पंजाब का शाही शहर पटियाला - जानिए क्या है इसका ईतिहास और कया देखे पटियाला में

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Photo of पंजाब का शाही शहर पटियाला - जानिए क्या है इसका ईतिहास और कया देखे पटियाला में by Dr. Yadwinder Singh

शाही शहर पटियाला
पटियाला शहर की नींव महाराजा आला सिंह ने 1763 ईसवीं में रखी थीं, उन्होंने इस शहर को अपनी राजधानी भी बनाया जो बाद में पटियाला रियासत बनी। इस रियासत में पंजाब के पटियाला, संगरूर, बरनाला, सरहिंद, बठिंडा, मानसा जिलों के ईलाके शामिल थे और हरियाणा के टोहाना और फतेहाबाद जिले शामिल थे।
दोस्तों मेरा और मेरे परिवार का पटियाला शहर के साथ बहुत पुराना नाता हैं। मेरे नानके पटियाला शहर में हैं नानके शब्द पंजाबी का हैं हिंदी में नानके को नौनिहाल कहते हैं शायद ???
एक और खास बात मेरे नानके भी पटियाला
मेरे माता जी के नानके भी पटियाला
मेरे नानी जी के नानके भी पटियाला
तीन पीढियों का नाता हैं इस शहर से, हर साल में कम से कम दो बार तो पटियाला जाना होता हैं, मेरे दो मामा जी और उनका परिवार पटियाला में ही रहते हैं।
जैसे अमृतसर पंजाब का धार्मिक और रूहानियत का केंद्र हैं वैसे ही पटियाला पंजाब पंजाबीयत संस्कृति और खाने पीने का केंद्र हैं। पटियाला शहर की बहुत सारी चीजें मशहूर हैं जैसे पटियाला पैग, पटियाला सूट, पटियाला सलवार, पटियाला परांदे, पटियाला फुलकारी आदि। आप जब भी पंजाब घूमने आए तो पटियाला के लिए भी दो दिन रख लेना|
पटियाला में घूमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं जैसे
गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब
गुरूद्वारा बहादुरगढ़ साहिब
काली माता मंदिर
किला मुबारक पटियाला
बहादुरगढ़ किला
बारांदरी
शीश महल

पटियाला

Photo of पटियाला by Dr. Yadwinder Singh

किला मुबारक पटियाला
इस बार हम बात करेंगे शाही शहर पटियाला के खूबसूरत किला मुबारक की। पटियाला शहर को महाराजा आला सिंह ने 1763 ईसवी में बसाया और अपनी राजधानी बरनाला से बदल कर पटियाला बना ली और पटियाला रियासत बनाई।
महाराजा आला सिंह ने ही एक कच्ची गढ़ी का निर्माण कच्ची ईटों से करवाया जिसे बाद में पकका करवा दिया गया, इसी गढ़ को अब किला मुबारक पटियाला कहा जाता है। इस किले का बनाने का काम महाराजा आला सिंह ने किया और बाद में उनके पोते महाराजा अमर सिंह ने पूरा करवाया। किले के आसपास बहुत सारे पटियाला के मशहूर बाजार हैं जैसे अदालत बाजार, बर्तन बाजार आदि और किले के बहुत एक खुली जगह है जिसे किला चौक कहते हैं, इन बाजारों में ही आप पटियाला के मशहुर परांदे, फुलकारी, सूट और जुती खरीद सकते हो।
यह किला 10 एकड़ में बना हुआ है। यह किला मुगल और राजस्थानी कला का मिश्रण हैं। किले के अंदरले भाग को किला अंदरून कहा जाता हैं, उसमें खूबसूरत शीश महल भी बना हुआ है। दरबार हाल 1947 से पहले राज कचहरी हुआ करता था, जिसे अब मयूजियम बना दिया गया है जहां आप पटियाला रियासत के हथियार देख सकते है।
किले के दो भाग हैं
पहला- किला अंदरुन ( अंदरला भाग)
दूसरा- किला मुबारक ( अंदरले भाग से लेकर बाहरी दीवारों के बीच का हिस्सा)
दरबार हाल मयूजियम में नादर शाह दूरानी की तलवार पड़ी हुई हैं जिसे शिकार गाह कहते हैं, नादर शाह ईरान से था , यह भी अहमद शाह अबदाली की तरह एक लुटेरा था जिसनें हिंदुस्तान की दौलत लूटने के लिए 1739 ईसवी में हमला किया था।
किला मुबारक में बहुत सारे पैलेस बने हुए हैं जैसे
जेल वाला पैलेस ( शाही कैदियों के लिए )
मोती पैलेस
शीश महल
राजमाता पैलेस
रायल किचन जिसे लस्सी खाना कहते थे। यह एक दो मंजिला इमारत थी, कहते है किसी समय इस किचन में 35000 लोग खाना खाते थे।
गैसट हाऊस - जिसे रन बास कहते थे।
किले के बाहर दर्शनी गेट, शिव मंदिर और पटियाला के हैरीटेज बाजार  हैं जहां आप खरीदारी कर सकते हो। आप भी आओ कभी पटियाला घूमने जहां कण कण में ईतिहास और विरासत बसी हुई हैं।

