हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को पहाडो़ की रानी भी कहा जाता है| शिमला भारत का मशहूर हिल स्टेशन है| हर साल हर मौसम में पूरे भारत से टूरिस्ट शिमला घूमने के लिए आते हैं| मैं पंजाब से हूँ और जब बहुत ज्यादा गर्मी हो जाए और फिर किसी दिन मौसम ठंडा हो जाए तो लोग अक्सर कहते हैं "यार आज तो शिमला बन गया है" इतना मशहूर है शिमला|
शिमला नाम कैसे पड़ा??
शिमला नाम के संबंध में बहुत सारी बातें कहीं सुनी जाती है| कुछ लोग कहते हैं कि यह एक गाँव शिमली था जो बदलकर शिमला हो गया| कुछ लोग कहते हैं पहले यहाँ सेमल का ऊंचा पेड़ हुआ करता था जिसकी वजह से इस जगह को लोग सेमल कहते थे जो बाद में शिमल और फिर शिमला हो गया| कुछ किताबों में यह लिखा गया है कि यहाँ की ग्रामदेवी शयामली के नाम पर इसका नाम शिमला पड़ गया|
शिमला में देखने के लिए बहुत सारे स्थान है | आपको यहाँ जल्दबाजी में नहीं घूमना चाहिए| शिमला शहर और उसके आसपास बहुत सारे खूबसूरत जगहें है जहाँ आप घूम सकते हैं| आज इस पोस्ट में हम शिमला में घूमने वाली जगहों के बारे में बात करेंगे|
माता तारा देवी मंदिर
शिमला जाते समय हमनें माता तारा देवी मंदिर के दर्शन करने का मन बनाया। सोलन से चल कर कंडाघाट से होकर हम शोघी से एक छोटी सडक पर चल कर हम ऊंची पहाड़ी पर माता तारा देवी मंदिर पहुंच गए।
माता तारा देवी मंदिर
शिमला से 12 किमी दूर 1851 मीटर की ऊंचाई पर है, इस मंदिर का ईतिहास 300 साल पुराना है, जुंगा रियासत के राजा को सपने में आकर माता ने दर्शन देकर यहां मंदिर बनाने को कहा। जुंगा रियासत के राजा ने यहाँ माता तारा देवी मंदिर बनाया।
मंदिर में दर्शन करने के बाद हमने मंदिर में चल रहे भंडारे का आनंद लिया। मंदिर से हमें शिमला शहर और चूड़धार चोटी के सुंदर दृश्य का आंनद लिया|
यह खूबसूरत तसवीरें तारा देवी मंदिर की हैं जो शिमला शहर से 12 किमी की दूरी पर ,समुद्र तल से 1851 मीटर की ऊंचाई पर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यहां से शिमला शहर का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।
चंडीगढ़-शिमला हाईवे से रोड़ शोगी से कटकर इस मंदिर की ओर जाता हैं। जब भी शिमला आए इस मंदिर के दर्शन जरूर करना।
शिमला भारत का सबसे बडा़ सैरगाह हैं। शिमला की ऊंचाई 2100 मीटर हैं। अंग्रेजों ने गोरखा युद्ध के दौरान शिमला को खोजा था, इसका नामकरण शामला देवी के नाम पर किया गया। अंग्रेजो के शासनकाल में शिमला अंग्रेजों का प्रिय सैरगाह और भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गया। मैं शिमला कई बार गया हूँ।
माल रोड़-
यह शिमला का मुख्य आकर्षण है, यहां सारा दिन चहल पहल रहती हैं। मैंने भी 2012 में अपने दोस्तों के साथ खूब मसती की थी। वैसे अपनी फैमिली के साथ भी दो बार जा चुका हूं। माल रोड़ खरीदारी का मुख्य क्षेत्र हैं। यहाँ का गेयटी थियेटर भी बहुत मशहूर हैं, जहां अंग्रेजो के समय नाटक हुआ करते थे।
रिज-
यह शिमला के बीच में एक विशाल खुला मैदान हैं। यहां भी सारा दिन सैलानियों की चहलकदमी रहती हैं।
लकड़ बाजार-
