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पंजाब अपने आप में एक ऐतिहासिक प्रांत है, जो अपने आप में बहुत शहादत वाला इतिहास समाय हुए है। पंजाब में आप को बहुत सारे गुरुद्वारा साहिब मिलेगे जो अपने आप में बहुत खास है मगर बाहर के लोगों से छुपे हुए है। बहुत सारे लोगों को इन गुरद्वारों साहिब से जुड़े इतिहास के बारे में नहीं पता, न ही वो यह जानते है यह गुरुद्वारा साहिब कितनी शहीदी के बाद बने है, और लोगों की निरंतर सेवा कर रहे है।
ऐसा ही एक बहुत खास गुरद्वारा साहिब है जो मीरी पीरी के मालिक छ्ठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब से संबंध रखता है।
कहां है यह गुरुद्वारा साहिब ?
लुधियाना का नाम तो सुना ही होगा पंजाब का इंडस्ट्री हब है। बस लुधियाना से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव गुज्जरवाल में पक्खोवाल डेहलों रोड पर स्थित है। किला रायपुर जो पंजाब का एक बड़ा और एतिहासिक गांव है उससे मात्र 8 किलोमिटर की दूरी पर है।
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अब जानते है क्या है इस खास गुरुद्वारा साहिब का खास इतिहास?
मीरी पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी पंजाब के मालवा क्षेत्र में काफी समय रहे, ऐसे में 1688 ईस्वी को गुरु जी अपने 2200 से अधिक घोड़ सवार फोजी सपाहिओ के साथ लुधियाना के गुज्जरवाल के पूर्व वाले पास एक ढाब के किनारे पहुंचे थे, ढाब का अर्थ होता है जहां पानी हो।
गुरु जी के आने से सब जगह खुशी फैल गई थी, दूरों दूरो से संगत गुरु जी के दर्शन के लिए उमड़ रही थी। जब यह बात इलाके के चौधरी फतुही को पता चली, वह भी अपने सेवकों के साथ घोड़े पर सवार हो कर गुरु जी के दर्शन के लिए आया, चौधरी के पास एक बाज था। बाज एक शिकारी पंछी होता है।
चौधरी ने गुरु जी से कोई सेवा बक्शने के लिए कहा। गुरूजी ने कोई सेवा नहीं बक्शी। ज्यादा कहने पर श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी ने चौधरी से उसका बाज़ मांगा। जिस पर चौधरी ने मना कर दिया और अपने सेवकों के साथ वापिस आ गया। जब वह घर पहुंचा तभी बाज ने चौधरी के गल में डाला हुआ डोरा निगल लिया, बाज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। चौधरी उसी समय गुरूजी के पास आया, श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब के छू ते ही बाज बिलकुल ठीक हो गया। चौधरी ने गुरूजी को बाज भेट करना चाहा, परंतु गुरु जी ने मनाह कर दिया।
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गुरुद्वारा साहिब की कुछ खास बातें
1. गुरुद्वारा साहिब में परवेश करते ही आप को 2 बहुत सुंदर lawn दिखेंगे जिस में आप को बहुत सुंदर घोड़े का बड़ा सा स्टैच्यू दिखेगा।
2. थोड़ा आगे सरोवर साहिब दिखेगा।
3. दूसरी ओर बड़ा लंगर हाल दिखेगा, जहां 24 घंटे लंगर चलता है।
4. दरबार साहिब से पहले आप को 2 निशान साहिब दिखेंगे।
5. दरबार साहिब में जाते ही आप को बहुत सुंदर पालकी साहिब जिस पर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी बिराजे होते है, साथ में काफ़ी सारे खिलौने रूपी घोड़े और जहाज का सुंदर दृश्य मिलेगा।
6. दरबार साहिब काफी बड़ा है, बहुत सकून मिलता है, रूह को शांति मिलती है।
7. सभी महीनों की मकर सक्रांति और अमावस्या को जहां भारी मेला लगता है।
8. पार्किंग का उचित प्रबंध है।
9. आस पास के गांवों से बहुत सारी संगत इस एताहसिक गुरुद्वारा साहिब के दर्शन के लिए आती है।
10. दीवाली के दिन पूरा गुरुद्वारा साहिब जगमगा उठता है, बहुत सारी सुंदर आतिशबाजी भी की जाती है।
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बहुत बार इस गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने को मिले जितनी बार भी गए मन को अथाह शांति मिली। दीवाली की रात भी जाने का मौका मिला, जगमगाती दीवाली की अमावस्या की रात साथ में सुंदर आतिशबाजी चार चंद लगा रहे थे।
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जब भी कभी पंजाब आए इस गुरुद्वारा साहिब को देखने जरूर आए ।
कैसे जाएं
लुधियाना रेल और सड़क मार्ग से देश के विभिन्न शहरों से जुड़ा है।
हवाई मार्ग से आप चंडीगढ़ तक आ सकते है वहां से टैक्सी, बस से लुधियाना जो 101 किलोमीटर पर है। लुधियाना से गुज्जरवाल की बस और टैक्सी मिल जाती है।
धन्यवाद।