रामपुर बुशहर सतलुज नदी के किनारे पर शिमला से 140 किमी दूर हिन्दूस्तान- तिब्बत मार्ग पर बसा हुआ है| रामपुर भूतपूर्व बुशहर राज्य की राजधानी था| अब रामपुर बुशहर शिमला जिले का प्रसिद्ध व्यावसायिक केंद्र है| रामपुर बुशहर नवंबर में लगने वाले लावी मेले के लिए मशहूर है| रामपुर बुशहर में बौद्ध मंदिर, पदम महल, अयोध्या मंदिर और नरसिंह मंदिर आदि जगहें दर्शनीय है| रामपुर बुशहर के बारे में ऐसा माना जाता है कि जब बुशहर राजाओं ने अपनी नयी राजधानी का चुनाव करना था तो घाटी में एक रात को तीन अलग अलग जगहों पर तीन दिए जलाए गए| रामपुर बुशहर वाली जगह पर सारी रात दिया जलता रहा सुबह तक| इसी जगह को फिर बुशहर राजाओं ने चुन लिया अपनी राजधानी के लिए| इस तरह बुशहर राज की राजधानी बन गया| हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी बुशहर राज के राजा थे| उनको लोग राजा साहब कह कर बुलाते थे|
अयोध्या मंदिर रामपुर बुशहर- रामपुर में मैंने सबसे पहले अयोध्या मंदिर में दर्शन किये | यह मंदिर रामपुर का बहुत पुराना मंदिर है, इस मंदिर की मूर्ति अयोध्या से लाई गई थी जो अयोध्या की राजकुमारी अपने साथ लाई थी जब उसकी शादी रामपुर में हुई थी| आप जब भी रामपुर बुशहर जाए तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करना|
रामपुर शिमला जिला का किनौर मार्ग पर सतलुज नदी के किनारे बसा हुआ शिमला से 140 किमी दूर एक खूबसूरत शहर हैं। रामपुर अक्सर टूरिस्टों की नजर से अछूता रह जाता है, लोग इस को छोड़ कर आगे निकल जाते हैं। रामपुर भी बुशहर रियासत की राजधानी रहा है।
दोस्तों यह हनुमानजी की मूर्ति हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में रामपुर बुशहर शहर के बाहर हिंदूसतान-तिब्बत रोड़ पर रामपुर शहर के आने से पहले बना हुआ है, जब मैंने भीमाकाली माता सराहन बुशहर की यात्रा की थी उस वक्त इस खूबसूरत जगह के दर्शन किए थे, जब भी आप किनौर जाओ तो बीच में रामपुर शहर की इस बेहतरीन जगह पर जाना मत भूलिए|
दोस्तों रामपुर बुशहर मैं दो बार गया हूँ पहली बार बस से और दूसरी बार अपनी खुद की गाड़ी से | पहली रामपुर बुशहर यात्रा में शिमला बस अड्डे पर पहुंच कर हमनें हिमाचली राज माह चावल के साथ दुपहिर का खाना खाया। फिर रामपुर के लिए बस देखने लगे, फिर हमें रामपुर की बस मिल गई और शिमला से आगे का सफर शुरू हो गया। रास्ते में कुफरी, नरकंडा की खूबसूरती को निहारते हुए हम रामपुर पहुंच गए। रामपुर शिमला से 140 किमी दूर किनौर मार्ग पर एक खूबसूरत शहर हैं।
सराहन से सुबह बस पकड़ कर हम रामपुर पहुंच गए।
रामपुर भी बुशहर रियासत की राजधानी रहा है।
रामपुर मैं मेनें रात को 8 बजे चंडीगढ़ जाने वाली बस में बुकिंग करवा ली, अब मेरे पास 11.30 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक का समय था। नवंबर का महीना था रामपुर में लवी मेला लगा हुआ था
