हालाकि ये कहानी थोड़ी पुरानी है।लेकिन फिर भी मैं इनके बारे में जानकर अपने आप को इनके बारे में लिखने से नही रोक पाया।साधारण जीवन में मैं और आप और हम जैसे कितने ही लोग अपनी परेशानियों का रोना रोते रहते हैं। हम सभी कही न कही ज़िंदगी के फेर में फंसे हुए महसूस होते हैं।चाहकर भी वो सब नही कर पाते जो हम सच में करना चाहते है।अगर आपको घूमने का शौक हैं।तो कही न कही आपने जरूर इस घूमने के शौकीन जोड़े के बारे में जरूर सुना होगा।दक्षिण भारत में तो लोग इस जोड़े के बारे में जानते हैं।अब देखते है बाकी देश के हिस्सो मे रहने वाले लोग इस जोड़े के बारे में जानकारी रखते है या नही।
मैं बात कर रहा था।कोच्चि केरला के विजयन और मोहना की।जिन लोगो को इनके बारे में नही पता उन्हें बता देना चाहता हु की विजयन और मोहना एक बेहद ही साधारण से परिवार से आने वाले असाधारण कपल थे।ये दोनो मिलकर कोच्चि में एक चाय,कॉफी की दुकान चलाते थे।दोनो को घूमना पसंद था। और आप यकीन नही करेंगे की अपनी छोटी सी चाय की दुकान की आमदनी से ही इस जोड़े ने 25 से भी अधिक देशों की यात्रा की।
हम आए दिन अपनी जिंदगी को कोसते रहते हैं की हमारे पास ये नही है।हमारे पास वो नहीं हैं।वरना हम ऐसा कर देते, वरना हम वैसा कर देते।इस साधारण से जोड़े की कहानी सुनकर हमे सोचना चहिए की कैसे बिलकुल सीमित संसाधनों की मदद से इस असाधारण बुजुर्ग दंपति ने अपने जीवन में इतनी यात्राए की।अपनी चाय की चोटी सी दुकान से अपने सारे सपने पूरे किए।वो कहते है ना की
अगर किसी चीज को सच्चे मन से चाहो।तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में आपकी मदद करती हैं।इस जोड़े का यही एक सपना था की साथ में ज्यादा से ज्यादा देशों की यात्राए की जाए।
ये युगल लगभग 25 देश साथ में घूम चुका था। इन्होंने साथ में सिंगापुर ,अमेरिका , दुबई, ईजिप्ट, यूरोप, ब्रिटेन, फ्रांस, साउथ अफ्रीका, ब्राजील, पेरू, अर्जेन्टीना आदि और इत्यादि देश देखे।और भी देश इन्हे देखने थे।लेकिन 2021 में हृदय की गति रुक जाने की वजह से 70 वर्ष की आयु में विजयन इस दुनिया से अपने अनंत सफर पर अकेले चले गए। जब इनकी मृत्यु हुई तब ये अपने जापान और कोरिया देश की आगामी यात्राओं की तयारियो में थे। विजयन के जाने के बाद मोहना ने भी कोई यात्रा नही की।इनकी भी थोड़ी हिम्मत जवाब देने लगी।तब इनकी बेटी और दामाद ने इन्हे जापान और कोरिया की यात्रा करवाने का बीड़ा उठाया। इनके सफर इनकी नाती भी साथ थी। इस तरह जापान और कोरिया की यात्रा पूरी करके विजयन के अधूरे सपने को भी पूरा किया। लगभग 15 दिनो की जापान और कोरिया की यात्रा करने के बाद अब मोहना फिर से पहले के जैसा महसूस करने लगी हैं। वैसे भी विजयन ने इन्हे कहा था।की
अगर मैं न रहूं तो भी जीवन में यात्रा करना बंद मत करना।
एक जगह तो रुका हुआ पानी भी खराब हो जाता है। तो हम और आप क्या चीज है। पानी के जैसा बेपरवाह बहना सीखो। बहते रहना अर्थात चलते रहना का नाम ही जिंदगी है। मोहना ने इस उम्र के इस पड़ाव पर भी रुकना नही सीखा
अब उनका परिवार उनके नाती पोते, उनकी बेटी और दामाद
उनकी इस काम में मदद करते है।मोहना अब थोड़ी और मजबूत हुई है। पहले विजयन सारा जिम्मा अपने पास रखते थे। लेकिन अब मोहना सारा जिम्मा खुद उठाती है।जिंदगी किस मोड़ पर कैसी करवट ले ये कोई नही जानता हमे बस तैयार रहना है। मोहना के चरित्र से हम इतना तो सीख ही सकते है।
इस जोड़े की कहानी लंबे समय तक लोगो को प्रेरणा देती रहेगी की सपने देखना मत छोड़ो।बल्कि हाथ मुंह धोकर उनके पीछे पड़ जाओ।हार मत मानो।आप अपनी साधारण जिंदगी को भी असाधारण बना सकते हो।सिर्फ आपको थोड़ा जुनूनी होना पड़ेगा।ये मत सोचिए की लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं।आप सिर्फ अपने सपने के बारे में सोचो हालाकि विजयन अब इस दुनिया में नही हैं।
लेकिन लेकिन मोहना ने अभी भी हार नही मानी हैं। वो अपनी बाकी की बची जिंदगी में भी ज्यादा से ज्यादा दुनिया देखना चाहती हैं। अभी भी उनकी बकेट लिस्ट में काफी देशों की यात्रा करना बाकी है।भले ही वो अभी अकेली है लेकीन अदृश्य रूप में विजयन अभी भी उनके साथ में है।
अगर आप इस जुनूनी घुमक्कड़ जोड़े की कहानी से 1 प्रतिशत भी बदलाव अपने अंदर पाते है।तो जरूर बताइए।