नैनीताल का नाम लेते ही आपके ज़हन में खूबसूरत वादियां पहाड़ और झील ही आयेंगे । जी हां ये बात एक हद तक सही भी है।मगर,यहां पर्यटन के साथ साथ धार्मिक स्थलों का भी अपना महत्व है।अगर आप नैनीताल आए,और यहां नहीं आए,तो क्या आए। जी हां ,आज हम आपको बताने जा रहे है।एक बहुत ही प्रसिद्ध धार्मिक और दार्शनिक स्थल की,जो भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है।ये है नैनीताल का नैना देवी मंदिर।
नैना देवी मंदिर,नैनीताल में, नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है।ऐसा कहा जाता है। कि, 1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था।परंतु काफी समय बाद यहां कुछ अवशेषों के मिलने के बाद, मंदिर का दोबारा निमार्ण कराया गया।
मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सती का विवाह राजा दक्ष शिव से नहीं करना चाहते थे। परंतु सती ने स्वयं उनसे शादी कर ली। इससे राजा दक्ष बहुत क्रोधित हुए।एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ किया।उसमे उन्होंने ना ही सती और न ही उनके पति शिव को बुलाया।परंतु सती ज़िद से उनके घर जा पहुंची।और तब, राजा दक्ष ने सती और उनके पति की घोर निन्दा की।और उनका मजाक बनाया।जिसे सती सहन न कर सकी और स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया।और तभी महादेव प्रकट हुए और शिव जी उन्हें उठाकर आकाश में विचरण करने लगे। उस समय महादेव अन्यांत क्रोधित थे,उनके क्रोध को शांत करने के लिए,विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के एक एक अंग को काट दिया।और जहां जहां सती के अंग गिरे,वहां वहां शक्तिपीठ स्थल बनाए गए। उन्ही में से एक है,नैना देवी मंदिर। सती की एक आंख नैना देवी मंदिर नैनीताल में, तथा दूसरी आंख,हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में गिरी थी।यही पर यम्मी गौतम और आदित्य धर दर्शन को आए थे।
नैना देवी मंदिर का प्रांगण
नैना देवी में एक बड़ा पीपल वृक्ष है। जहां पर्यटक आराम कर सकते है।पीपल के पेड़ के पार हनुमान जी की भी मूर्ति स्थापित है।अंदर के गर्भ गृह में तीन देवताओं को मूर्तियां है।केंद्र में दो आंखे है।जो नैना देवी का प्रतिनिधित्व करती है बाय ओर, माता काली देवी और दाई ओर भगवान गणेश है।
और यहां दसौतार मंदिर भी है। चूकि,यह मंदिर नैनी झील के पास ही है,इस वजह से यहां का वातावरण काफी सुहावना लगता है।यह मंदिर कई प्रकार के पेड़ो से सुसज्जित है। जो वहां के नज़ारे को और खूबसूरत बनाते है।मंदिर परिसर में अजब सी शांति रहती है।जो आपको सुकून देती है।और दसौतार मंदिर में आप बैठकर ध्यान भी कर सकते है।
मुख्य आयोजन
नंदा अष्टमी के दौरान मंदिर में भव्य आयोजन होता है।यहां माता के भक्त आते है।और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।यह आठ दिन चलता है।अंतिम दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
शारदीय नवरात्र वा चैत्र नवरात्र में भी काफी भीड़ होती है।और यहां काफी लोग माता रानी के दर्शन को आते है।
मंदिर का समय
मंदिर में आप सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक किसी भी समय माता रानी के दर्शन कर सकते है।
आस पास घूमने की जगहें
नैना देवी मंदिर के बगल में भेटिया मार्केट में आप शॉपिंग कर सकते है,और यहां दुकानों की सजावट बहुत आकर्षक लगती है।यहां खाने के लिए काफी रेस्टोरेंट है।अगर आप इंडियन है,तो इंडियन वेराइटी भी मिल जायेगी।नैनीताल में मोमोज काफी देखने को मिलेंगे।और आप पास की ही नैनी झील में बोटिंग का आनंद ले सकते है।और आप टिफिन टॉप,नैना पीक स्नो व्यू प्वाइंट और इको गार्डन भी एक्सप्लोर कर सकते है।
कैसे पहुंचे
यह मन्दिर नैनीताल में है।और नैनीताल लगभग सभी प्रमुख शहरों से सड़को और रेल से जुड़ा हुआ है।और आप वायु मार्ग का भी सहारा ले सकते है।
निकटतम रेलवे स्टेशन - काठगोदाम ,निकटतम दूरी 35km है। यहां से आप टैक्सी या कैब ले सकते है।
निकटतम एयरपोर्ट - चंडीगढ़ एयरपोर्ट दूरी 110km वहां से आप लोकल साधन ले सकते है।