अलवर राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है जो अपने किले, महल, झील, छतरियों और संग्राहलय के लिए प्रसिद्ध है| अलवर दिल्ली और जयपुर के बीच में पड़ता है| अलवर से दिल्ली 170 किमी और जयपुर 150 किमी दूर है| अरावली की पहाडि़यों में बसा हुआ अलवर शहर बहुत खूबसूरत है| अलवर का ईतिहास 1500 ईसवीं पूर्व से मिलता है जब इस क्षेत्र को मत्स्य प्रदेश कहा जाता था| ऐसा भी माना जाता है महाभारत काल में पांडवों ने भी अपने बनवास के समय में इस क्षेत्र में काफी समय बिताया है| मूजौदा अलवर शहर गयारवीं सदी में बसाया गया| 1775 ईसवीं में महाराज प्रताप सिंह ने इसको दुबारा विकसित किया| मुझे भी अलवर शहर में घूमने का मौका मिला| अलवर में मेरे दो दोस्त रहते हैं अशोक शर्मा जी और जतिन बिंनी भाई | इन दोनों दोस्तों के साथ ही मैंने अलवर शहर को घूमा | अलवर में घूमने के लिए बहुत सारी जगहें है जहाँ आप जा सकते हो | आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे अलवर में हम कहाँ कहाँ घूम सकते हैं|
बाला किला- इसको अलवर किला या बाला किला के नाम से भी जाना जाता है| यह शानदार किता 304 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है| ऐसा माना जाता है राजपूतों ने इस किले का निर्माण नौवीं सदी में किया था| इस किले के ऊपर जाटों और मुगलों का भी कबजा रहा है| 1775 ईसवीं में यह किला महाराज प्रताप सिंह के पास आ गया था जिन्होंने अलवर रियासत की सथापना की थी| बाला किला काफी विशाल है| यह किला उत्तर से लेकर दक्षिण तक 5 किमी और पूर्व से पश्चिम तक 1.6 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है| इस किले में 15 बड़े टावर, 51 छोटे टावर बने हुए थे जो सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण थे| इस किले के छह गेट है जैसे जै पोल, सूरज पोल, लक्षमण पोल, चांद पोल, कृष्ण पोल और अंधेरी गेट आदि| बाला किला के जयादातर हिस्से अभी खंडित हो चुके हैं| जंगल वाले रास्ते से जाकर मैं भी इस किले में गया था| तब यहाँ मुरम्मत का काम चल रहा था| बाला किले से अलवर शहर का दृश्य बहुत खूबसूरत दिखाई देता है| इस किले के बाहर मुझे सांभर हिरण घूमते हुए दिखाई दिए थे|
अलवर शहर के बीच में अठारहवीं सदी में बना हुआ सिटी पैलेस मुगल और राजपूत कला के मिश्रण से बना हुआ है| यह पैलेस पुराने अलवर शहर में है| इस पैलेस में आपको पेटिंग, गहने, हथियार आदि देखने के लिए मिलेगें| इस पैलेस के काफी हिस्से को अब सरकारी दफ्तरों और जिला कोर्ट के लिए ईसतमात किया जा रहा है| अलवर में सिटी पैलेस भी देखने लायक जगह है|
अलवर में आपको गौरमिंट मयुजियिम जरूर देखने जाना चाहिए| इस मयुजियिम की टिकट लेकर आप इस मयुजियिम को देख सकते हैं| इस मयुजियिम में आपको राजपूत और मुगल काल से संबंधित पेंटिंग देखने के लिए मिलेगी| इस मयुजियिम में आपको हथियारों का बहुत बड़ा खजाना भी देखने के लिए मिलेगा| अगर आपको ईतिहासिक वस्तुओं को देखने का शौक है तो इस मयुजियिम को जरूर देखें|
मूसी रानी छतरी
अलवर शहर में सागर झील के किनारे पर बनी हुई मूसी रानी छतरी अलवर की मशहूर टूरिस्ट प्लेस है| मूसी रानी की छतरी महाराजा बख्तावर सिंह की रानी मूसी की याद में बनी हुई है| इस खूबसूरत छतरी का आर्कीटेकचर इंडो-ईसलामिक स्टाइल में बना हुआ है| यह छतरी देखने में बहुत खूबसूरत दिखाई देती है| इस शानदार छतरी का ऊपरी भाग मार्बल से बना हुआ है और निचला भाग लाल पत्थर से बना हुआ है| इसके पास ही सागर झील के सामने से बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं| यहाँ से सागर झील और अरावली की पहाडि़यों का लाजवाब दृश्य देखने को मिलता है| मैंने भी मूसी रानी की छतरी के साथ सागर झील पर काफी समय गुजारा और फोटोग्राफी की|
अलवर से जयपुर जाने वाले रास्ते पर अलवर से 13 किमी दूर सिलीसेड नामक एक खूबसूरत झील है| सिलीसेड झील कुल 10.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है| मैं यहाँ अपने दोस्त अशोक शर्मा के साथ बाईक पर आया था| सिलीसेड झील एक विशाल झील है जहाँ से दूर पहाड़ और बीच में झील का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है| इसके अलावा इस खूबसूरत झील के पास ही सिलीसेड पैलेस बना हुआ है| इस खूबसूरत पैलेस को महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी सिला के लिए 1845 ईसवीं में बनाया था| अब इस पैलेस को एक होटल लेक पैलेस में तब्दील कर दिया गया है|
इसके अलावा आप अलवर के आसपास बहुत सारी जगहों पर भी घूम सकते हो जैसे सारिस्सका नैशनल पार्क जो अलवर से 42 किमी दूर है| विराटनगर जो अलवर से 66 किमी दूर है | इन जगहों को भी आप अलवर यात्रा में शामिल कर सकते हो|
अलवर राजस्थान में राजधानी दिल्ली और जयपुर के बीच में है| दिल्ली से अलवर की दूरी 170 किमी और जयपुर से 150 किमी है| अलवर आप रेलवे मार्ग से भी पहुंच सकते हो| भारत के अलग अलग शहरों से आप रेल द्वारा अलवर आ सकते हो| जयपुर, आगरा और दिल्ली आदि शहरों से आप बस से भी अलवर पहुँच सकते हो| आपको रहने के लिए अलवर में हर तरह के बजट के होटल और गैस हाऊस आदि मिल जाऐंगे|