चिल्का झील एशिया की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है | यह झील उड़ीसा राज्य में स्थित है और पुरी से 70 किमी. की दूरी पर है | यह झील उड़ीसा राज्य के खास आकर्षण में से एक है | यह झील लगभग 1100 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है | इस झील में कई द्वीप हैं और यह झील कई प्रकार के वनस्पतियों और जलीय जीव जन्तुओं का घर है |
पुरी की यात्रा करने वाले अधिकांश पर्यटक चिल्का झील की यात्रा करना जरूर पसंद करते हैं | हमने भी अपनी उड़ीसा की यात्रा के दौरान चिल्का झील की यात्रा का कार्यक्रम बनाया | जनवरी का महीना था, उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी | यह श्रेष्ठ समय था उड़ीसा घूमने का | पहले दिन पुरी लोकल और कोणार्क घूमने के बाद अगले दिन चिल्का जाना था |
चिल्का जाने के लिए ऑप्शन की बात करें तो या तो आप अपने साधन से जाए या फिर कैब बुक करके जाए जो कि थोड़ा महंगा पड़ेगा या फिर सबसे अच्छा तरीका है पुरी से चलने वाले विभिन्न टूर ऑपरेटर्स की बसों द्वारा जोकि सुबह पुरी से निकलती हैं और शाम को वापस पुरी छोड़ देती हैं | इन बसों को बुक करने के लिए पुरी गोल्डन बीच के किनारे रोड साइड ही टूर ऑपरेटर्स के ऑफिस हैं जहाँ आप एक दिन पहले ही बुक करा लें या एक दूसरा तरीका है आप अपने होटल वालों से भी बोलकर इन बसों में अपनी सीट बुक करा सकते हैं | ये बसें एसी और नान एसी दोनों तरह की होती हैं |
अगले दिन हम भी सुबह अपनी बुक कराई गई बस में जाकर बैठ गए | 9 बजे हमारी बस खुली | रास्ते में गाइड आपको चिल्का झील और उसमें बोटिंग,खाने पीने की सुविधा आदि के बारे में बताएगा | बस में ही बोटिंग का चार्ज लिया जाएगा जोकि सिंगल का 300 रू और फैमिली बोट का 450 प्रति व्यक्ति था | गाइड ने हम लोगों को बताया कि जहाँ बस उतारेगी वहाँ कुछ रेस्टोरेंट हैं जहाँ आप अपना खाने का आर्डर बुक करा सकते हैं और वापस आकर खाना खा सकते हैं | वहाँ लाइफ जैकेट मिलेगा जिसे लेकर गाइड के बताए बोट पर ही जाना होगा | अब यहाँ से शुरू होती है चिल्का झील की असली यात्रा |
चूंकि यह झील बहुत बड़ी है तो काफी समय लगने वाला था हमें बोटिंग में | बोटिंग करते हमें लगभग डेढ़ घंटे हो चुके थे | इस लेक में एक डाल्फिन प्वाइंट है जो कि इस झील का मुख्य आकर्षण है जहाँ सारी बोट्स जरूर जाती हैं | डाल्फिन देखने के लिए बहुत सतर्क रहना पड़ता है क्योंकि पलक झपकते ही डाल्फिन पानी से उपर आती हैं और फिर पानी के अंदर चली जाती हैं | कुछ लोगों को तो ये डाल्फिन दिखती भी नहीं लेकिन हम खुशकिस्मत थे कि हमें कई डाल्फिन दिखाई दीं | कुछ देर बाद हम एक टापू पर पहुँचे जोकि लाल रंग के केकड़ों (रेड क्रैब) का घर है | यहाँ कुछ लोग मिलेंगे जो सीप के अंदर से स्टोन निकालने का दावा करते हैं जिनसे बचना चाहिए जोकि एक किस्म का फ्राड है | वहाँ से चलकर हमारी बोट एक दूसरे टापू पर पहुँची जिसके दूसरी तरफ समुद्र था | वहाँ बोट से उतरकर हम समुद्र की तरफ गये | यकीन मानिए ऐसा बीच हमने आजतक नहीं देखा था | बहुत ही साफ सुथरा और खूबसूरत | कुछ देर यहाँ बिताने के बाद हम बोट पर आ गये | अब हमें वापस लौटना था | कुछ देर के बाद हम वापस उस स्थान पर आ गए जहाँ से हमने बोटिंग शुरू की थी | बोटिंग में हमें 3 से 4 घंटे लग गए थे | शाम होने वाली थी |
बोट से उतरकर हम लाइफजैकट जमा करके उस रेस्टोरेंट में पहुंचे जहाँ सुबह हम खाने का आर्डर देकर गए थे | खाना औसत ही था पर भूख जोर की लगी थी | खाना खत्म करके हम बस में जाकर बैठ गए क्यों कि हमें थोड़ी देर में वापस पुरी के लिए निकलना था | थोड़ी देर के बाद जब बस के सारे यात्री आ गए तो बस हमारी निकल पड़ी और अंधेरा होते होते हम पुरी पहुंच गये |
और इस तरह हमारी चिल्का झील की यात्रा सफल हुयी |