हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में शिमला से तकरीबन 180 किमी दूर समुद्र तल से 2165 मीटर की ऊंचाई पर खूबसूरत जगह है सराहन बुशहर| मुझे दो बार सराहन बुशहर जाने का मौका मिला है| सराहन बुशहर अपने भीमा काली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है| इस मंदिर का नाम 51 शक्तिपीठों में आता है| इस क्षेत्र का ईतिहास महाभारत काल से जुड़ता है| सराहन बुशहर कई सालों तक बुशहर राज्य की राजधानी भी रहा है| टूरिस्ट किन्नौर या सपिति वैली टूर के साथ ही सराहन बुशहर की यात्रा कर सकते हैं| मैं पंजाब में अपने घर से फैमिली को साथ लेक चंडीगढ़, शिमला, रोहड़ू, रामपुर बुशहर आदि जगहों को घूमते हुए शाम के आठ बजे के आसपास सराहन बुशहर पहुँच गया था| सराहन बुशहर में मेरा प्रिय मित्र ललित कुमार भाई रहते हैं जिन्होंने मेरे लिए भीमा काली मंदिर के पास एक गैसट हाऊस में मात्र 800 रुपये में कमरा लेकर रखा हुआ था| सराहन बुशहर पहुँच कर ललित भाई से मिलकर अपना सामान गैसट हाऊस के कमरे में टिका कर हमने डिंनर किया | सफर की थकान की वजह से हम जल्दी ही सो गए|
अगले दिन सुबह हम जल्दी ही उठ गए थे कयोंकि हमें माता भीमा काली मंदिर के दर्शन करने थे| सुबह हमने मंदिर के पास एक ढाबे पर परांठे और चाय के साथ ब्रेकफास्ट किया| फिर हम माता भीमा काली मंदिर की ओर चल पड़े| कुछ सीढ़ियों को चढ़कर हम माता भीमा काली मंदिर के पहले आंगन में पहुँच गए| यहाँ हमने अपने जूते उतार दिए| ललित भाई हमारे साथ थे| फिर हम एक दरवाजे को पार करते हुए मंदिर के दूसरे आंगन में पहुँच गए| ठंड बहुत थी हमारे नंगे पांव काफी ठंड महसूस कर रहे थे| फर्श पर चलने से काफी ठंड लग रही थी कयोंकि सुबह का समय था| यहाँ से आगे आप मंदिर में अपना मोबाइल फोन और चमड़े की बनी हुई कोई भी चीज़ आगे नहीं लेकर जा सकते| मंदिर में बने हुए लाकर में हमने अपने मोबाइल जमा करवा दिए| अब हम माता भीमा काली के दर्शन करने के लिए जाने वाले थे| हमारे सामने लकड़ी और पत्थर के सुमेल से बने दो टावर दिखाई दे रहे थे| इन दो टावर नुमा ईमारत में से एक ईमारत में मां भीमा काली बिराजमान है| छोटी छोटी लकड़ी की सीढ़ियों को चढ़ते हुए हम माता भीमा काली मंदिर में प्रवेश करते हैं| अंदर जाकर माता भीमा काली के दर्शन करते हैं| कुछ देर वहाँ बैठते हैं| बाहर आकर हम अपने मोबाइल फोन लाकर से वापस लेते हैं | मंदिर परिसर में ही लंका बीर जी का मंदिर भी बना हुआ है| जहाँ हमने भैरव रुप में लंका बीर जी के दर्शन किए| मंदिर परिसर में रघुनाथ जी और नरसिंह भगवान के भी मंदिर बने हुए हैं| मंदिर परिसर में बाहर से फोटोग्राफी करते हैं| फिर हम मंदिर से बाहर आते है| मंदिर से पैदल चलते हुए गैसट हाऊस तक आते है| सराहन बुशहर से आपको बर्फ से लदे हुए पहाड़ों के खूबसूरत नजारे देखने के लिए मिलते हैं| कुछ देर के लिए मैं सराहन बुशहर से दिखाई देते हुए नजारों का आनंद लेता रहा| तब तक वाईफ ने सामान आदि पैक कर लिया | हमने ललित भाई से मिलकर आज्ञा ली और गाड़ी में बैठकर अगली मंजिल की ओर बढ़ गए|
सराहन बुशहर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में रामपुर बुशहर से 40 किमी दूर ऊंचे पहाड़ों की बीच एक खूबसूरत जगह है जो माता भीमा काली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है| सराहन बुशहर बुशहर राज्य की राजधानी रहा है| सराहन बुशहर से आप श्रीखंड महादेव रेंज की बर्फ़ से लदी हुई पहाडि़यों के दृश्य देख सकते हो| सराहन बुशहर का ईतिहास महाभारत काल से लेकर पांडवों तक जुड़ता है| ऐसा माना जाता है किसी समय में यहाँ पर बाणासुर का राज्य था | बाणासुर की पुत्री का नाम ऊषा था| एक रात सपने में ऊषा को एक सुंदर राजकुमार दिखाई दिया| ऊषा ने अपने सपने के बारे में अपनी सहेली चित्रलेखा को बताया| राजकुमार की शक्ल के बारे में जैसे ऊषा ने बताया तो चित्रलेखा ने उसे कागज पर उतार दिया| जैसे ही इस पेटिंग को देखा तो पता लगा यह राजकुमार अनिरुद्ध है जो भगवान कृष्ण के पौत्र है| चित्रलेखा ने राजकुमार अनिरुद्ध को ऊषा से मिलाया| दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे| बाणासुर के साथ भगवान कृष्ण की सेना ने युद्ध किया जिसमें बाणासुर की हार हुई| इसके बाद ऊषा और अनिरुद्ध की शादी हुई| माता भीमा काली बुशहर राज्य की कुल देवी है| सराहन बुशहर में माता भीमा काली का मंदिर बना हुआ है जो 51 शक्ति पीठों में शुमार है| कहा जाता है यहाँ सती माता का कान गिरा था|
सराहन बुशहर कैसे पहुंचे- सराहन बुशहर हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में रामपुर बुशहर से 40 किमी, शिमला से 180 किमी दूर है| आप सराहन बुशहर बस से या टैक्सी से आ सकते हो| सराहन बुशहर के लिए आपको सबसे पहले शिमला आना होगा| शिमला से कुफरी, नारकंडा, रामपुर बुशहर होते हुए सराहन बुशहर आ सकते हो| सराहन बुशहर में रहने के लिए आपको होटल गैसट हाऊस आदि मिल जाऐंगे|