हिंदू ( सनातन ) धर्म में चार धाम यात्रा का उल्लेख है । आप सब ने भी इन सबके बारे में जरूर सुना होगा । आदि शंकराचार्य जी ने देश के चारो कोनो पर मठ मंदिर स्थापित किए थे । जिन्हे चार धामों की संज्ञा दी जाती है । जैसे पूरब में ओडिशा पुरी में जगन्नाथ धाम , पश्चिम में गुजरात में स्थित द्वारका धाम , उत्तर में उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ धाम , तथा दक्षिण में तमिलनाडु प्रदेश में रामेश्वरम। हिंदू धर्म में इन चारो तीर्थो का बड़ा महत्व है । किवदंतीयो के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में इन चारो धामों की यात्रा करता है तो उसे और उसके पूरे परिवार को पुण्य की प्राप्ति होती है। और आगे चलकर मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति भी होती है
हमारे धर्म के अनुसार मोक्ष प्राप्त करना हर इंसान का परम लक्ष्य होना चाहिए। हालाकि मैं बहुत ज्यादा धार्मिक नही हु लेकिन फिर भी मुझे धार्मिक जगहों पर जाना पसंद है। क्योंकि वहा एक अलग प्रकार की ऊर्जा, शक्ति की संचरण होता है। और वो मुझे काफी पसंद है। किसी ऐसी जगह जाकर उस परम शक्ति से जुड़ने का भी अहसास होता है ।उसे आप शब्दो में नही बता सकते। ऑफिस की काफी सारी छुट्टियां बच रही थी। और इस बार 15 अगस्त पर भी काफी सारी छुट्टियों का संयोग बन रहा था तो मां के साथ पुरी की यात्रा की प्लानिंग की। मैने काफी पहले ही दिल्ली से पुरी की ट्रेन की बुकिंग करवा रखी थी।
पुरी पहुंच कर आपके पास रुकने के लिए काफी सारे विकल्प मौजूद होते है । यहां पर चाहे तो जगन्नाथ मंदिर के पास होटल या धरमशाला ले सकते या फिर आप समुंदर किनारे बीच के नजदीक होटल ले सकते है। मैने गोल्डन बीच जिसे पुरी बीच भी कहा जाता है। के नजदीक होटल लिया । यहां पर आपको 1000 रूपे से 5000 रूपे तक का होटल मिल जाएगा। होटल काफी सारे है तो आप आसानी से अपने बजट अनुसार होटल ले सकते है। और हां मोलभाव जरूर करे। मेरे होटल से बीच 100 मीटर की दूरी पर था और प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर 3 किलोमीटर की दूरी पर था । पुरी पहुंचने पर होटल में चेक इन करने के पश्चात एक पूरा दिन आराम किया क्योंकि दिल्ली से यहां तक का ट्रेन का सफर करीब करीब 30 घंटे का था । अगले दिन प्रात स्नान आदि करके हम सबसे पहले मंदिर गए । यहां काफी भीड़ थी। मंदिर के अंदर मोबाइल फोन ले जाना माना है। इसीलिए हमने अपना फोन मंदिर के बाहर एक दुकान पर जमा करवा दिया।
मंदिर बहुत ही सुंदर और आकर्षक प्रतीत हो रहा था। लगभग 1 घंटे लाइन में लगकर हम लोग मंदिर में गए । मंदिर अत्यधिक विशाल था अंदर से। अंदर और भी छोटे बड़े मंदिर विद्यमान थे। एक अलग ही दुनिया थी मंदिर के अंदर
मैने इतना पुराना , सुंदर और आकर्षक मंदिर पहली बार देखा था। हम लोग मंदिर के अंदर 2 घंटे रहे अच्छे से दर्शन करने के पश्चात हमने वहा का प्रसाद जिसे दिव्य प्रसादम भी कहते है । वो भी खाया । मिट्टी के बर्तनों में बनने वाले इस प्रसाद की तुलना किसी और प्रसाद से नही कर सकते। बड़ा ही दिव्य स्वाद था । मंदिर में दर्शन करने के बाद हम लोग वापस होटल आ गए। यहां थोड़ा आराम करने के बाद हम लोग समुंदर किनारे घूमने निकल गए । पुरी बीच पर ।
