हिमाचल प्रदेश में 5 शक्तिपीठ है | हर साल लाखों श्रदालु इन पवित्र तीर्थ पर यात्रा करने के लिए जाते हैं| हिमाचल प्रदेश में नैनादेवी, चिंतपूर्णी, जवाला जी, ब्रजेश्वरी देवी कांगड़ा और चामुण्डा जी शक्ति पीठ है| इस पोस्ट में हम इन पवित्र जगहों की यात्रा के बारे में जानेंगे|
1. नैना देवी मंदिर
नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है जिसकी ऊंचाई 900 मीटर है | इस क्षेत्र की नैना देवी पहाड़ी सबसे ऊंची जगह है| माता नैना देवी मंदिर का नाम 51 शक्तिपीठों में आता है| ऐसा कहा जाता है जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर पूरे ब्राहमंड में तांडव कर रहे थे तो विश्व में उथल पथल हो रही थी| उस समय भगवान विष्णु ने अपने तीर से माता सती के 51 हिस्से कर दिए| यह 51 हिस्से जहाँ जहाँ गिरे वह जगहें शक्ति पीठ बन गई| माता नैना देवी में माता सती के नेत्र गिरे थे| इसलिए इस जगह को माता नैना देवी कहा जाता है| इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में राजा बीर चंद ने करवाया था| पहले इस मंदिर तक पैदल ही चलना पड़ता था| अब मंदिर के पास तक आप गाड़ी से जा सकते हो लेकिन थोड़ा पैदल फिर भी आपको चलना पड़ेगा| अब तो आप रोपवे में बैठ कर कुदरती नजारों का आनंद लेते हुए भी यहाँ आ सकते हो |
दर्शन करने के बाद हम सीढ़ियों से उतरते हुए माता नैना देवी मंदिर न्यास के लंगर घर में पहुँच गए| सात बजे का समय था | सुबह सुबह चाय और बिसकुट का भंडारा चल रहा था| हमने भी लंगर में बैठ कर गरमा गरम चाय के साथ बिसकुट का आनंद लिया| फिर हम नैना देवी के बाजार की सीढ़ियों को उतरते हुए वापस कार पार्किंग के पास पहुंच गए| यहाँ एक छोटे से ढाबे में हमने आलू के परांठे के साथ ब्रेकफास्ट किया| फिर मैंने गाड़ी नैना देवी से भाखड़ा डैम वाले रोड़ की तरफ दौड़ा ली | जल्दी ही हम गोबिंद सागर डैम, भांखडा बांध को बाहर से देखते हुए नंगल की ओर बढ़ गए | आप आनंदपुर साहिब के साथ माता नैना देवी, गोबिंद सागर झील, भांखडा बांध और नंगल का टूर एक साथ बना सकते हो| दो तीन दिन में आप इन सभी जगहों को देख लेंगे|
कैसे पहुंचे- नैना देवी बिलासपुर जिले में एक तहसील है जो हिमाचल प्रदेश में है| नैना देवी बिलासपुर शहर से 70 किमी, आनंदपुर साहिब से 22 किमी, नंगल से 35 किमी दूर है| आप यहाँ बस से या अपनी गाड़ी से पहुँच सकते हो| नैना देवी के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब और नंगल डैम है| निकटतम एयरपोर्ट चंडीगढ़ है | रहने के लिए आपको नैना देवी में मंदिर न्यास की धर्मशाला के साथ होटल आदि की सुविधा भी मिल जाऐगी|
2. चिंतपूर्णी माता मंदिर
हिमाचल प्रदेश का यह प्रसिद्ध तीर्थकेंद्र ऊना से 52 किमी दूर हैं। इस माता को सिर विहीन छिन्नमस्तिका के रूप में भी जाना जाता हैं। एक कथा के अनुसार देवी ने मलदास नाम के ब्राह्मण को सपने में दर्शन देकर उसे मंदिर बनाने के लिए कहा, उससे यह भी कहा जो.भक्त श्रद्धा से यहां माता की पूजा करेगा उसकी सारी चिंता और तनाव खत्म हो जाएंगे। इसीलिए माता चिंतपूर्णी को चिंता दूर करनेवाली माता कहा जाता हैं।
मंदिर में बहुत भीड़ थी, हमनें माता के मंदिर में माथा टेक कर माता का आशीर्वाद लिया और अगले पडा़व की ओर बढ़ गए।
दोस्तों जब भी हम अपने घर से कांगड़ा घाटी के लिए जाते हैं तो पहला पड़ाव माता चिंतपूर्णी मंदिर रखते हैं |
