उतर कर नामड्रोलिंग मठ की तरफ जाने लगे| सड़क को पार करते हुए हम नामड्रोलिंग मठ के प्रवेश द्वार पर पहुँच गए| प्रवेश द्वार के बाद एक खुला मैदान बना हुआ है जिसके तीन तरफ दुकानें सजी हुई है| इन दुकानों में आप खाना खा सकते हैं और साथ में ही आप बौद्ध धर्म से संबंधित वस्तुओं को खरीद सकते हो| खुले मैदान को चलकर पार करते हुए हम नामड्रोलिंग मठ में प्रवेश करते है| दोनों साईड गार्डन वाले रास्ते पर चलते हुए सामने हमें बहुत खूबसूरत बौद्ध मंदिर की ईमारत दिखाई दे रही थी| हमने मोबाइल के कैमरे से इस खूबसूरत मंदिर की तस्वीर खींच ली| आगे चलकर बाएं मुड़कर हम नामड्रोलिंग मठ के बाहर पहुँच जाते हैं| नामड्रोलिंग मठ के बाहर एक जूता घर बना हुआ है| जहाँ हमने अपने जूते उतार दिए| फिर हम नामड्रोलिंग मठ के दर्शन करने के लिए चल पड़े|
नामद्रोलिंग मठ तिब्बती बौद्ध से संबंधित स्कूलों का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान है| बायलाकुप्पे तिब्बती लोगों की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बस्ती है|यह तीन मंजिला बौद्ध मंदिर है| इस बौद्ध मंदिर को ही कर्नाटक का गोलडन टैंपल कहा जाता है| इस खूबसूरत मंदिर में तीन ऊंचे बुत बने हुए हैं| सबसे बीच में भगवान बुद्ध का बुत है जिसकी ऊंचाई 60 फीट है| इस बुत के दोनों साईड में एक पद्मसभव और अमयातिस के बुत बने हुए हैं| जिनकी ऊंचाई 57 फीट है| यह तीनों बुत ताबें से बने हुए हैं और बाहर से सोने से मढ़े हुए हैं| इसी वजह से इसको गोलडन टैंपल कहा जाता है| फिर हम दर्शन करने के लिए नामड्रोलिंग मठ में प्रवेश करते है| उस समय यहाँ बौद्ध भिक्षु पूजा कर रहे थे| हमने महात्मा बुद्ध के तीनों बुत के दर्शन किए| कुछ समय हम नामड्रोलिंग मठ में बैठे रहे| सारा वातावरण बहुत ही शांतमय और धार्मिक लग रहा था| नामड्रोलिंग मठ की स्थापना 1963 ईसवीं में पेमा नोरबू रिनपोछे ने की थी| इस जगह को आप कर्नाटक का मिनी तिब्बत भी बोल सकते हो| भारत में धर्मशाला के बाद सबसे ज्यादा बौद्ध श्रणार्थी बायलाकुप्पे में ही रहते हैं| इस खूबसूरत जगह की यात्रा करके बहुत आनंद आया| नामड्रोलिंग मठ के दर्शन करने के बाद हमने बाजार में एक दुकान पर पर कुछ शापिंग की| एक छोटे से रेस्टोरेंट में कौफी पी और दुबारा बस में बैठ कर अगली मंजिल की ओर चल पड़े|
बायलाकुप्पे कैसे पहुंचे- बायलाकुप्पे की मैसूर से दूरी 88 किमी, बंगलौर से 225 किमी और मदिकेरी से 33 किमी और कुशालानगर 5 किमी दूर है| इसका नजदीकी रेलवे स्टेशन मैसूर है| नजदीकी एयरपोर्ट बंगलौर है| आप मैसूर तक रेल द्वारा पहुँच सकते हो वहाँ से बस या टैक्सी से बायलाकुप्पे आ सकते हो| बंगलौर से भी आप बस से यहाँ पहुँच सकते हो| रहने के लिए आप कुशालानगर में होटल आदि लेकर रह सकते हो|