गुजरात काफी बड़ा राज्य है इसमें सौराष्ट्र, कच्छ, उत्तर गुजरात और दक्षिण गुजरात आदि भाग है| आज हम उत्तर गुजरात के बारे में बात करेंगे| उत्तर गुजरात राजस्थान के साथ लगा हुआ है| इसका पश्चिम भाग कच्छ से जुड़ता है| इस क्षेत्र में बहुत सारी देखने लायक जगहें है| उत्तर गुजरात में बनासकांठा, साबरकांठा, अरावली, पाटन, मेहसाणा और गांधीनगर जिले आते हैं| इस पोस्ट में हम बात करेंगे उत्तर गुजरात में घूमने लायक जगहों के बारे में|
1. पोलो फोरेस्ट गुजरात
गुजरात के उत्तर पूर्व में राजस्थान बार्डर के पास साबरकांठा जिले में पोलो फोरेस्ट एक अद्भुत जगह है| पोलो फोरेस्ट कुल 400 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है| पोलो फोरेस्ट में आप घने जंगल, नदी, डैम और ईतिहासिक मंदिरों को देख सकते हो| मुझे भी 1 अकतूबर 2022 को पोलो फोरेस्ट की यात्रा करने का मौका मिला| अक्सर मेरी गुजरात की यात्राएँ राजकोट से शुरू होती है | इस बार भी पोलो फोरेस्ट की यात्रा राजकोट से ही शुरू हुई | 30 सितम्बर 2022 को मैं रात को 10 बजे गुजरात रोडवेज की बस से अगले दिन सुबह 1 अकतूबर 2022 को उत्तर पूर्व गुजरात के शहर हिम्मत नगर पहुँच गया| हिम्मत नगर गुजरात के साबरकांठा जिले का मुख्यालय है | पोलो फोरेस्ट के सबसे करीबी शहर भी है | हिम्मत नगर में ही उत्तर गुजरात बिजली विभाग में मेरा प्रिय मित्र तेजस मोदी आफिसर लगा हुआ है| तेजस भाई से मेरी पहले बात हो गई थी पोलो फोरेस्ट जाने के लिए| मैं सुबह हिम्मत नगर पहुँच कर तैयार होकर तेजस भाई के आफिस में पहुँच गया| कुछ देर बातचीत करके मैं और तेजस भाई गाड़ी लेकर पोलो फोरेस्ट घूमने के लिए निकल गए| हिम्मत नगर से ईडर होते हुए दोपहर को एक होटल में लंच करके हम विजयनगर की तरफ रवाना हो गए| हिम्मत नगर से पोलो फोरेस्ट की दूरी 70 किमी के आसपास है| तेजस भाई बिजली विभाग में आफिसर है और हम विजयनगर पहुँच कर वहाँ के सब सटेशन बिजली घर को चैक करने के लिए पहुँच गए| वहाँ के अधिकारियों ने हमारा सवागत किया चाय पानी पीकर कुछ समय वहाँ बिता कर हम विजयनगर से पोलो फोरेस्ट की ओर बढ़ने लगे | विजयनगर से पोलो फोरेस्ट जाते समय एक बैरीयर को पार करते हुए हम पोलो फोरेस्ट में प्रवेश कर गए|
पोलो शब्द का अर्थ होता है द्वार ( गेट) | पोलो फोरेस्ट में अंदर जाने के बाद ही हवा का रुख बदल गया| दोपहर की गर्मी में ठंडी हवाओं ने हमारा सवागत किया| सड़क के दोनों तरफ छांवदार बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे| शहरों की भीड़भाड़ से दूर सकून वाली फीलिंग आ रही थी | जंगल में बिलकुल शांति थी| सड़क भी खाली थी | एक जगह पर पोलो फोरेस्ट का लिखा हुआ बोर्ड दिखाई दिया| हमने जंगल के बीच सड़क में गाड़ी रोककर जंगल में उतर कर कुदरत के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया| सड़क से थोड़ा हटकर घने जंगल को फील किया| फिर पोलो फोरेस्ट के बोर्ड के