रानीखेत उतराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में समुद्र तल से 1850 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है| रानीखेत से आप हिमालय के खूबसूरत पर्वत श्रृंखला को देख सकते हो| इन पर्वतों की चोटियाँ दिन में सुबह दोपहर शाम को अलग अलग रंग की मालूम पड़ती है| रानीखेत के बारे में नीदरलैंड के राजदूत रहे वान पैलेन्ट ने एक बार कहा था "जिसने रानीखेत को नहीं देखा, उसने भारत को नहीं देखा|"
रानीखेत का नाम कैसे पड़ा- ऐसा कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पहले कोई रानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थी | इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि विश्राम के लिए रुकीं| बाद में उसको यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना स्थाई निवास बना लिया| तब इस जगह पर छोटे छोटे खेत थे, इसीलिए इस स्थान का नाम रानीखेत पड़ गया| अंग्रेजों के शासनकाल में सैनिकों की छावनी के लिए इस क्षेत्र का विकास हुआ| अभी भी रानीखेत कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय है| इसी वजह से रानीखेत का क्षेत्र काफी साफ सुथरा है|
कुमाऊँ रेजिमेंट मयुजियिम - अंग्रेजों ने रानीखेत को छावनी के रूप में विकसित किया| रानीखेत कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय है| रानीखेत आर्मी क्षेत्र होने की वजह से बहुत साफ सुथरा है| रानीखेत में कुमाऊँ रेजिमेंट का मयुजियिम बना हुआ है| इस मयुजियिम में आपको कुमाऊँ रेजिमेंट के ईतिहास के बारे बहुत बढ़िया जानकारी मिलेगी| कुमाऊँ रेजिमेंट ने भारतीय सेना के लिए अलग अलग युद्ध क्षेत्र में अपना शानदार योगदान दिया है| इस मयुजियिम में फोटो खींचना मना है| इस मयुजियिम की टिकट 50 रूपये है| मैं भी अपनी फैमिली के साथ इस गौरवमयी ईतिहास वाले कुमाऊँ रेजिमेंट मयुजियिम को देखने के लिए रानीखेत गया था| मैंने भी मयुजियिम के बाहर कुछ फोटोग्राफी की | आप जब भी रानीखेत आए तो इस मयुजियिम को जरूर देखना|
हेड़ाखान मंदिर - रानीखेत से 6 किलोमीटर दूर यह जगह बहुत रमणीक है| यहाँ पर साधु हेड़ाखान का मंदिर बना हुआ है| यह जगह पिकनिक के लिए बहुत बढ़िया है|
शीतलाखेत- रानीखेत से 35 किमी दूर यह जगह बहुत खूबसूरत पर्यटन स्थल में विकसित हो गया है| यहाँ से हिमालय के खूबसूरत दृश्यों को निहारना बहुत अच्छा लगता है| ऊंचाई पर होने की वजह से यहाँ का नजारा बहुत दिलकश लगता है|
सुरर्ईखेत - यह जगह एक सुंदर मैदान के कारण लोकप्रिय है| यह जगह पहाड़ के शिखर पर बनी हुई है| यहाँ से द्वाराहाट, त्रिशूल, पांडु खोली, दूनगिरि आदि पहाड़ों को देख सकते हो|
रानीखेत गोल्फ ग्राऊंड- रानीखेत अपने खूबसूरत नजारे के लिए मशहूर है| रानीखेत में गोल्फ कोर्स भी है जिसकी खूबसूरती लाजवाब है| आप इस गोल्फ कोर्स में अंदर नहीं जा सकते लेकिन बाहर से इसकी खूबसूरती का आनंद ले सकते हो| जब मैं यहाँ पहुंचा था तो बारिश हो रही थी| मैंने बाहर से इस गोल्फ कोर्स की फोटोग्राफी की| नालदेहरा हिमाचल प्रदेश के बाद मैं यह दूसरा गोल्फ कोर्स देख रहा था|
चौबटिया गार्डन रानीखेत
जब हम कौसानी से रानीखेत के लिए निकले थे तो बहुत तेज बारिश हो रही थी, जब बारिश कम हुई तो सारे पहाड़ों को उड़ते हुए बादलों ने ढक लिया। उस दिन लग रहा था शायद बारिश रानीखेत घूमने नहीं देगी लेकिन बारिश में ही रानीखेत का कुमाऊं रैंजीमेट मयुजियिम देख लिया । अब हमने रानीखेत से 8.5 किमी दूर हरे भरे चौबटिया गार्डन पर जाने का मन बनाया रास्ते में झूला देवी मंदिर के भी दर्शन कर लिए। झूला देवी मंदिर के बाहर एक व्यक्ति ने कहा आज मौसम खाराब हैं तो चौबटिया गार्डन बंद होगा। मैं रानीखेत चौबटिया गार्डन जरूर देखना चाहता था कयोंकि पहाड़ों पर उगी बनसपती और पेड़ पौधों का अद्भुत खजाना हैं चौबटिया गार्डन । हमने सोचा यहां से 4 किमी दूर है चौबटिया बाग तो एक बार चल कर देखते हैं। कुछ ही देर में हम चौबटिया बाग पहुंच गए। बारिश रुक गई थी लेकिन हवा बहुत तेज चल रही थी । ठंड भी बहुत लग रही थी , पहले सोचा नवकिरन ( मेरी बेटी जो दो साल की है) को ठंड न लग जाए चौबटिया बाग नहीं