4 बज चुके थे | हम लवी मेले में पहुंच गए| मेले में हमने हिमाचली खाने का आनंद लिया, घर के लिए सेबो की एक पेटी ली घरवालों के लिए सामान खरीदने के बाद रात को 8 बजे रामपुर से बस लेकर सुबह 4 बजे चंडीगढ़ पहुंच गए वहा से बस लेकर 9 बजे तक घर पहुंच गए|
#पदम महल रामपुर
फिर हम पदम महल देखने के लिए गए, यह महल राजा पदम सिंह ने बनाया है, जो हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभदर सिंह के पिता जी थे। इस महल का बाहरी हिस्सा ही लोगों के लिए खुला है| हमनें महल के आंगन में कुछ फोटोग्राफी की | अब इस पैलेस को एक हैरीटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है|
दूसरी रामपुर बुशहर यात्रा- इस यात्रा में मैं शिमला से हाटकोटी रोहड़ू होते हुए रामपुर बुशहर पहुंचा था|
रोहड़ू से रामपुर बुशहर का रोमांचक सफर
दोपहर के दो बजे थे| जब हम हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू से रामपुर बुशहर के लिए रवाना हो रहे थे| रोहड़ू से रामपुर बुशहर तकरीबन 82 किमी का पहाड़ी सफर है जिसको हमने पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा किया था| हिमाचल प्रदेश की एक गाड़ी के पीछे लिखा हुआ मैंने पढ़ा था "रास्ते चाहे जैसे मर्जी हो हम शौक से गुजरते हैं" | यह बात रोहड़ू से रामपुर बुशहर वाले आफबीट वाले रास्ते पर पूरी तरह लागू होती है| यह एक ऐसा रोमांचक रास्ता है जहाँ आपको कुदरत की बेएंतहा खूबसूरती देखने के लिए मिलेगी| कोई ट्रैफिक नहीं, शोर शराबा नहीं, छोटी सी सड़क, कभी चढ़ाई कभी उतराई | एक ऐसा रास्ता भी आता है जहाँ 30 किमी तक कोई सड़क भी नहीं मिलेगी सिर्फ मिट्टी का रास्ता जिसमें बारिश के बाद कीचड़ और पानी भरा हुआ मिलेगा| ऐसे रोमांचक सफर के बाद आप रोहड़ू से रामपुर बुशहर तक पहुंचते हो रास्ते में समरकोट, सुंगरी नामक जगहें आती है जो बहुत आफबीट है| रोहड़ू से समरकोट 17 किमी दूर है| रोहड़ू से आगे एक छोटी सी सड़क पर गाड़ी चलाते चलाते मैं एक घंटे बाद समरकोट नामक एक खूबसूरत गाँव में पहुँच जाता हूँ| समरकोट में पैटरोल पंप ⛽ भी है जहाँ मैंने गाड़ी में 1100 रुपये का पैटरोल भी डलवा लिया कयोंकि आगे रास्ता आफबीट है| हमने हाटकोटी से चलकर चाय नहीं पी थी तो समरकोट गांव के पैटरोल पंप के सामने एक छोटी सी पहाड़ी दुकान पर हमने चाय का आर्डर दे दिया| मेरी बेटी नव किरन के लिए एक गिलास दूध गर्म करवा दिया| उसने शीशी में दूध पिया| चाय पीते पीते ही मैंने दुकान वाली आंटी से समरकोट गांव के बीच पहाड़ी पर दिखाई दे रहे पहाड़ी शैली में लकड़ी और पत्थर के मिश्रण से बने हुए मंदिर के बारे में पूछा तो उसने बताया यह समरकोट का लोकल मंदिर है| उसने बताया वहाँ गाड़ी नहीं जाऐगी आपको पैदल ही चलना पड़ेगा| हमारे पास समय कम था तीन बजे थे रामपुर बुशहर अभी भी 65 किमी दूर था जिसके लिए चार घंटे लग जाने थे इसलिए हमने दूर से ही इस मंदिर की फोटो खींच ली और सुंगरी के लिए आगे बढ़ गए| रास्ते में मैं Lalit Kumar भाई से भी फोन पर बात कर लेता था कयोंकि आगे हमें सराहन बुशहर भी जाना था उनसे भी मिलना था |