सामने कुछ फोटोग्राफी की और दुबारा गाड़ी में बैठ कर आगे बढ़ गए| इसके बाद हम मेन रोड से एक छोटी सी सड़क की तरफ मुड़ गए| तेजस भाई अक्सर पोलो फोरेस्ट घूमने के लिए आते जाते रहते हैं इसलिए उन्हें इन रास्तों की अच्छी जानकारी है| थोड़ा आगे चलने के बाद फिर एक बैरीयर को पार करते हुए हम हरनव नदी के ऊपर बने हरनव डैम पर पहुँच गए| घने जंगल के बीच हरे भरे पहाड़ों से घिरा यह क्षेत्र बहुत खूबसूरत लग रहा था| थोड़ी दूर हरे भरे पहाड़ दिखाई दे रहे थे और सामने हरनव नदी के ऊपर बने डैम की वजह से बनी हुई खूबसूरत झील मन मोह रही थी| दोपहर का समय, बिलकुल शांत और कुदरत की गोद में ऐसा लग रहा था जैसे भागदौड़ वाली जिंदगी कुछ पल के लिए इस जगह पर आराम कर रही हैं| इस जगह पर कुछ समय तक रुके| कुदरत के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया कुछ तस्वीरें खींची | फिर हम पोलो फोरेस्ट के बीच में बनी पोलो नामक जगह पर पहुँच गए| इस जगह पर थोड़ी चहल पहल दिखाई दी | कुछ दुकानों के साथ ठेले लगे हुए थे मैगी और सनैकस खाने के लिए| यहाँ पर पोलो फोरेस्ट में फोरेस्ट रैसट हाऊस भी बना हुआ है| यहाँ सामने नदी जंगल के बीच खूबसूरत दृश्य पेश करती है| इसी नदी को पार करने के बाद जंगल के बीच चलने के बाद एक शानदार मंदिर बना हुआ है| हम भी वहाँ जाना चाहते थे लेकिन पिछले साल दो साल से उस मंदिर में मुरम्मत का काम चल रहा है| जिस वजह से मंदिर बंद है और आप वहाँ नहीं जा सकते| पोलो फोरेस्ट में दो तीन पुराने मंदिर बने हुए हैं| इसके आगे हम थोड़ी दूर शिव शक्ति मंदिर को देखने के लिए पहुँच जाते हैं| इस मंदिर की भी मुरम्मत हो रही है लेकिन घने जंगल के बीच बने इस मंदिर की मूर्ति कला आपको मंत्रमुग्ध कर देगी| मैंने इन खूबसूरत मूर्ति कला को अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर लिया| फिर हम पोलो फोरेस्ट में आभापुर गाँव के पास बने हुए ईतिहासिक शरणेश्वर मंदिर पहुँच जाते हैं| यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है| यह भवय मंदिर है | हमने इस मंदिर के दर्शन किए| ऐसा कहा जाता है इन मंदिरों को ईदर के राजाओं ने बनाया और विजयनगर को अपनी राजधानी बनाया| मुगलों ने इन ईतिहासिक मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया| सरकार अभी इन पुरातन धरोहरों को संभालने का काम कर रही है| इस जगह को देखकर हम पोलो फोरेस्ट से बाहर निकल कर दुबारा मेन रोड़ पर चढ़ते हुए हिम्मत नगर की तरफ बढ़ गए|
कैसे पहुँचे- पोलो फोरेस्ट जाने के लिए आपको अहमदाबाद आना होगा जो यहाँ से 170 किलोमीटर दूर है, जिला मुख्यालय हिम्मत नगर पोलो फोरेस्ट से 70 किमी दूर है| यहाँ रहने के लिए बहुत कम सुविधाएं हैं हालांकि अब पोलो फोरेस्ट के आसपास कुछ होटलों का निर्माण हो रहा है| घूमने के लिए भी आपको यहाँ अपने साधन पर आना होगा| अगर आप शहरों की भीड़भाड़ से घने जंगल में यात्रा करने चाहते हो तो पोलो फोरेस्ट एक अच्छा विकल्प है|
