भगवान राम ने अपने वनवास के प्रारंभिक साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में व्यतित किए थे। चित्रकूट में रामायण काल और राम जी से जुड़े गए बहुत सारे स्थान हैं चित्रकूट मन्दिरो का शहर और धार्मिक स्थल है। यह पड़ोस में ही स्थित मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के चित्रकूट नगर से जुड़ा हुआ है। चित्रकूट जाने के लिए आपको जबलपुर सतना प्रयागराज आदि से रेगुलर ट्रेनें मिल जाएगी चित्रकूट का अपना रेलवे स्टेशन चित्रकूट कर्वी नाम से है साधना और जबलपुर से यहां पर वैसे भी चलती है चित्रकूट कर्वी रेलवे स्टेशन से रामघाट की दूरी लगभग 10 किलोमीटर की है चित्रकूट मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित है इसका ज्यादा हिस्सा मध्य प्रदेश में है
चित्रकूट में घूमने के मुख्य स्थान
रामघाट
गुप्त गोदावरी गुफाएँ
कामदगिरि मंदिर
हनुमान धारा
स्फटिक शिला
जैसे बहुत सारे स्थान घूमने के लिए है
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#रामघाट चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे बना हुआ एक सुंदर घाट है। इस घाट के किनारे आपको बहुत सारे मंदिर देखने के लिए मिल जाएंगे। यह मंदिर प्राचीन है। रामघाट बहुत ही अच्छी तरह से बना हुआ है और पूरी तरह पक्का बना हुआ है। रामघाट में आप नाव की सवारी का भी मजा ले सकते हैं। यहां पर आपको रंग बिरंगे नाव देखने के लिए मिलती हैं, जिनमें खरगोश भी रखे रहते हैं, जो पर्यटकों को पसंद आते हैं। रामघाट के दोनों तरफ बहुत सारे मंदिर है। रामघाट में बहने वाली मंदाकिनी नदी में आकर आप स्नान कर सकते हैं।
रामघाट को रामघाट इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वनवास काल के दौरान श्री राम जी चित्रकूट आए थे और उन्होंने मंदाकिनी नदी पर इसी स्थान पर स्नान किया था। इसलिए इस जगह को रामघाट के नाम से जाना जाता है।
रामघाट में हम लोग ऑटो से आए थे। ऑटो स्टैंड से रामघाट ज्यादा दूर नहीं है। आप आराम से रामघाट जा सकते हैं। ऑटो वाला ने हमे रामघाट के पास ही में उतरा। हम लोग रामघाट के लिए पैदल चल पड़े और रामघाट में जाने वाले रास्ते में आपको दोनों तरफ दुकानें देखने के लिए मिलेंगे। यहां पर आपको बहुत सारी दुकानें देखने के लिए मिल जाती हैं, जैसे यहां पर आपको बर्तन की दुकान देखने के लिए मिल जाती है। कपड़ों की दुकान देखने के लिए मिल जाती है। किताबों की दुकान देखने के लिए मिल जाती है, जहां पर आप को रामायण, गीता, धार्मिक किताबें खरीदने के लिए मिल जाएंगी। यहां पर आपको खाने पीने के लिए चाय समोसे की दुकान भी देखने के लिए मिल जाएगी। रामघाट में जैसे ही आप आते है , तो आपको रामघाट के दूसरे तरफ जाने के लिए एक पुल देखने के लिए मिलेगा। आप इस पुल से घाट के उस पार भी जा सकते हैं।
#गुप्त गोदावरी रामघाट से लगभग 17 किलोमीटर दूर है यहां जाने में लगभग आपको आधा घंटे का समय लगता है यहां गोदावरी नदी प्रकट होती है और थोड़ी ही दूर पर जाकर अदृश्य हो जाती है वनवास के समय भगवान राम से मिलने के लिए कई देवता चित्रकूट आए। माना जाता है कि माँ गोदावरी इन गुफाओं में गुप्त रूप से दर्शन करने उनके पास गई थीं।]
#कामदगिरि मंदिर में कामतानाथ के दर्शन करने के बाद, जोकामदगिरि परिक्रमा मार्ग 5 किलोमीटर है और इस परिक्रमा मार्ग में आपको बहुत सारे मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। इनमें से कुछ मंदिर बहुत ही प्राचीन है। आप कह सकते हैं, कि जब रामचंद्र जी चित्रकूट में रहते थे। उस समय के भी मंदिर आपको यहां पर देखने के लिए मिल जाएंगे। यहां पर आपको बहुत सारे बंदर देखने के लिए मिलते हैं। मगर यह बंदर किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते।
#राम घाट से 4 किलोमीटर दुर है | एक चमत्कारिक पवित्र और ठंडी जल धारा पर्वत से निकल कर हनुमान जी की मूरत की पूँछ को स्नान कराकर निचे कुंड में चली जाती है | कहा जाता है की जब हनुमानजी ने लंका में अपनी पूँछ से आग लगाई थी तब उनकी पूँछ पर भी बहूत जलन हो रही थी | रामराज्य में भगवन श्री राम से हनुमानजी विनती की जिससे अपनी जली हुई पूँछ का इलाज हो सके | तब श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो हनुमान जी की पूँछ पर लगातार गिरकर पूँछ के दर्द को कम करती रही | यह जगह पर्वत माला पर है |इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं।
#स्फटिक शिला रामघाट से 6 किलोमीटर की दूरी पर है मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित एक छोटे से शिलाखंड से भगवान राम और देवी सीता ने चित्रकूट की सुंदरता की सराहना की थी। यह जगह घने जंगलों के बीच छिपी हुई है। ऐसा माना जाता है कि माता सीता ने अपना श्रृंगार यहां किया था और शिलाखंड पर आज भी भगवान राम के चरणों की छाप है।