किला मुबारक पटियाला

Photo of Qila Mubarak by Dr. Yadwinder Singh

पटियाला किला

Photo of Qila Mubarak by Dr. Yadwinder Singh

पटियाला किला

Photo of Qila Mubarak by Dr. Yadwinder Singh

बारांदरी बाग पटियाला
  बागों के शहर पटियाला के मशहूर बाग बारांदरी बाग  जो शहर के बीचोंबीच मौजूद हैं। कुदरती प्रेमी और पुस्तक प्रेमी के लिए यह जगह किसी अजूबे से कम नहीं हैं। बारांदरी शब्द पंजाबी के दो शब्दों बारां और दर से मिलकर बना है। बारां का मतलब 12 ( twelve) और दर का मतलब दरवाजा। बारां दरवाजों वाला बाग। कहा जाता हैं बारांदरी बाग के बारां दरवाजे हैं।

बारांदरी बाग को 1876 ईसवीं में पटियाला के महाराजा राजेंद्र सिंह ने बनाया था। इन महाराजा को बागबानी का बहुत शौक था, इसीलिए उन्होंने अपने पैलेस के पास बारांदरी बाग का निर्माण करवाया। उनके पैलेस का नाम बारांदरी पैलेस हैं। इस पैलेस को अब हैरीटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। यह पंजाब का पहला हैरीटेज होटल हैं, जो नीमराना होटल चेन में आता हैं। बारांदरी बाग में प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं लगती। बारांदरी बाग तीन से चार किलोमीटर में फैला हुआ है। शहर के लोग यहां सुबह से लेकर शाम तक टहलने सैर करने के लिए आते हैं। मौजूदा सरकार ने इस बाग में एक open gym भी बनाया है, जहां बहुत सारी कसरत करने वाली मशीनों को लगाया गया है। बारांदरी बाग को मुगल कला के अनुसार बनाया गया है। बीच में एक छोटी नहर और आसपास बाग। यहां आपको बहुत पुराने वृक्ष मिलेंगे। इन वृक्षों की महक आपके मन को मोह लेगी। यहां आप टहल सकते हो, अगर आप के पास कोई किताब हो तो आप किसी वृक्ष के नीचे बैठ कर किताब पढ़ सकते हो। आप अपने आप को कुदरत के करीब महसूस कर सकते हो इस बाग में। यहां बहुत सारे वृक्षों के ऊपर उसके नाम लिखे हुए हैं। मुझे भी इस खूबसूरत बाग में जाने का मौका मिला। मैंने भी दो घंटे तक कुदरत की गोद का आनंद लिया। जब भी आप पटियाला आए तो बारांदरी बाग को भी अपनी लिस्ट में शामिल कर लेना। यह जगह आपको बहुत आनंद देगी ।

