दोस्तों,एक ऐसा चॉकलेटी फज जिसमें सफेद रंग की छोटी–छोटी गोलियां लगी होती हैं। अल्मोड़ा शहर की बाल मिठाई का ऐसा ही डिस्क्रिप्शन दिया जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस मिठाई को कैसे बनाया गया था?
जैसा कि आप सब को पता ही होगा,कुछ ऐसी जगहों की चीजें और खाद्य पदार्थ होते हैं, जो अपने शहर को लोकप्रिय बना देते हैं। अब डल लेक सुनकर कैसे सबको कश्मीर याद आता है। पोहा कहें, तो लोग इंदौर की बात करते हैं। बारिश और वड़ा पाव का मतलब है मुंबई। इसी तरह उत्तराखंड की बात करे तो सुंदर पहाड़ और बाल मिठाई प्रसिद्ध हैं। जी हां चलिए आपकों हम इस आर्टिकल के माध्यम से विस्तार में बताते हैं।
1.कहां से आई यह बाल मिठाई?
दोस्तों,यह मिठाई सदियों पहले नेपाल से उत्तराखंड पहुंची थी। और 7वीं— 8वीं सदी में यह नेपाल से उत्तराखंड आई और फिर से अल्मोड़ा में इसे बनाना शुरू किया गया। इसे सूर्य देव भगवान को प्रसाद के रूप में अर्पण किया जाता हैं।हालांकि, नेपाल से आने वाली बात का तथ्य किसी के पास नहीं है।लेकिन ऐसा माना जाता है कि 20वीं सदी में यह स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय हुई थी।और अल्मोड़ा में आज भी ऐसी कई सारी दुकानें हैं जहां पर बाल मिठाई बनाई जाती है, लेकिन अल्मोड़ा में मौजूद जोगा लाल शाह की दुकान को इसे प्रसिद्ध करने का श्रेय जाता है। आइए जानते हैं।
2.अल्मोड़ाके जोगा लाला शाह ने कैसे बनाई थी मिठाई?
दोस्तों,ऐसा माना जाता है कि 20वीं सदी में इसे अल्मोड़ा में लोकप्रिय बनाने वाले जोगा लाल शाह ही थे। इसके बाद इस मिठाई ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में अपनी प्रसिद्धि पाई। जहां तक इसे बनाने की बात है, तो जोगा लाल शाह की एक छोटी-सी दुकान गांव के बीचो-बीच थी। वह मिठाइयां बनाने के लिए जाने जाते थे। चॉकलेट के बढ़ते क्रेज ने उन्हें भी कुछ नया बनाने पर मजबूर किया। हालांकि, कोको बीन्स की जगह उन्होंने इसका अल्टरनेटिव ढूंढने की कोशिश की।
ऐसा माना जाता है कि जोगा लाल जी फालसीनामा नामक गांव से मलाईदार दूध मंगवाते थे और फिर कड़ाही पर उसे घंटों पकाकर उससे खोया तैयार करते थे यह मिठाई को चॉकलेट जैसा रंग दिया जाता था। लेकिन उन्होंने पहले इस तरह से फज बनाना शुरू किया। और इसके बाद,देखते ही देखते, लोगों के बीच यह मिठाई पॉपुलर हो गई। और जोगा लाल शाह की पांचवी पीढ़ी आज भी अपनी दुकान में बाल मिठाई बनाने का काम करती है।
3.कैसे पहुंची उत्तराखंड के अल्मोड़ा से इंग्लैंड तक यह बाल मिठाई
जब यह मिठाई बनकर तैयार होती हैं, तो उस दौरान बड़े लोगों और ब्रिटिशर्स के बीच काफी लोकप्रिय हुई। इसे लोग बड़ी-बड़ी भेंटों में देने लगे। स्थानी लोगो के बीच पसंद की जाने वाली इस मिठाई ने धीरे-धीरे इंग्लैंड में भी अपने पैर जमाने शुरू किए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उस दौर में अंग्रेजों को भी यह मिठाई अच्छी लगने लगी थी।
अगर आपने भी कभी इसका आनंद न लिया हो, तो एक बार इसे खाकर जरूर देखें। ऑथेंटिक बाल मिठाई खाने के लिए मेरी सलाह है कि आप अल्मोड़ा जरूर जाएं।
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