उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का पहला नाम लक्षमणपुर था जो भगवान राम के भाई लक्षमण जी के ऊपर रखा गया था| किसी ने ठीक ही कहा है कि विश्व में अतुल्य है भारत और भारत में अद्भुत है उत्तर प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में लाजवाब है लखनऊ | इस बात की तसदीक़ लखनऊ आने वाले टूरिस्ट इन जगहों को घूमते समय कर देते हैं| 1875 ईसवीं में लखनऊ आए एच. रसेल. का लखनऊ के बारे में कहना है कि "कया यह अवध का ही एक शहर है? अपने आपको विश्वास दिलाने के लिए मैं अपनी आँखों को रगड़ कर देखता हूँ| नहीं...... यह रोम नहीं है, न ही यह एथेंस है और न कान्सटेन्टीनोपल | नहीं..... कोई भी शहर इसके जैसा सुंदर और आकषिर्त करने वाला हो ही नहीं सकता| जितना ही मैं इसे देखता हूँ इसकी खूबसूरती मुझे और भी सम्मोहित करती जाती है| "
लखनऊ शहर धरोहरों का लाजवाब केन्द्र है| लखनऊ का गौरवमयी इतिहास, परंम्पराए, कलाएं और भाईचारे से परिपूर्ण नायाब जीवन| गोमती नदी के किनारे पर बसा हुआ लखनऊ अवध का प्रमुख केन्द्र रहा है| लखनऊ के स्मारक, कला ने इस शहर को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में रोशन किया है|
रुमी दरवाजा लखनऊ की पहचान है| इस खूबसूरत दरवाजे की ऊंचाई 60 फीट है| इसकी भव्य शिल्प निर्माण कला लाजवाब है| रुमी दरवाजा का निर्माण नवाब आसफ़ुद्दौला ने 1784 ईसवीं में करवाया| कांस्टेन्टिनोपोल के मशहूर द्वार की तर्ज पर रुमी दरवाजा बनाया गया था| इसका ऊपरी हिस्सा 8 फीट ऊंची छतरी के आकार में है| जहाँ आप सीढ़ियों को चढ़कर जा सकते हो| जब भी लखनऊ आए तो रुमी दरवाजा जरूर देखें|
बड़ा ईमामबाड़ा- इस शानदार ईमारत का निर्माण 1784 ईसवीं में नवाब आसफ़ुद्दौला ने अपनी प्रजा को अकाल की गंभीर हालत में रोजगार देने के प्रयोजन से किया था| इसका 50 फीट स्तंभविहीन कक्ष विश्व में अद्वितीय बनावट का उदाहरण है| इमामबाड़े के ऊपरी मंजिल के हिस्से में बना हुआ भूल भूलैया टूरिस्ट को बहुत आकर्षित करता है| इमामबाड़े के आंगन में ही आसिफी मस्जिद की खूबसूरत ईमारत बनी हुई है|
जामा मस्जिद- इस शानदार मस्जिद का निर्माण 1839 ईसवीं में मोहम्मद अली शाह के शासन काल में हुसैनाबाद इमामबाड़े के उत्तर पश्चिम में आरंभ हुआ था जिसको उनकी बेगम नवाब मलिका जहाँ ने उनकी मृत्यु के बाद पूरा करवाया| यह खूबसूरत मस्जिद उस दौरान की प्रचिलित इटेलियन कलात्मकता से बिलकुल अलग मुगल शैली को प्रदर्शित करती है|
छोटा ईमामबाड़ा - छोटा ईमामबाड़ा को हुसैनाबाद इमामबाड़ा भी कहा जाता है| इस खूबसूरत ईमारत का निर्माण नवाब मोहम्मद अली शाह ने 1837-42 ईसवीं में करवाया था| इसकी कलात्मकता, खूबसूरत झाड़-फूनस और सुंदर कलाकृतियों से सुसज्जित साज सज्जा देखने लायक है| इसका सुनहरी गुंबद मुगलकालीन वास्तुकला को प्रदर्शित करती है| यह खूबसूरत ईमारत सुबह 6 बजे से लेकर शाम को 5 बजे तक खुली रहती है|
इसके अलावा भी लखनऊ में बहुत सारी ईतिहासिक ईमारते है जो देखने लायक है जैसे हुसैनाबाद पिक्चर गैलरी, शाहनजफ इमामबाड़ा, सिकन्दरबाग, छतर मंजिल, रेजिंडेंसी आदि
लखनऊ कैसे पहुंचे- लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है| आप यहाँ बस, रेल और वायु मार्ग से पहुंच सकते हो| रेल द्वारा लखनऊ भारत के अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| लखनऊ में एयरपोर्ट भी है आप फलाईट से भी लखनऊ आ सकते हो| रहने के लिए आपको लखनऊ में हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|