यह रिज के नजदीक हैं, यहाँ लकडिय़ों से बनी हुई वस्तुओं मिलती हैं। आप यहाँ पर घर के लिए या दोस्तों के लिए लकड़ी से बनी हुई वस्तुओं को खरीद सकते हो|
क्राइस्ट चर्च-
यह चर्च रिज के किनारे पर मौजूद हैं, यह अपनी वासतुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण मशहूर हैं|
जाखू मंदिर - यह हनुमान जी का मंदिर है जो जाखू हिल के ऊपर बना हुआ है जो शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी है| इस पहाड़ी से पूरे शिमला का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| ऐसा माना जाता है हनुमान जी संजीवनी बूटी को ढूंढते समय इस समय पर आए थे| यहाँ पर आपको बहुत सारे शरारती बंदर देखने के लिए मिलेगें जो आपके हाथ का सामान छीन कर भाग जाते हैं| मैं इस खूबसूरत जाखू मंदिर पर चार बार जा चुका हूँ|
संकट मोचन मंदिर
यह मंदिर भी हनुमानजी का हैं, यह मंदिर भी बहुत खूबसूरत बना हुआ है।शिमला में हनुमान जी के दो मंदिर है| जाखू हनुमान मंदिर और संकट मोचन मंदिर| यह दोनों मंदिर ही दर्शनीय है| आप जब भी शिमला आए तो इन दोनों मंदिर के दर्शन जरूर करना|
राज्य संग्रहालय शिमला-
यह शहर के पशिचमी किनारे पर है, हिमाचल प्रदेश की प्राचीन मूर्तियों व पहाड़ी लघुरूप रंगचित्रों को प्रदशित करता है। यहां हिमाचल प्रदेश की प्राचीन, कलात्मक चीजों और पुस्तकों का संग्रह है। अगर आप को हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और खूबसूरती से पयार हैं तो आपको यह भी जरुर देखना चाहिए।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अडवांस स्टडीज शिमला
शिमला भारत के प्रसिद्ध हिल स्टेशनों में से एक है जहाँ सारा साल टूरिस्ट घूमने आते रहते हैं | शिमला में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है| बहुत सारे टूरिस्ट शिमला के माल रोड़ पर घूमकर फैमिली के साथ पिज़्ज़ा, आईसक्रीम आदि खाकर सैलफी खींच कर शोशल मीडिया पर डाल कर शिमला टूर करके वापस आ जाते हैं| शिमला का ब्रिटिश भारत काल का अपना सुनिहरी ईतिहास है | इस ईतिहास से जुड़ी हुई बहुत सारी ईमारतें है शिमला में जो देखने लायक है | ऐसी ही एक शिमला की खूबसूरत ईमारत है वाईस रीगल लॉज जिसको पहले राष्ट्रपति निवास भी कहा जाता था| अब इसको इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अडवांस सटृडीस के नाम से भी जाना जाता है| यह खूबसूरत ईमारत 1884 - 1888 ईसवीं के दौरान बनाई गई थी| इस खूबसूरत ईमारत के सामने बने हुए बाग और वृक्ष इसकी सुंदरता को चार चांद लगा देते हैं| इस खूबसूरत ईमारत की गिनती शिमला की तीन चार बहुत सुन्दर और भव्य भवनों में की जाती है | इस खूबसूरत ईमारत को अंग्रेजों ने बनाया है और अब इसे एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया है| इस खूबसूरत भवन में ऐतिहासिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है| शिमला को 1864 ईसवीं में भारत की समर कैपीटल घोषित कर दिया था| शिमला में अंग्रेजों ने बहुत सारी हैरीटेज ईमारतों का निर्माण किया था | यह हैरीटेज ईमारत शिमला के सकैंडल पुवाईट से चार किलोमीटर दूर है| यह जगह ब्रिटिश भारत में ब्रिटिश वाईस राय का निवास स्थान हुआ करती थी| इस हैरीटेज ईमारत के आसपास खूबसूरत बागों का निर्माण करवाया गया| इस खूबसूरत ईमारत की भवन निर्माण कला इंग्लिश सटाईल में की गई है| इस खूबसूरत हैरीटेज ईमारत को देखने के लिए अब टिकट लेनी पड़ती है|