2. रानी की वाव गुजरात
दोस्तों वैसे तो मुझे इस ईतिहासिक जगह के बारे में थोड़ा पता था, लेकिन जबसे भारत सरकार ने इस जगह को 100 रूपये के नये नीले रंग के नोट पर छपवा दिया तो मेरी इच्छा और प्रबल हो गई रानी की वाव को देखने के लिए जो विश्व विरासत सथल भी हैं। मेरी यह इच्छा पूरी हुई सितंबर 2019 में, जब घर से राजकोट आना हुआ, कोटकपूरा से रेलगाड़ी से बठिंडा, बीकानेर, जोधपुर, आबू रोड़, पालनपुर होता हुआ मैं गुजरात के सिद्ध पुर सटेशन पर उतर गया, वहां से बस लेकर गुजरात की पुरानी राजधानी पाटन पहुंच गया। वहां से थोड़ी दूर ही रानी की वाव हैं जहां एक आटो पकड़ कर मैं पहुंच गया।
#रानी की वाव
वाव कुएँ को कहते हैं और इस वाव को रानी उदयमति ने अपने पति सोलंकी वंश के राजा भीमदेव 1 की याद में बनाया। यह वाव बहुत ही खूबसूरत बनाया हुआ है, सीढियों से उतर कर नीचे तक जाया जा सकता हैं, यह वाव लोगों को पानी सपलाई करने के लिए बनाया गया। यह वाव 27 मीटर गहरा हैं, लगभग 500 के करीब कलाकृतियों से भरा पड़ा हैं जो पत्थर पर नककाशी करके बनाई हुई हैं, जिसमें विष्णु जी के 10 अवतारों, नाग कन्या, योगिनी, अपसरा सोला शिगार करती हुई बनी हुई हैं। दोस्तों मैंने यहां 150 रूपये में एक गाईड ले लिया जिसने मुझे यह सब बताया और दिखाया। इस जगह को घूमकर मुझे बहुत आनंद आया, हमारा भारत म इतनी खूबसूरत धरोहरों से भरा पड़ा हैं, जरूरत हैं वहां जाकर इनको देखने की, ईतिहास को महसूस करने की।
कैसे पहुंचे- रानी की वाव अहमदाबाद से 125 किमी दूर 2.5 घंटे में पहुंच सकते हैं, मेहसाणा से 65 किमी, सिद्ध पुर 34 किमी हैं जो पाटन के बहुत पास का रेलवे सटेशन हैं यहां से बस से पाटन जा सकते हो। पाटन में रहने के लिए बहुत सारे होटल हैं।
3. सूर्य मंदिर मोढ़ेरा (गुजरात)
दोस्तों सितंबर 2019 में राजकोट जाते समय रानी की वाव देखने के बाद, मैं पाटन से गुजरात रोड़वेज की बस लेकर शाम को 4 बजे मोढ़ेरा पहुंच गया, मैंने कंडक्टर को बता दिया था मुझे सूर्य मंदिर जाना हैं, इसलिए उसने मुझे मोढ़ेरा बस सटैड़ से पहले ही मंदिर के पास उतार दिया।
दोस्तों दूसरे मंदिरों के मुकाबले सूर्य मंदिर बहुत कम हैं, उडी़सा में कोणार्क मंदिर बहुत मशहूर हैं, लेकिन मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर भी बहुत लाजवाब हैं।
इस खूबसूरत मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमा 1 ने 1026 ईसवी में बनाया, 2026 ईसवी को इस मंदिर के 1000 साल पूरे है जायेंगे इतना पुरातन मंदिर हैं यह। मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा कुंड बना हुआ हैं, मंदिर के पास वाली जगह में बहुत खूबसूरत गार्डन बना हुआ हैं, घास, फूल बूटियों से इसको बहुत खूबसूरत बनाया गया हैं। इस खूबसूरत मंदिर में पतथर पर की हुई कलाकृतियों ने मन मोह लिया। मंदिर के सामने कुंड हैं, सीढियों को चढ़ कर तोरन बना