बारांदरी बाग पटियाला

Photo of Barandari Garden by Dr. Yadwinder Singh

बारांदरी बाग पटियाला

Photo of Barandari Garden by Dr. Yadwinder Singh

गुरूद्वारा दूखनिवारण साहिब
नौवें पातशाह गुरु तेग बहादुर साहिब जी इस जगह पर दो बार आए थे, पहली बार सैफाबाद के किले से वापसी में आए , दूसरी बार दिल्ली जाते समय यहां आए थे। यह जगह लहिल गांव की थी, यहां लहिल नाम का गांव हुआ करता था, जब गुरू जी यहां पधारे तो गांव वालों ने उनके सामने अपने दुख दर्द बताए, यहां लोगों को बहुत सारे शरीरिक कष्ट हैं, आप उनका निवारण करें, गुरू जी एक वृक्ष के नीचें बैठे हुए थे, आपने पास में ही एक तलाब में सनान किया और कहा जो भी श्रद्धालु यहां श्रद्धा भाव से इस सरोवर में सनान करेगा, उसके दुखों का निवारण हो जाऐगा, इसीलिए इस गुरूद्वारे का नाम दूखनिवारण साहिब पड़ गया। आजकल यह लहिल गांव पटियाला शहर में आ गया है, यह जगह पटियाला रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से 1.5 किमी की दूरी पर हैं। आप जब भी पटियाला शहर जाए इस खूबसूरत गुरुद्वारा के दर्शन करना मत भूलना। श्रद्धालुओं के खाने के लिए लंगर और रहने के लिए सराय भी बनी हुई है।

गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पटियाला

Photo of Gurudwara Shri Dukhniwaran Sahib, Patiala by Dr. Yadwinder Singh

गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पटियाला

Photo of Gurudwara Shri Dukhniwaran Sahib, Patiala by Dr. Yadwinder Singh

काली माता मंंदिर
पटियाला का मशहूर काली देवी मंदिर जो पटियाला के बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर माल रोड़ पर बना हुआ हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की शनिवार और रविवार बहुत भीड़ रहती हैं। इस मंदिर में श्रद्धालु पंजाब, हरियाणा के एलावा दूसरे राज्यों से भी आते है।
इस मंदिर का निर्माण पटियाला रियासत के महाराजा भूपेन्द्र सिंह ने 1936 ईसवी में करवाया। पटियाला के महाराजा की काली माता में बहुत श्रद्धा थी, वह कलकत्ता गए और माता से विनती की आप मेरी रियासत में निवास करें। माता ने महाराजा पटियाला की बात मान ली और दो शर्त रखी जिसे महाराजा ने मान लिया।
पहली शर्त - माता ने महाराजा को कहा मैं आपके किले में निवास नहीं करूंगी, मेरा मंदिर किले से बाहर बनाया जाए, जहां आम लोग भी आसानी से दर्शन कर सकेंगे।
दूसरी शर्त-  जब मैं कलकत्ता से पटियाला जाऊंगी तो रास्ते में कहीं नहीं रूकना, जहां रूके वहीं मैं सथापित हो जांऊगी। यह दोनों शर्त पटियाला महाराजा ने मान ली। काली माता की छह फुट की मूर्ति और अखंड जयोति को लेकर राजा के सिपाही और सेवक डोली में माता को लेकर बिना रूके कलकत्ता से पटियाला पहुंचे। यहां पहुंचने पर माता की मूर्ति को बारांदरी बाग के सामने सथापित किया जहां  आजकल काली माता का भव्य मंदिर बना हुआ हैं।
मुझे भी अपनी पटियाला यात्रा में दर्शन करने का मौका मिला। आप भी आओ कभी रियासती शहर पटियाला घूमने। यहां घूमने के लिए बहुत कुछ हैं।

काली देवी मंदिर पटियाला

Photo of श्री काली देवी मंदिर by Dr. Yadwinder Singh

काली देवी मंदिर पटियाला

Photo of श्री काली देवी मंदिर by Dr. Yadwinder Singh

पटियाला कैसे पहुंचे- पटियाला पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ से 70 किमी, अंबाला से 50 किमी और लुधियाना से 105 किमी दूर है| आप पटियाला बस और रेल मार्ग से पहुंच सकते हो| पटियाला में रहने के लिए हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|

Patiala Fort

Photo of Patiala Bus Stand by Dr. Yadwinder Singh

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