अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का।

Tripoto
29th May 2023
Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT
Day 1

हमारे देश भारत में महाभारत और रामायण सिर्फ धार्मिक पुस्तकें ही नही है वरन उनसे कुछ ज्यादा हैं। शायद ही हमारे देश में कोई ऐसा हो जिसने इन दोनो महत्त्वपूर्ण पुस्तको के बारे में ना सुना हो । एक साधारण शब्दों में कहा जाए तो ये दोनो महत्त्वपूर्ण पुस्तके सनातन संस्कृति ,धर्म की रीढ़ है। 
ये हमे सही दिशा देती है। हमे बताती है की हमे क्या करना चाहिए। और क्या नही। समाज में कैसे रहना चाहिए । कैसा बरताव करना चाहिए। महागाथा महाभारत में एक समय जब अर्जुन अपना विवेक खो देता हैं। और अपना गांडीव धनुष नीचे रख देता है। और धर्म युद्ध नही करना चाहता है।
तब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को दिव्य ज्ञान देते हैं। तथा अर्जुन को बताते है। की अब युद्ध क्यों जरूरी है।  और तुम्हे इससे नही भागना चाहिए।  भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन की सभी दुविधाओं का अंत करते हुए अपने श्रीं मुख से भागवत
गीता का ज्ञान देते है । अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के मध्य हुए इस वार्तालाप,संवाद को ही भागवत गीता कहा जाता है।
किन्ही दो व्यक्तियों के मध्य ये अब तक की सबसे बेहतरीन,
वार्तालाप है।  अर्जुन को युद्ध को लेकर , आत्मा को लेकर , परिवार को लेकर , धर्म को लेकर , कर्तव्य को लेकर काफी सारी दुविधा थी। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन की सभी दुविधाओं का अंत करते है।  अपने श्रीमुख द्वारा बोली गई
ज्ञान वाणी में । गीता मानव सभ्यता की सबसे नायाब किताब हैं। गीता का ज्ञान अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में एक वट वृक्ष के समीप दिया था।
कहा जाता है । गीता का ज्ञान सुनकर वो वट वृक्ष भी अमर हो गया है।  वो वट वृक्ष अभी भी कुरूक्षेत्र में स्थित है।
यकीन न आए तो तस्वीरे देखिए।

Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT
Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT
Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT

अगर किवदंतियों की माने तो गीता आजसे लगभग 5000 वर्ष पूर्व श्री कृष्ण द्वारा कही गई थी।  तो आसानी से समझा
जा सकता है की ये पेड़ ( वट वृक्ष) लगभग उतना ही पुराना है।  इस वट वृक्ष को अक्षय वट वृक्ष भी कहा जाता हैं। क्योंकि लोगो का विश्वास है की ये वृक्ष सदियों से चला आ रहा है।  और कभी समाप्त नही होगा । क्योंकि इस वृक्ष ने स्वयं श्री कृष्ण को देखा हैं , महाभारत का युद्ध देखा है ,
स्वयं श्री कृष्ण के श्री मुख से संपादित दिव्य ज्ञान भगवत गीता का रसपान भी किया है।  इसीलिए अब ये पेड़ अजर और अमर हो चुका है। ऐसा लोगो का मानना और विश्वास हैं। लोगो की इस वृक्ष के साथ आस्था जुड़ी है। कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र की संज्ञा भी दी जाती हैं। यही पर मानव इतिहास का सबसे विध्वंशक युद्ध लडा गया था।
यही कुरुक्षेत्र में युद्ध के मैदान के मध्य भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान भी दिया था । आज भी गीता का ज्ञान देश दुनिया में लोगो को सही दिशा दिखलाता हैं।

Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT
Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT
Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT

आज भी कुरूक्षेत्र में ज्योतिसर नामक जगह पर ये अक्षय, अजर अमर वट वृक्ष स्थित है । जोकि अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के मध्य हुए उस एतिहासिक वार्तालाप का एकमात्र
साक्षी है । जो वार्तालाप को हम भागवत गीता से जोड़ कर देखते है।  कहने को तो भगवान श्रीकृष्ण ने ये सभी प्रमुख बाते सिर्फ अर्जुन को कही थी।  वो भी उस कालखंड में ,
उस युग में लगभग 5 000 साल पूर्व लेकिन आज भी गीता की सभी बाते उतनी ही सत्य और प्रासंगिक हैं।
धन्य है वो वृक्ष जिसने ऐसा कुछ देखा , सुना है।  जिसने भगवान श्रीकृष्ण को गीता का ज्ञान देते हुए देखा है। वो भयानक महाविनाशकारी, युद्ध देखा है।  इतने युग देखे हैं ।
लेकिन फिर भी वो खड़ा है।

Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT
Photo of अक्षय वट–कुरुक्षेत्र उस पेड़ की कहानी जो साक्षी है श्री कृष्ण के गीता उपदेशों का। by KAPIL PANDIT

कैसे पहुंचे – दिल्ली से कुरुक्षेत्र की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है।  आसानी से अपनी कार , बस रेलवे के माध्यम से जा सकते है।  कुरुक्षेत्र से 7 या 8 किलोमीटर की दूरी पर ज्योतिसर नामक एक तीर्थ है। जहा ये अक्षय वट
स्थित है।
तो कभी आपका जाना कुरुक्षेत्र की तरफ हो तो इस तीर्थ क्षेत्र को देखना न भूलें ।

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