वाराणसी उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर बसा हुआ भारत का एक पवित्र शहर है| वाराणसी को काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है| काशी भगवान शिव की नगरी है| वाराणसी गंगा, वरूणा और असी जैसी पावन नदियों के बीच में बसी हुई है| वाराणसी भारत ही नहीं पूरे विश्व की प्राचीनतम नगरों में से एक है| तीर्थ के रूप में वाराणसी एक महत्वपूर्ण स्थान है| गंगा के किनारे पर बने हुए घाट भी देखने लायक है| बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में ही है| काशी संसार के सबसे प्राचीन नगरी मानी जाती है| वाराणसी में बहुत कुछ देखने लायक है जो निम्नलिखित अनुसार है|
काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है| वाराणसी का यह सबसे महत्वपूर्ण जगह है| सिख महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर पर सोना चढ़ाया था| ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की पुनर्स्थापना भगवान शंकर के अवतार भगवान आद्य शंकराचार्य ने ख़ुद अपने हाथों से की थी| यह मंदिर बड़ा भव्य और सुंदर है| मंदिर का शिखर लगभग साठ फीट ऊंचा है| मंदिर में मुख्य शिवलिंग अंदर स्थित है जहाँ श्रदालु दूध, जल, बेलपत्र फूल आदि चढ़ाकर पूजा करते हैं| अन्नपूर्णा देवी का मंदिर भी पास ही है| अब वाराणसी में नया कोरिडोर बन गया है जिससे आप असानी से विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हो|
वाराणसी शहर मंदिरों का शहर है जहाँ आपको हर जगह मंदिर दिखाई देगें| संकट मोचन मंदिर वाराणसी का प्रसिद्ध मंदिर है| जहाँ हनुमान जी की सुंदर मूर्ति है| कहा जाता है कि इसकी स्थापना तुलसीदास जी ने की थी| इसके पास ही राम मंदिर है| वाराणसी यात्रा पर इस मंदिर के दर्शन जरूर करें|
इसके अलावा वाराणसी में बहुत सारे मंदिर है जैसे कालभैरव मंदिर, दुर्गा जी मंदिर, काशी देवी, धूपचंडी आदि जो दर्शनीय है|
वाराणसी को घाटों का शहर भी कह सकते हैं| वाराणसी के पवित्र घाट देखने लायक है| काशी के घाट हजारों सालों से काशी की महिमा और गंगा जी का गुणगान कर रहे हैं| काशी के इन जीवंत घाटों पर आज भी कथा, कीर्तन, भाषण आदि सुना और देखा जा सकता हैं| इस समय इन घाटों की संख्या लगभग 80 है| पक्के घाटों का निर्माण आज से 400 साल पहले बताया जाता है| इन खूबसूरत घाटों का श्रेय काशी नरेश श्री बलवंत सिंह को जाता है जिन्होंने भारत के अलग अलग देशी राजाओं को गंगा तट पर घाट बनवाने के लिए आमंत्रित किया था| कुछ प्रमुख घाट निम्नलिखित अनुसार है|
अस्सी घाट- यह बनारस के प्रमुख घाटों में से एक है| यह घाट पहले कच्चा था अब पक्का हो गया है| इस घाट से लोग पंचकोसी यात्रा शुरू करते हैं| यहाँ पर शाम को गंगा आरती भी होती है|
तुलसी घाट - इस घाट पर तुलसीदास जी का मंदिर बना हुआ है| यहाँ उनकी खडाऊं भी रखी हुई है| संकट मोचन मंदिर का निर्माण भी तुलसीदास जी ने ही करवाया था|
मणिकर्णिका घाट - इस घाट को इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने 1795 ईसवीं में बनाया था| यह घाट पूरी तरह बना नहीं था और उनका देहांत हो गया था| इस घाट का एक हिस्सा अभी भी अधूरा है| यहाँ पर लोगों के अंतिम संस्कार किए जाते हैं| यहाँ आकर ऐसा लगता है जैसे जिंदगी का सत्य हमारे सामने हो | हमारी आखिरी मंजिल कया है| यहाँ जिंदगी ठहर जाती है| ऐसा प्रतीत होता है|
मुंशी घाट- यह घाट नागपुर के दीवान मुंशी श्रीधर नारायण ने बनाया था| इस घाट पर की हुई पत्थर की कारीगरी बहुत आकर्षित करती है|
दशाश्वमेध घाट- यह वाराणसी का प्रमुख घाट है| यहाँ पर होने वाली गंगा आरती देखने लायक है| ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म जी ने यहाँ पर दस अशवमेध यज्ञ किए थे| यहाँ श्रदालु गंगा जी में स्नान करते हैं|
सारनाथ - उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से 10 किमी दूर सारनाथ बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान है| सारनाथ का नाम भी बौद्ध धर्म के चार महत्वपूर्ण स्थानों में आता है| ऐसा कहा जाता है बोध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध सारनाथ में आए थे जहाँ बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था| सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध की याद में सारनाथ में बोधी स्तूपों का निर्माण करवाया था| सारनाथ में भी हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं |
दामेख स्तूप- यह वह जगह है जहाँ पर महात्मा बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था| इसका निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था| अपनी सारनाथ यात्रा के समय मैं भी इस जगह को देखने आया था|
चौखंडी स्तूप- यह वह जगह है जहाँ पर महात्मा बुद्ध अपने शिष्यो से आकर मिले थे| यहाँ पर भी एक स्तूप बना हुआ है|
इसके अलावा सारनाथ में एक बहुत बढ़िया मयुजियिम बना हुआ है|
वाराणसी कैसे पहुंचे- वाराणसी रेलवे मार्ग से भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| आप भारत के किसी भी कोने से रेलवे मार्ग से वाराणसी पहुँच सकते हो| वाराणसी में एयरपोर्ट भी है आप वायु मार्ग से भी वाराणसी आ सकते हो| रहने के लिए वाराणसी में आपको हर बजट के होटल, धर्मशाला आदि मिल जाऐंगे|