भारत के उत्तर-पूर्वी में सात राज्य हैं जिन में से एक मेघालय हैं। यह एक पहाड़ी राज्य हैं। मेघालय, जिसका अर्थ संस्कृत में 'बादलों का घर' है। अपने नाम की तरह यह राज्य पूरी तरह बादलों से ढका रहता हैं। मेघायल घने जंगलों, उच्च वर्षा और अपनी विविध जैव-विविधता के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। यू तो मेघालय घूमने साल भर टूरिस्ट का ताता लगा रहता हैं पर आज हम आपको मेघालय के एक ऐसे ऑफबीट जगह के बारे में बताने जा रहें जो पहाड़ों,हरियाली और सुकून का प्रतीक माना जाता हैं। तुरा, यह मेघालय राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित हैं और अपने खूबसूरत वादियों के लिए टूरिस्टों की पहली पसंद बन रही हैं।
तुरा
मेघालय के सबसे बड़े शहरों में से एक, तुरा एक घाटी हैं जो तुरा पहाड़ियों के निचले क्षेत्रों में और सीधे तुरा चोटी के नीचे स्थित हैं। यह चारों ओर छोटी छोटी नदियों और हरी घाटियों से घिरा हुआ हैं। तुरा एक खूबसूरत पहाड़ी शहर हैं। मेघालय का यह आकर्षक शहर उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जो शांति और सुकून चाहते हैं। यह शिलांग के बाद मेघालय का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
तुरा में घूमने के लिए शीर्ष स्थान
तुरा चोटी
तुरा चोटी तुरा शहर के पूर्व में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 872 मीटर ऊपर हैं। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि तुरा चोटी भगवान का निवास स्थान हैं।चोटी से, आपको नीचे ब्रम्हपुत्र नदी और बांग्लादेश के पीले मैदानों का शानदार दृश्य दिखाई देता है। तुरा पीक प्रकृति प्रेमियों और पक्षियों को देखने और फोटोग्राफी में रुचि रखने वालों के लिए एक स्वर्ग हैं। यहां आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। तुरा चोटी की यात्रा आपको सुंदरता के करीब लाती है, क्योंकि आप जिले के उच्चतम बिंदुओं में से एक पर चढ़ते हैं। चोटी पर पहुंचने के बाद आपको एक ठंडा, सुखद और स्फूर्तिदायक वातावरण मिलेगा।
नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान
तुरा चोटी से सिर्फ दो किमी की दूरी पे स्थित हैं नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान। प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए यहां दुनिया का पहला जीन अभयारण्य बनाया गया है। साथ ही साथ आपको यहाँ खट्टे फलों की एक बहुत ही दुर्लभ प्रजाति भी देखने को मिल जायेगी। नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान में आपको लाल पांडा, जंगली बिल्लियों की विभिन्न प्रजातियाँ,बाघ और एशियाई हाथी भी देखने को मिल जायेगी। यह वह मंजिल है जिसके बिना आपकी यात्रा अधूरी है। नोकरेक राष्ट्रीय उद्यान तुरा का मुख्य आकर्षण है । पार्क अपने 6 घंटे के ट्रेकिंग ट्रेक के लिए जाना जाता है।
सिजू गुफाएं
सिजू गुफाओं तुरा के मुख्य आकर्षण में से एक हैं। सिजू गुफाएं भारत की सबसे लंबी गुफाओं में से एक हैं और लोकप्रिय रूप से डोबक्कोल या चमगादड़ की गुफा के रूप में जानी जाती हैं। सिजू गुफाओं में कई कक्ष भी हैं जो अनछुए भूलभुलैया बनाते हैं। इस गुफ़ा में जाने से आपको जीवन में एक नया और रोमांचक अनुभव मिलता है ।
पेल्गा जलप्रपात
यह तुरा से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह एक प्राकृतिक स्थान है जहां आप पिकनिक के लिए जा सकते हैं। अधिकांश स्थानीय लोग यहाँ झरने के तल पर मछली पकड़ने का आनंद लेते हैं। यह स्थान अकल्पनीय, स्वर्गीय और पवित्र है। यह एक ताज़ा जलप्रपात हैं। मानसून के समय इसकी खुबसूरती चरम सीमा पे होती हैं।
बलपक्रम राष्ट्रीय उद्यान
बलपक्रम राष्ट्रीय उद्यान तुरा से लगभग 167 किलोमीटर की दूरी पे स्थित हैं। जो कि समुद्र तल से लगभग 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पार्क की स्थापना मेघालय सरकार द्वारा यहाँ उपलब्ध समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के महत्व को महसूस करने के बाद की गई थी। बलपक्रम मेघालय का सबसे सुंदर लेकिन अनछुआ जंगल है। अगर आप प्रकृति से प्यार करते हैं तो यह आने के लिए एकदम सही जगह है।
तुरा घूमने का सबसे अच्छा समय
तुरा की यात्रा का सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च तक की सर्दियों की अवधि के दौरान होता है । दिन में मौसम ठंडा रहता है और रातें सर्द हो सकती हैं। इस दौरान वर्षा न्यूनतम होती है।
कैसे पहुंचे
हवाईजहाज से: तुरा की उड़ानों से कोई कनेक्टिविटी नहीं है, राज्य में उड़ान भरने वाले यात्रियों के लिए निकटतम हवाई अड्डा शिलांग में स्थित है । शिलांग हवाईअड्डा तुरा से केवल लगभग 35 किमी दूर है जहां से आप कैब या टैक्सी बुक कर के यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेल द्वारा: तुरा के लिए कोई सीधी रेल कनेक्टिविटी भी नहीं है। निकटतम रेलवे स्टेशन असम में गुवाहाटी शहर में स्थित है। जहां से आप कैब या टैक्सी बुक कर के यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
सड़क द्वारा: तुरा राष्ट्रीय राजमार्ग 40 के माध्यम से असम में गुवाहाटी और मेघालय में शिलांग से जुड़ा हुआ है। रात की बसों के अलावा, दोनों शहरों से तुरा तक दिन के समय सूमो सेवाएं चलती हैं।
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