मेरे घर से तकरीबन 220 किमी की दूरी पर हैं यह खूबसूरत मंदिर। वैसे भी माता का दरबार पंजाब की सीमा से पास होने की वजह से पंजाबी इस मंदिर में बहुत जाते हैं। चिंतपूर्णी में पंजाब के तकरीबन हर छोटे बडे़ शहर के लोगों द्वारा बनाई हुई धर्मशाला बनी हुई हैं, मेरे शहर बाघापुराना की, जिला मोगा की, लुधियाना की, फिरोजपुर की , और भी सभी शहरों ने अपनी धर्मशाला बनाई हुई हैं, आप किसी भी शहर की धर्मशाला में बहुत ही सस्ते रेट में कमरा लेकर रह सकते हो।
दोसतों मेरी यह यात्रा मेरे मामा जी, उनके बेटे और उसके दोस्त के साथ 2014 में हुई थी। दोसतों उस समय हमारे पास गाड़ी नहीं होती थी। हमनें 4 दिन के लिए गाड़ी किराए पर की और कांगड़ा घाटी की सैर पर निकल पड़े| घर से 6 बजे हम तैयार होकर हमनें यात्रा शुरू की, मोगा, धर्मकोट, शाहकोट होते हुए हमने नकोदर के पास संधू ढाबा में ब्रेक लगाई, घर से लाए हुए परौठों के साथ चाय पी, फिर जालंधर के टरैफिक से बचने के लिए नकोदर से फगवाड़ा होकर हुशियारपुर पहुंच गए। होशियारपुर से माता चिंतपूर्णी की दूरी 56 किमी हैं, होशियारपुर से थोड़ा आगे जाकर पहाड़ी रास्ता शुरू हो जाता हैं, पंजाब में भी कुछ पहाड़ी गाँव हैं, जिन्हें देखकर मन बहुत खुश होता हैं, पहाड़ियों को पार करके हम हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में प्रवेश करते हैं, सबसे पहले कसबा आता हैं गगरेट, यहां पर जंगल में शिवबाड़ी नाम से मशहुर मंदिर हैं, जो गुरू द्रोणाचार्य के शिष्यों की धनुर्विद्या का अभ्यास करने की जगह थी, यह मंदिर गुरू द्रोणाचार्य ने अपनी पुत्री जयती के लिए बनाया, मंदिर के दर्शन करके हम आगे बढ़ गए
गगरेट के आगे मुबारकपुर होते हुए हम भरवाई पहुंचे जहां से हाईवे से माता का मंदिर 3 किमी दूर हैं, जल्दी ही हम माता चिंतपूर्णी पहुंच गये।
3. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वाला देवी मंदिर विश्व विख्यात है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर विष्णु चक्र से कटकर माता सती की जीभ गिरी थी। यहां माता ज्वाला के रूप में विराजमान हैं और भगवान शिव यहां भैरव के रूप में स्थित हैं। यहां दर्शन करने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। राजा भूमि चंद ने इन जवाला की खोज की और यहाँ मंदिर का निर्माण करवाया| मंदिर में 14 जगहों पर जवाला प्रगट हुई है| जवाला जी में गोरबडिब्बी, राधाकृष्ण मंदिर, शिवशक्ति, कालभैरव मंदिर आदि बने हुए हैं| यहाँ पर अकबर ने छत्र चढ़ाया था जो आप देख सकते हो| कांगड़ा से जवाला जी की दूरी 25 किमी है|
4. ब्रजेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा
यह देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा नगर में है| यहाँ पर माता सती के वक्ष गिरे थे| यह मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में आता है| मंदिर कांगड़ा नगर के मध्य भाग में एक पहाड़ी पर बना हुआ है| इस मंदिर में एक बड़ा और ऊंचा शिखर बना हुआ है जिसके नीचे माँ की पिंडी विराजमान है| मंदिर के पास ही धयानु भक्त स्थल, महादेव मंदिर, वीरभद्र मंदिर आदि बने हुए हैं| रहने के लिए कांगड़ा में हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|
5. चामुण्डा मंदिर - यह मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे पर स्थित है| यह एक शांत रमणीक जगह है| यह वही जगह है जहाँ राक्षस चंड मुंड देवी से युद्ध करने आए और काली रुप धारण करके माता ने उनका वध किया| तब से यह जगह चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध हो गई| मंदिर बड़ा और दो मंजिला बना हुआ है| मंदिर में एक हाल बना हुआ है जहाँ श्रदालु माँ के दर्शन करते हैं| ठहरने के लिए चामुण्डा जी में अनेक धर्मशाला और होटल बने हुए हैं|