हुआ हैं जिसे हम गेट भी बोल सकते हैं, तोरन के आगे सभा मंडप हैं जिसे हम असैंमबली हाल भी कह सकते हैं, इसमें धार्मिक फंक्शन हुआ करते होगें। नृत्य मंडप में डांस परफॉर्मेंस होती होगी। गरभ गृह में मेन मंदिर हैं, जहां सबसे पहले सुबह की सूर्य की किरन पड़ती हैं। मंदिर की दीवारों पर , पत्थर पर की हुई कलाकारी मंत्रमुग्ध करने वाली हैं। मैंने इस मंदिर में शाम के 4 बजे से 6 बजे तक दो घंटे गुजारे, फिर मैं 6 बजे बस लेकर मेहसाणा पहुंच गया, वहां से रात को 9 बजे की बस से राजकोट की ओर चला गया।
कैसे पहुंचे- मंदिर मेहसाणा से 26 किमी और अहमदाबाद से 100 किमी दूर है| रहने के लिए मेहसाणा शहर बढिय़ा हैं| साथ ही आप रानी की वाव भी देख सकते हो।
4. गुजरात में मेहसाणा के पास सरस्वती नदी के किनारे पर बसा हुआ सिद्धपुर एक प्राचीन तीर्थ है जो पांच पवित्र सरोवरों में से एक बिंदु सरोवर के लिए प्रसिद्ध है| मैं जब भी पंजाब से राजकोट गुजरात के लिए जाता हूँ तो सिद्धपुर रेलवे स्टेशन से गुजरता था| काफी बार मन में आया किसी दिन सिद्धपुर को देखा जाए| फिर एक बार घर से अहमदाबाद रेलगाड़ी से जाते समय मैं अचानक सिद्धपुर उतर गया हालांकि टिकट मेरी अहमदाबाद की थी| सिद्धपुर रेलवे स्टेशन पर उतर फ्रैशहोकर नहा धोकर मैंने सिद्धपुर घूमने के लिए रिकशा बुक कर लिया जिसने मुझे तीन सौ रूपये में सिद्धपुर घुमा दिया|
बिंदु सरोवर का नाम पंच सरोवरों में आता है| इस जगह को मातृ गया भी कहते हैं| इस जगह का प्राचीन नाम श्रीस्थल है| इस सरोवर के पास ही सरस्वती नदी बहती है| आटो वाले ने मुझे बिंदु सरोवर के गेट के बाहर उतार दिया| फिर मैं दर्शन करने के लिए बिंदु सरोवर के पास पहुंच गया| पंच सरोवरों के नाम इस प्रकार है |
1. मानसरोवर (चीन)
2. पुष्कर सरोवर (राजस्थान)
3 बिंदु सरोवर सिद्धपुर (गुजरात)
4. नारायण सरोवर (गुजरात)
5 पंपा सरोवर (कर्नाटक)
जैसे गया धाम पितृश्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है वैसे ही मातृश्राद्ध के लिए सिद्धपुर प्रसिद्ध है| यहाँ शुद्ध मन से जो भी कामना की जाती है वह पूरी हो जाती है| बिंदु सरोवर 40 फीट चौड़ा एक कुंड है| इसके चारों ओर पक्के बांध बने हुए हैं| इस पवित्र सरोवर में स्नान करने के बाद यहाँ मातृश्राद्ध करते हैं| बिंदु सरोवर सरस्वती नदी से दो किलोमीटर दूर है| सरस्वती नदी का संगम किसी भी सागर में नहीं होता है| सरस्वती नदी की धारा गुजरात के कच्छ में लुप्त हो जाती है| इसलिए सरस्वती नदी को कुमारी नदी भी कहते हैं| बिंदु सरोवर के पास महा ऋषि कर्दम, माता देवहूति, महा ऋषि कपिल आदि की प्रतिमाएँ बनी हुई है|
5. अंबा जी - अंबाजी गुजरात में राजस्थान बार्डर के पास एक शक्तिपीठ है| ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर माता सती का हदय गिरा था| हर साल यहाँ लाखों श्रदालु माथा टेकने के लिए आते हैं| यहाँ पर अंबा माता का खूबसूरत मंदिर बना हुआ है