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हमारे देश में रेलगाड़ी द्वारा यात्रा करना यात्रा करने का सबसे सरल ,सुलभ ,सुचारू ,सस्ता ,और सबसे पसंदीदा माध्यम है । देश भर में भारतीय रेलवे का नेटवर्क है। आप पूरब में गुहावाटी से लेकर पश्चिम में गुजरात तक उत्तर में जम्मू कश्मीर से लेकर दश्चिन भारत में कन्याकुमारी तक का सफर भारतीय रेलवे के माध्यम से कर सकते हो । भारतीय रेलवे का दुनिया भर की रेलवे में अलग स्थान है । जैसे जैसे देश आगे बढ़ रहा है। रेलवे ने भी अपनी कमर कस ली है।
अभी हाल ही के कुछ वर्षो में भारत में वन्दे भारत जैसी स्टाइलिश, खूबियों से भरपूर , तेज रफ्तार से चलने वाली
रेलगाड़ियां कुछ रूट्स पर शुरू की गई है। उन्ही रूट्स में से एक रूट है। कटरा माता वैष्णो देवी स्टेशन ( जम्मू और कश्मीर संभाग ) से नई दिल्ली । माता वैष्णो देवी मंदिर की यात्रा को जाने और आने वालो भक्तों के लिए तो ये ट्रेन एक सौगात हैं। ये ट्रेन बाकी ट्रेनों जैसी बिलकुल भी नही हैं।
यकीन न आए तो पहले कुछ तस्वीरे देखे ।
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अभी कुछ ही दिनों पहले मुझे भी माता वैष्णो देवी का बुलावा आया। मुझे आपने कुछ मित्रो के साथ माता वैष्णो देवी की यात्रा का सौभाग्य प्राप्त हुआ । हमारी वापसी कटरा स्टेशन से नई दिल्ली इसी ट्रेन से थी। मैं इस रेल यात्रा के लिए थोड़ा रोमांचित और प्रसन्न भी था । जो की होना लाजिमी भी है। औरों का ज्यादा पता नही लेकिन मुझे छुटपन, बचपन से ही रेल गाड़ियां अपनी और आकर्षित करती थी। रेलगाड़ियों को देखना और उन्हें निहारना मुझे बड़ा पसंद था।
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तो जबसे इस ट्रेन के बारे में पता चला तभी से इस ट्रेन में यात्रा करने की सोच रहा था । हम लोग तो बचपन से रेलगाड़ियों में सफर कर रहे है। लेकिन इस बार सुखद अहसास या अनुभूति नही हुई । और साहब ऐसे ही कुछ खुबसूरत रेल गाड़ी बना देने से कोई रेलयात्रा थोड़े ही ना बन जाती है। रेलयात्रा को अनोखा बनाते है लोग। जैसे की पहले देखते थे । सीटों को लेकर लड़ाई, वो रुमाल रखकर ,सीट रोकने की कला, वो 3 की सीट पर 10 लोगो का बड़े प्यार से मेलमिलाप से बैठना , कितना अपना पान होता था । लेकिन इस ट्रेन में साहब कोई लड़ाई नही, तीन लोगो की सीट पर सिर्फ 3 लोग , न कोई बद इंतजामी, न रेलगाड़ी के कोच पर चढ़ने उतरने वाले पायदान पर पर कोई बैठ कर यात्रा करने वाला,
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ना वो गंदे बदबूदार बाथरूम और वाश बेसिन, न वो ट्रेन की खिड़की से लटकते लोग ऐसा कुछ भी नही दिखा इसीलिए थोड़ा निराश भी हुआ। हमने तो ऐसी ही रेल यात्राएं की थी तो उन्ही की आदत थी। इतनी अच्छी ,सुंदर ,साफ सुथरी रेल गाड़ियों की आदत नही है न। इसीलिए मुझे अपनी यात्रा थोड़ी बेरंग और बोझिल लगी, कमाल है यार एक भी लड़ाई नही हुई , न कोई यात्रियों के बीच नोक झोंक, ऐसे कौन करता हैं। ट्रेन का वास बेसिन बराबर साफ पानी दे रहा हैं,
वाशरूम भी जगमगा रहा था , बदबू की जगह पहली बार खुशबू आ रही थी । यही चीजे मुझे अजीब लग रही थी। भई
हमे इतने अच्छे माहौल की आदत थोड़े ही है 😉
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प्राय पहले किसी ट्रेन में यात्रा करते थे तो चाय, चाय गर्म, चाय ☕ , ठंडी कोल्ड ड्रिंक्स वाला , चने बेचने वाला , और भी तरह तरह का सामान बेचने वाले वो फेरी वाले, वो हाय हाय चिकने माता रानी तेरा भला करे कुछ तो देकर जा कहने वाले वो सभ्य और शिष्ट लोग , वो गा गाकर भीख मांगने वाली वो मधुर आवाज भी नही सुनने को मिली । यही तो चार्म था रेल यात्रा का 😉 । अब वो भी पहले जैसा नही रहा । सब कुछ इतना अच्छा, इतना अच्छा , स्वादिष्ट, पौष्टिक साफ सुथरा खाना , अच्छे तरीके से परोसा गया , अब इतने अच्छे खाने की तो रेल यात्रा में आदत नही है। इसीलिए थोड़ा अजीब लग रहा था । ये ही पहले मनोरंजन हुआ करता था अब कोई मनोरंजन नही दिखा मुझे
मैं बड़ा मिस करूंगा । उन पुरानी रेल यात्राओं को जो मैने की हैं। कोई सुख सुविधा नही, कोई साफ सफाई नही, वो रेल यात्रियों में होने वाली लड़ाई , वो समान बेचने वालो का आना और आपको आपकी नींद से जगा देना , वो रेलवे वालो का अजीब से स्वाद वाला खाना , नही भूलूंगा मैं
जब तक है जान । जब तक है जान ।
बड़ा मन मारकर ये पोस्ट लिख रहा हु । शायद भविष्य में अब ऐसे ही अच्छी साफ सुथरी, तेज रफ्तार वाली , रेल गाड़ियां के माध्यम से ही सफर करना पड़ेगा। भगवान इतनी
शक्ति दे की मैं इन सभी और ऐसी ही अच्छी अच्छी सुविधाओ वाली रेल गाड़ियों में सफर कर सकू ।
मैं आशा करता हु की आप मेरा मर्म समझ गए होंगे ।😇
निष्कर्ष – लेखक इतनी अच्छी रेल गाड़ी की यात्रा को पचा नहीं पा रहा है। इसीलिए थोड़ी बहकी बहकी सी बात कर रहा हैं। कभी कभी जब आपकी उम्मीदों के परे कुछ होता है।
तो स्थिति ऐसी ही हो जाती है। 😂😂😂
अगर आपने भी वन्दे भारत रेल गाड़ी की यात्रा की है तो अपने अपने अनुभव हमारे साथ जरूर बांटे।