जाते। नवकिरन को गाड़ी में बैठे ही शीशी में दूध बना कर पिला दिया। अब नवकिरन ने दूध पी लिया था और वह गाड़ी से बाहर निकल कर बाहर आने की जिद्द कर रही थी कयोंकि मैं बाहर पता कर रहा था चौबटिया में कैसे घूमा जाए। चौबटिया एक सरकारी बाग है जहां आपको सरकारी गाईड मिल जाऐंगे जो 300 रुपये में आपको एक दो घंटे में बाग घूमा देते हैं अगर आपको उसके भी आगे जाना है तो 600 रुपये देने होगे। मैंने गाईड से 300 रुपये में बात करके चौबटिया गार्डन घूमने का फैसला किया। नवकिरन को गरम कोटी पहना कर छाता हाथ में पकड़ कर मैं , श्रीमती और नवकिरन चौबटिया के खूबसूरत रास्ते पर गाईड के साथ चलने लगे । गाईड ने Botany में मास्टर डिग्री की हुई थी और वह सरकारी नौकरी कर रहा है चौबटिया बाग में , मैंने उसको बताया कि मैं भी होमियोपैथिक डाक्टर हूं तो उसे बहुत खुशी हुई कयोंकि चौबटिया बाग में बहुत सारे पेड़ पौधे होमियोपैथिक दवाइयों में भी ईसतमाल किए जाते है। चौबटिया बाग का रास्ता बहुत खूबसूरत हैं । सबसे पहले गाईड ने हमें बुरांश का पेड़ दिखाया । बुरांश का पेड़ उतराखंड का राजकीय पेड़ और नेपाल का राष्ट्रीय पेड़ हैं। बुरांश के फूल बहुत खूबसूरत होते है। बुरांश का शरबत उतराखंड में बहुत मशहूर हैं। गाईड ने बताया आप बुरांश के तने के बीच में हाथ लगाओ , जैसे ही हमने हाथ लगाया तो महसूस किया इसके तने के बीच का हिस्सा बहुत मुलायम हैं जैसे मलमली गद्दा हो । बुरांश को इंग्लिश में Rhododendron कहा जाता हैं इसी नाम से होमियोपैथिक दवाई बनती है जो जोड़ो के दर्द के लिए दी जाती हैं , जब ठंडी हवाओं की वजह से जोड़ो में दर्द हो। उसके आगे चलते हुए हमने Oak का पेड़ देखा फिर हरे रंग के छोटे छोटे पौधे देखे जिन्हें सरपगंधा कहा जाता हैं। सरपगंधा को इंग्लिश में Rauwolfia कहा जाता हैं इस दवाई को होमियोपैथी में हम बलड प्रैशर के लिए ईसतमाल करते है। आज अपनी आखों के सामने देख रहा था Rauwolfia को जो मैं अक्सर मरीजों को देता हूँ। नवकिरन यहां आकर बहुत खुश थी , वह चाह रही थी मुझे नीचे उतार दो मैं खुद चलूँगी लेकिन पहाड़ी रास्ते पर गिर न जाए इसलिए हम उसे गोदी में उठा कर चल रहा था। फिर गाईड ने हमें दारु हलदी नाम की जड़ी बूटी दिखाई जिससे शूगर का ईलाज किया जाता हैं। यहां आकर हम चौबटिया के बिल्कुल बीच में आ गए थे। हमारे सामने वियू बहुत खूबसूरत था , मौसम भी कमाल का था , हवा भी ठंडी थी , बारिश भी नहीं थी और धूप भी नहीं थी। इसके बाद गाईड ने हमें अलग अलग किस्म के सेबों के पेड़ दिखाए । उसके बाद हमने खुरमानी का बाग देखा और अब हम पहाड़ पर बनी सीढियों पर चलते हुए खुरमानी के बाग में गुजरते हुए आगे बढ़ रहे थे , जहां हमने एक खूबसूरत फूल देखा जो मैंने कुमाऊं की अलग अलग जगहों जैसे नैनीताल, अलमोड़ा, कौसानी , रानीखेत में भी देखे थे लेकिन नाम नहीं पता था। एक ही बूटे पर अलग अलग रंग के फूल लगते जो बहुत सुंदर दिखाई देते है । इस खूबसूरत फूल को Hydrangea कहते है। इसमें एक बूटे पर ही चार रंग के फूल लगते हैं जैसे पीला, लाल ,हरा आदि । Hydrangea भी होम्योपैथी की दवाई हैं जो पत्थरी और बढ़े हुए गदूद के लिए ईसतमाल की जाती हैं। इन खूबसूरत पेड़ पौधों को देखकर हम पहाड़ी पर चढ़ कर कंटीन में पहुंचे जहां हमने चाय की और बुरांश, खुरमानी का शरबत घर के लिए खरीदा। गाईड को 300 रुपये देकर हम अपनी गाड़ी की ओर चल पड़े। चौबटिया गार्डन में मुझे घूमने के साथ साथ होम्योपैथी की दवाइयों के पेड़ पौधों को देखने का मौका मिल गया जो मेरे लिए यादगार बन गया।
रानीखेत कैसे पहुंचे- रानीखेत आप बस मार्ग से ही पहुँच सकते हो| रानीखेत अल्मोड़ा से 50 किमी, नैनीताल से 59 किमी, कौसानी से 62 किमी और दिल्ली से 381 दूर है| रानीखेत का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है जो रानीखेत से 119 किमी दूर है| अगर आप रेलवे मार्ग से रानीखेत जाना चाहते हैं तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन तक जा सकते हैं| काठगोदाम रेलवे स्टेशन से रानीखेत की दूरी 84 किमी है| रानीखेत में आपको रहने के लिए हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|