
जब कोई व्यक्ति ऑफिस में लगभग दस से बारह घंटे आप के संग बिताता है, तो यह स्वाभाविक है कि वो शख्स ऑफिस कलीग से बढ़ कर आपके लिए होता हैं या यूं कह लीजिए बहुत अच्छा दोस्त बन जाता हैं। ख़ास तौर पे तब जब आपके और उसके विचार मिलते हों। नमस्ते मेरा नाम विशाल हैं और मैं एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्यरत हूं। साथ ही साथ मुझे घूमने फिरने और नई जगहों को एक्सप्लोर करने का बहुत शौक हैं। जब मैंने कंपनी ज्वॉइन की थीं फरवरी 2021 में तो ज्वाइनिंग के कुछ महीने मैं कहीं घूमने नहीं जा पा रहा था। उस वक्त मेरी मुलाकात हुए अनिरुद्ध पटेल से जो की मेरे ही कंपनी में काम करता था। कुछ दिन बात करने के बाद हम दोनों की वाइब्स बहुत मिलने लगीं। उसे भी घूमने फिरने का बहुत शौक था फिर क्या था हमने ऑफिस से छुट्टी लेने का सिलसिला शुरु किया।
किसी भी नए शक्स के साथ पहला ट्रिप बनाना बहुत ही मुश्किल होता हैं। मुझे भी मुश्किल आई पर हम तो ट्रैवलर लोग हैं चीज़े आसान करना जानते हैं। पटेल के जन्मदिन के दिन बना हमारा पहला ट्रिप वो भी एक ऐसी जगह का जहां जाना हम दोनो का सपना था।
जन्मदिन पे उज्जैन का ट्रिप
किसी को जन्मदिन पर आप उपहार में केक,गिफ्ट या पार्टी देते हो। पर हम ट्रैवलर लोग जरा हट के होते हैं, हम जन्मदिन पे ट्रिप प्लान करते हैं। पटेल के बर्थडे पे हम ने उज्जैन का ट्रिप प्लान किया वो भी बाइक से। हमारे कैंप से उज्जैन की दूरी लगभग 170 किलोमीटर हैं। ऑफिस से एक दिन का ऑफ लिया और निकल लिए शिव की नगरी उज्जैन। सुबह लगभग 5 बजे हम उज्जैन के लिए निकलने का प्लान बनाए थे, पर पटेल के लेटलाटिफ आदत की वजह से हम यहां से लगभग 8 बजे उज्जैन के लिए रवाना हुए। शुक्र हो नितिन गडकरी जी का जो रोड़ इतना अच्छा बनवा दिए हैं कि हम 11 बजे ही उज्जैन पहुंच गए। वहां पहुंच के सबसे पहले हमने दर्शन किया फिर काल भैरव गए, घाट से होते हुए हम उज्जैन के शहरों का दीदार किया और रात को लगभग 11 बजे अपने कैंप पहुंचे।

हरिद्वार,ऋषिकेश, देहरादून और मसूरी ट्रिप
उज्जैन ट्रिप के कुछ एक महीने बाद ही हमनें सोचा क्यों ना उत्तराखण्ड का ट्रिप प्लान किया जाए। प्लान तो केदारनाथ का बना रहे थे हम, पर कोविड के प्रोटोकॉल की वजह से हमारा वहां का पंजीकरण नहीं हो पाया। फिर हमनें हरिद्वार ऋषिकेष देहरादून और मसूरी का प्लान बना लिया। हमनें सोचा यहां पे भी हम बाइक से ही घूमेंगे। तो ऋषिकेष पहुंच के सबसे पहले हमने बाइक बुक की 7 दिनों के लिए। हरिद्वार में हमनें आधा दिन दिया गंगा मैया के दर्शन करते ही हम ऋषिकेश के लिए निकल गए। ऋषिकेश में बाइक बुक किया और सबसे पहले नीलकंठ महादेव के दर्शन को निकल गए। महादेव के दर्शन से आते हुए हमनें पटना वॉटरफॉल देखा फिर गंगा किनारे आ गए। दूसरे दिन हम देहरादून के लिए निकले शाम तक देहरादून पहुंचे और सिटी एक्सप्लोर किया फिर सुबह सुबह रॉबर्ट केव और सहस्त्रधारा घुमा। अगले सुबह हम निकल गए मसूरी की ओर सहस्त्रधारा में नहाने की वजह से पटेल के कान में पानी चला गया जिससे उसकी तबियत थोड़ी ख़राब हो गई। शाम को मसूरी पहुंच के हम ने आराम करने का फैसला लिया और सो गए। अगली सुबह हम मसूरी से ऋषिकेश के लिए रवाना हुए और रास्ते में मसूरी के टूरिस्ट प्लेस को एक्सप्लोर किया। ऋषिकेश पहुंच के हमने आरती देखी और राम झूला और लक्षमण झूला देखा। अगली सुबह गंगा किनारे बैठ कर आनन्द लिया और बीटल्स आश्रम देखा और शाम को ट्रेन ले कर कैंप के लिए निकल गया।