सुंगरी - सुंगरी रोहड़ू से रामपुर बुशहर सड़क पर एक पास है जो इस रास्ते को जोड़ता है| सुंगरी एक खूबसूरत आफबीट हिमाचली गाँव है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2800 मीटर के आसपास है| रोहड़ू से तीखी चढ़ाई के बाद 25-28 किमी दूर सुंगरी नामक जगह आती है| सुंगरी के चौक में तीन चार दुकाने मिलेगी| वैसे सुंगरी में हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग का एक रैस्ट हाऊस भी है जो शायद अंग्रेज़ों का बनाया है| सुंगरी के आसपास के कुदरती नजारे लाजवाब है| कोई शोर शराबा नहीं लोगों की पहुँच से दूर कुदरत की गोद बिना मोबाइल के नैटवर्क में, शहर के कंक्रीट और सुविधाओं से दूर जंगल, पहाड़ और कुदरत के करीब है सुंगरी | यहाँ पर मुरालहेशवरी महाकाली मंदिर बना हुआ है जो उस समय बंद था | जब हम सुंगरी पहुंचे तो बारिश हो रही थी | हमने चाय समरकोट में पी ली थी नहीं तो सुंगरी में पीते| रोहड़ू से सुंगरी तक रास्ता छोटा था पर ठीक था | जैसे ही हम सुंगरी से आगे बढ़े तो सड़क बिलकुल कच्ची हो गई| एक तो बारिश हो रही थी| दूसरा सड़क के नाम पर मिट्टी और गढ्ढे जिसमें पानी भरा हुआ था| मोबाइल फोन का नैटवर्क भी गायब था | चार बजे का समय था गहरे जंगल में घना अंधेरा छा रहा था| वाईफ बोली यह कैसा रास्ता आ गया है| मैंने कहा कोई बात नहीं सफर में हर चीज का मज़ा लेना चाहिए| एक एक किलोमीटर बड़ी मुश्किल से कम हो रहा था| मिट्टी वाले रास्ते की वजह से मेरी गाड़ी भी कीचड़ वाले पानी से मिट्टी से भर चुकी थी लेकिन धीरे धीरे हौसला रखते हुए मैं गाड़ी चला रहा था| 25 से 30 किलोमीटर तक रास्ता कच्चा ही रहा लेकिन नजारे लाजवाब थे पहाड़ के वियू| एक जगह पर पहाड़ से पानी आ रहा था| वहाँ टूटी लगी हुई थी पानी निकल रहा था मैंने ठंडा ठार पहाड़ का पानी पिया | अपने मूंह को ठंडे पानी से धोया| पानी की बोतल भरी | कुछ समय विश्राम किया| आगे चलकर एक पुल आया जहाँ पर दो रास्ते थे| वहाँ एक गाड़ी वाले से मैंने पूछा रामपुर बुशहर जाना है| उसने बताया दोनों रास्ते रामपुर जाते हैं एक रास्ता छोटा है लेकिन कच्चा है दूसरा रास्ता लम्बा है पर सही है| मैंने लम्बा रास्ता चुना | कुछ देर बात पक्की सड़क आ जाती है अब मैंने गाड़ी की स्पीड बढाई 40 तक जो पहले 15-20 तक चल रही थी| फिर हम नारकंडा-रामपुर वाले नैशनल हाइवे पर चढ़ जाते हैं| रामपुर बुशहर पहुँचते पहुँचते शाम के सात बजे जाते हैं| रोहड़ू से रामपुर बुशहर तक का 82 किमी का रोमांचक सफर पांच घंटे में पूरा होता है| रामपुर बुशहर के हिमाचल प्रदेश टूरिज्म के होटल सतलुज कैफे के सामने गाड़ी पार्क करने के बाद इस कैफे में मसाला चाय का आनंद लेते है| इस तरह रोहड़ू से रामपुर बुशहर का रोमांचक सफर पूरा होता है|
कैसे पहुंचे- रामपुर बुशहर शिमला से 140 किमी दूर है| आप बस मार्ग से या टैक्सी बुक करवा के रामपुर बुशहर पहुंच सकते हो| आपको रामपुर बुशहर में हर बजट के होटल मिल जाऐंगे रहने के लिए|