वाईस रीगल की ईमारत को भारतीय सरकार ने एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया| 20 अकतूबर 1965 से अब यह काम कर रहा है और इसका नाम भी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अडवांस स्टडीज शिमला रख दिया गया| इस ईतिहासिक ईमारत में ब्रिटिश भारत के वायसराय रहा करते थे| इस हैरीटेज ईमारत में 1888 ईसवीं में बिजली की सप्लाई शुरू हो गई थी जो शिमला में सबसे पहली ईमारत थी जहाँ बिजली सपलाई थी | यह ईतिहासिक ईमारत भारतीय ईतिहास से जुड़ी हुई बहुत सारी बातों की गवाही भरती है | भारत की आज़ादी के साथ साथ भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का फैसला भी यही लिया गया| शिमला कंनफ्रेस भी यहाँ हुई| भारत की आज़ादी के बाद भारत के राष्ट्रपति इसको समर रीट्रीट के रूप में ईसतमाल करते रहे| तब इसे राष्ट्रपति निवास कहा जाने लगा | आज यहाँ बहुत सारे विषयों पर सैमीनार होते रहते हैं| मुझे भी शिमला यात्रा के दौरान इस हैरीटेज ईमारत में जाने का मौका मिला| इस हैरीटेज ईमारत की भवन निर्माण कला सच में काबिल ए तारीफ है | आप जब भी शिमला जाए तो इस हैरीटेज ईमारत को देखना मत भूलना |
कुफरी
कुफरी शिमला से 16 किमी दूर हैं, कुफरी की ऊंचाई 2510 मीटर हैं। कुफरी बरफ में खेलने के लिए और कुदरती नजारों के लिए मशहूर हैं। यहाँ की ढलानों सपरिवार घूमने वालों से भरी हुई मिलती हैं। ठंड के दिनों में यहाँ बहुत बरफ मिलती हैं। सवारी के लिए यहाँ याक नाम के पशु के उपयोग की सुविधा मिल जाती हैं। याक बछड़े से कुछ मोटा होता हैं, इस पहाड़ी क्षेत्र में चढ़ाई के दौरान थकान से बचने के लिए लोग इस पर सवारी करते हैं। हमनें भी याक की सवारी की, कुफरी की खूबसूरती को निहारा, वहाँ से दिखने वाली हिमालय की ऊंची चोटियों का नजारा लिया। मैं कुफरी बहुत बार गया हूँ, फैमिली के साथ भी, दोस्तों के साथ भी।
कैफे ललित , चीनी बंगला
इंदिरा हालीडे होम कुफरी
कैफे ललित हिमाचल प्रदेश टूरिज्म का कुफरी मे बना हुआ एक एतिहासिक रैसटोरैट हैं, इसको चीनी बंगला भी कहा जाता है कयोंकि पटियाला महाराजा ने इसे अपनी चीन की पत्नी के लिए बनाया था। इसी जगह को इंदिरा हालीडे होम भी कहते है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था तब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुलिफकार अली भुटटों यहां ठहरे थे। शिमला समझौता 1972 में हुआ था। हमनें यहां पहुंच कर ब्रेकफास्ट किया और आगे की ओर बढ़ गए।
शिमला कैसे पहुंचे- शिमला नैरोगेज लाईन से कालका से जुड़ा हुआ है| आप छोटी रेलगाड़ी से भी शिमला पहुँच सकते हो| बस मार्ग से भी आप चंडीगढ़, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के अलग अलग शहरों से शिमला आ सकते हो| शिमला में एयरपोर्ट भी है आप वायु मार्ग से भी शिमला पहुँच सकते हो|
शिमला में रहने के लिए आपको हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|