पशुपतिनाथ मंदिर, धरमराजेश्वेर मंदिर, कोटेश्वर महादेव ट्रिप
उत्तराखण्ड से आते ही हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो गए की अब हमें जब भी ऑफिस से ऑफ मिलता हम निकल जाते घूमने के लिए। उत्तराखण्ड से आते ही कुछ 15 दिन भी नही हुए होंगे कि हम निकल गए पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन करने। आपको बता दे की पशुपतिनाथ मंदिर मन्दसौर में स्थित हैं। हमनें बाइक उठाई और क़रीब 45 किलोमीटर की राइड की। पशुपतिनाथ के दर्शन के कुछ दिन पहले हमनें कोटेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन किए। बरसात के समय यहां एक बहुत ख़ूबसूरत वॉटरफॉल बन जाता हैं जो इस जगह को और भी खुबसुरत बना देता हैं। इन दिनों मंदिरों के बाद हम कुछ दिनों बाद धर्मराजेश्वेर मंदिर के दर्शन के लिए गए। यह मंदिर पांडाओ ने बनवाया था जिसकी वास्तुकला बहुत ही शानदार हैं।

जयपुर का शानदार लग्जरी ट्रिप
बाइक ट्रिप बहुत करने के बाद हमने सोचा क्यों ना हम थोड़ा लग्जरी ट्रिप का प्लान बनाएं। लग्जरी का नाम सोचे ही हमारे दिमाग़ में बस राजस्थान का ही नाम आता हैं। तो फिर क्या था हम ने जयपुर का प्लान बनाया। त्रिपोटो से हमनें एक पैकेज बुक किया जिसमे हमनें हेरिटेज होटल बुक किया जिसमें सारी सुविधा थी। उस पैकेज में हमनें स्वादिष्ट राजस्थानी भोजन से ले कर कैब की भी सुविधा प्रदान की। पहले दिन हम चौकी ढाणी गए यह एक ऐसा गांव रिजॉर्ट जिसमें आपको राजस्थानी लक्चर दिखने को मिलेगा। चौकी ढाणी के ठीक पहले हमनें बिरला मंदिर, अल्बर्ट हॉल और वर्ल्ड ट्रेड पार्क घुमा। दूसरे दिन हमने नाहरगढ़, जयगढ़ और आमेर महल घुमा। तीसरे दिन हमनें जयपुर के लोकल मार्केट घुमा। जयपुर का हमनें 3 दिन का पैकेज ले रखा था। हमने शाम को कैंप के लिए ट्रेन लिया।

भोले नगरी वाराणसी का दो दिनों का ट्रिप
हम दोनों में ट्रैवल के साथ साथ एक और चीज़ कॉमन हैं वो हैं कि हम दोनों ही भोले बाबा के भक्त हैं। इसलिए जयपुर के ट्रिप में ही हमने डिसाइड कर लिया था कि हम नेक्स्ट ट्रिप पे वाराणसी जायेंगे। तो फिर क्या था होली के छुट्टी से घर से ऑफिस जाते वक्त हमने इस ट्रिप का प्लान किया और पहुंच गए वाराणसी। यहां पहुंच के सबसे पहले हमने बाबा के दर्शन किए फिर नाव में बैठ कर पूरा घाट देखा और आरती भी देखी। दूसरे दिन हमनें बनारस के गलियों का दीदार करते करते हम रामगढ़ फोर्ट पहुंचे और फोर्ट घुमा। फोर्ट घूमने के बाद हमनें बीएचयू घुमा मंदिर के दर्शन किए और फेमस लंका घुमा। तीसरे दिन सुबह सुबह हम निकल गए अपने कैंप के लिए।

