ऐसा माना जाता है। कि, सती के निधन के बाद ताड़कासुर को अमरत्व का वरदान मिल गया। जिसे केवल भगवान शिव का पुत्र ही वध कर सकता था। और सती वियोग में महादेव ध्यान में थे। उन्हें जगाने के लिए यमराज ने किनाश पर्वत पे कठोर तपस्या की।
और उनका शरीर कंकाल बन गया।