यहां मां और मैने अच्छे अच्छे फोटो क्लिक किए ।
इस प्रकार दिन की समाप्ति हुई । अगले दिन हमने और कुछ महत्व पूर्ण मंदिर के दर्शन किए । जैसे गुंडीचा मंदिर , बेड़ी वाले हनुमान मंदिर, और फिर हमने एक स्कूटी किराए पर ली और हम चल दिए विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर की तरफ जो की पुरी शहर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर था । हम वहा एक से डेढ़ घंटे में पहुंच गए । रास्ता काफी शानदार था। कोणार्क मंदिर बहुत ही सुन्दर और अद्वितीय है
ये मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। जोकि यूनेस्को की विश्व विरासत की सूची में भी है। हमने 2 से 3 घंटे मंदिर को देखने में बिताए।
कोणार्क मंदिर के पास ही एक अच्छा साफ सुथरा बीच भी है जिसे चंद्रभागा बीच कहते है। हमने सूर्यास्त उस बीच पर देखा और उसके बाद हम वापस पुरी के लिए निकल लिए।
पुरी पहुंच कर हम काफी थक चुके थे। स्कूटी वाले को स्कूटी देकर और रात का खाना खाकर हम लोग सो गए।
तो इस प्रकार हमारा पुरी धाम का सफर रहा । चार धामों में से एक होने की वजह से पुरी में लाखों लोग आते है । और जब रथ यात्रा का आयोजन होता है तब तो यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। तो इस प्रकार लगभग 3 दिन पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने और घूमने फिरने के पश्चात हम लोग वापस दिल्ली जाने के लिए यहां से भुवनेश्वर आ गए क्योंकि हमारी वापसी की ट्रेन भुवनेश्वर से थी ।हमने सोचा कुछ 1 या 2 दिन यहां भी रुकना चाहिए रोज रोज इतनी दूर थोड़ी ही आता है। हमने भुवनेश्वर के भी कुछ अच्छे अच्छे मंदिर और टूरिस्ट स्पॉट देखे । जैसे धौली शिखर तीर्थ, 64 योगिनी मंदिर, लिंगराज मंदिर, नंदनकानन जू, महेश्वर मंदिर , जैन धर्म को समर्पित प्राचीन गुफाएं इत्यादि
यहां भी भुवनेश्वर में 3 दिन रुकने और थोड़ा बहुत घूमने के बाद हमने अपनी ट्रेन दिल्ली के लिए पकड़ी। तो इस तरह कुछ हमने पुरी धाम की यात्रा की और साथ ही साथ भुवनेश्वर, और कोणार्क भी देखा। इसे ओडिशा का गोल्डन ट्रैंगल भी कहते है। भुवनेश्वर – पुरी – कोणार्क ...
आप भी जब कभी पुरी जाए तो इन तीनों शहरो को घूमने का प्लान करे । आप 5 से 6 दिनों में इन तीनों शहरो को अच्छे से घूम सकते है । तो इस तरह पुरी सर्किट की ये यात्रा पूरी हुई । जिसमे की मुख्य रूप से हमने जगन्नाथ धाम पुरी की ना बोलने वाली यात्रा की । बद्रीनाथ धाम के बाद ये हमारी दूसरे धाम की यात्रा थी । आगे 2 और बचे हुए धाम जैसे द्वारका ( गुजरात ) और रामेश्वरम ( तमिलनाडु ) की यात्रा भी की जानी है अगर भगवान की इच्छा हुई तो ।
कैसे पहुंचे – आप ट्रेन से सीधे पुरी आ सकते है। या फिर आप भुवनेश्वर तक ट्रेन से आकर बस या टैक्सी के माध्यम से पुरी आ सकते है। , हवाई जहाज के लिए आपको भुवनेश्वर आना होगा । क्योंकि नजदीकी हवाई अड्डा भुवनेश्वर में स्थित है।
आदर्श समय – सबसे अच्छा समय नवंबर से जनवरी है। मौसम सुहावना रहता है ।