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की ट्रिप पटेल के दूसरे ऑफिस ज्वाइन करने की खुशी में
पटेल का लास्ट दिन ऑफिस में था हम रात को बैठ कर बात ही कर रहे थे कि तेरी फेयरवेल को यादगार कैसे बनाएं। फिर पटेल ने कहां बाबा के पास चले फिर पता नहीं कब मौका मिलेगा। फिर हमने ऑफिस से अर्जेंट बहाना बना के छुट्टी ली और निकल गए ओंकारेश्वर। इस बार बस हम दोनों ही नही हमारे साथ हमारे ब्लॉगर भाई ऋषभ भी थे। हम तीनों ने सुबह सुबह ही ओंकारेश्वर के लिए बस पकड़ा और करीब 11 बजे वहां पहुंच गए। वहां पहुंच के हमनें बाबा के दर्शन किए नाव से मंदिर की परिक्रमा की। साथ ही साथ आस पास के सारे मंदिरो के दर्शन किया। सुबह सुबह उठ के हमनें जीरो प्वाइंट तक ट्रैकिंग की और वहां का नज़ारा देखा। फिर बस ले कर हम कैंप आ गए और पटेल अपने घर चला गया।

शादी के बहाने गोरखपुर और कुशीनगर को एक्सप्लोर किया
वो कहते हैं ना जब दोस्ती सच्ची हो तो उसको किसी प्रमाण की आवश्कता नहीं होती। पटेल के जाने के बाद लगा मुझे अब हम कभी घूमने साथ में नहीं जा पाएंगे क्योंकि साथ रहने और दूर रहने में काफ़ी फ़र्क होता हैं। पर ऐसा नहीं था वो कहते हैं एक दोस्त दूसरे दोस्त को कभी अकेला नहीं छोड़ता हैं। मेरे भाई के शादी में पटेल और हम फिर मिले और मिलते ही हमने एक और ट्रिप प्लान कर लिया। शादी के दूसरे दिन ही हमने अपनी कार उठाई और निकल गए कुशीनगर एक्सप्लोर करने। रात को शादी से आ गए जब हम 2 बजे चाय पीने स्टेशन गए तो हमनें कुशीनगर का प्लान बनाया और सुबह सुबह 9 बजे निकल गए कुशीनगर के लिए। कुशीनगर एक्सप्लोर करने के बाद हमनें नौका विहार घुमा गोरखपुर का फेमस बिरयानी खाई और रात को बस पकड़ के अपने नेक्स्ट डेस्टिनेशन के लिए निकल गए। यह एक ऐसा डेस्टिनेशन था जिसका प्लान हमनें बस में बैठे बैठे बना लिया था।

रीवा और सतना के रियासत की ट्रिप
रीवा के रियासत के बारे में मैंने बहुत कुछ सुना हुआ था तो बस में पटेल से बात करते हुए मैने बोला चलो मुझे रीवा घूमना हैं। रीवा पहुंच कर हमनें अपना ट्रिप स्टार्ट किया बाइक उठाई और निकल गए रीवा फोर्ट घूमने वहां हमनें एक ऐसा शिव मंदिर देखा जहां भोले बाबा महामृत्युंजय रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर फोर्ट के अंदर ही स्थित हैं। उसके बाद हम निकले रानी तालाब और काली टेंपल वहां से घूमने के बाद हम सतना की ओर बढ़े। सतना में हमने अभ्यारण, वाटफॉल और डैम देखा। फिर मैं अपने ऑफिस की ओर के लिए बस पकड़ा और पटेल अपने ऑफिस की ओर के लिए।

कहते हैं ना दोस्ती अगर गहरी हों तो वो साथ नहीं छोड़ती। लोग ये भी कहते हैं कि ऑफिस वाले कलीग कभी दोस्त नहीं बन सकते पर लोगों की इस धारणा को हम गलत साबित करते हैं। अब हम अलग अलग ऑफ़िस में काम करते हैं पर आज भी हम घूमने साथ ही जाते हैं। शायद किसी ने सही कहा एक दोस्त दूसरे दोस्त को कभी अकेला नहीं छोड़ता हैं। इसलिए मैं लोगों से हमेशा कहता हूं कि हमने साथ में सफर कर के ऑफिस कलीग से बेस्ट फ्रेंड तक का सफर तय किया हैं।
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