दोस्तों गुजरात में द्वारका और सोमनाथ के बीच सड़क मार्ग पर एक शहर आता है पोरबंदर| पोरबंदर अरब सागर के तट पर बसा हुआ है| पोरबंदर को सुदामा पुरी भी कहा जाता है कयोंकि पोरबंदर भगवान कृष्ण के पर्म मित्र सुदामा जी की जन्म भूमि और कर्म भूमि है| पोरबंदर में सुदामा जी की याद में सुदामा मंदिर बना हुआ है| वैसे पोरबंदर दो चीजों के लिए मशहूर है| सुदामा जी और राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी के लिए| सुदामा जी की तरह महात्मा गांधी जी का जन्म भी पोरबंदर में हुआ है जहाँ आज कीर्ती मंदिर बना हुआ है| टूरिस्ट इन दो जगहों की यात्रा के लिए पोरबंदर आते है| वैसे जयादातर टूरिस्ट द्वारका से सोमनाथ या सोमनाथ से द्वारका जाते समय रास्ते में पोरबंदर को घूम जाते हैं| मैं गुजरात के अलग अलग जगहों की यात्रा करता रहता हूँ| मैं पिछले साल से पोरबंदर की यात्रा करना चाहता था लेकिन हर बार प्रोग्राम कैंसिल हो जाता था| इस अप्रैल में राजकोट के होमियोपैथिक कालेज में एक दिन शनिवार को कालेज में कलास लगाकर अपने प्रिंसिपल सर की गाड़ी में बैठ कर मैं राजकोट की ग्रीन लैंड चौकड़ी पर पहुँच गया| गुजरात में चौराहे या चौंक को चौकड़ी कहा जाता है| ग्रीन लैंड चौकड़ी से आटो में बैठ कर मैं गोंडल चौकड़ी पहुँच गया| गौंडल चौकड़ी से प्राईवेट बस में बैठ कर मैं पोरबंदर के लिए रवाना हो गया| शाम के छह बजे से बस में बैठ कर मैं रात के दस बजे के आसपास मैं पोरबंदर पहुँच गया| एक दुकान पर पाव भाजी के साथ डिनर करके मैंने पोरबंदर के सुदामा चौक के पास एक होटल में रात काटने के लिए रुम ले लिया| अगले दिन रविवार था तो मैंने पोरबंदर घूमना था| मैं काफी थका हुआ था रात को मुझे अच्छी नींद आ गई| अगले दिन सुबह सात बजे तक मैं तैयार हो कर सामने बाजार में पूरी छोले और चाय के साथ ब्रेकफास्ट करने के बाद में सुदामा चौक के पास ही बने हुए सुदामा मंदिर की ओर पैदल ही चलने लगा| आज मैंने पोरबंदर में सुदामा मंदिर, कीर्ती मंदिर और पोरबंदर की चौपाटी बीच आदि जगहों की यात्रा करनी थी |
सुदामा मंदिर- पोरबंदर में अपने होटल से पैदल चलते हुए ही मैं कुछ देर में सुदामा चौक के पास बने हुए सुदामा मंदिर के गेट के बाहर पहुँच गया| शायद पूरे विश्व में सुदामा जी के नाम पर यह एकलौता मंदिर है | मंदिर काफी भव्य बना हुआ है| सुदामा मंदिर की दिख काफी आकर्षिक है| मंदिर के बाहर जूते उतार कर मैंने सुदामा मंदिर के दर्शन किए| मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति के साथ सुदामा जी और उनकी पत्नी शुशीला जी की मूर्ति बनी हुई है| मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है| मंदिर की परिक्रमा करते समय एक दीवार पर भगवान कृष्ण और सुदामा जी की तस्वीर बनी हुई है जिसमें सुदामा जी जब भगवान कृष्ण से मिलने के लिए जाते हैं तो भगवान आगे आकर उनके चरणों को धोकर अपने प्रिय मित्र का आदर करते हैं| यह मंदिर भी भगवान कृष्ण और सुदामा जी की दोस्ती को समर्पित है | इस मंदिर का निर्माण 12 वीं सदी में किया गया था उसके बाद महाराज भवसिंहजी ने बनाया है| मंदिर के आंगन में ही एक भूल भुलैया बना हुआ है| मैंने सुदामा मंदिर में फोटोग्राफी की और फिर आगे कीर्ती मंदिर देखने के लिए चला गया|
कीर्ती मंदिर - पोरबंदर शहर में यह वह जगह है जहाँ पर महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ था| सुदामा मंदिर देखने के बाद मैं पैदल चलते हुए ही कीर्ती मंदिर की ओर बढ़ने लगा| सुदामा मंदिर से तकरीबन दस मिनट पैदल चलकर मैं कीर्ती मंदिर के गेट पर पहुँच गया| कीर्ती मंदिर सुबह 7 बजे खुल जाता है| जूते उतार कर मैं कीर्ती मंदिर के आंगन में पहुँच गया| कीर्ती मंदिर महात्मा गांधी मैमोरियल के रूप में बना हुआ है जिसकी ऊंचाई 79 मीटर है जो महात्मा गांधी जी के 79 साल उम्र को प्रदर्शित करती है| कीर्ती मंदिर में एक कमरे में महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ था| मैंने भी कीर्ती मंदिर में बने उस कमरे के दर्शन किए जहाँ पर महात्मा गांधी का जन्म हुआ था| उस कमरे में स्वासतिक का निशान बना हुआ है| ऐसा माना जाता है कि इस स्वासतिक के निशान वाली जगह पर महात्मा गांधी का जन्म हुआ| कीर्ती मंदिर के आंगन में बनी हुई सीढ़ियों को चढ़कर मैं पहली मंजिल पर बने हुए गांधी मयुजियिम में पहुँच गया| इस मयुजियिम में महात्मा गांधी से संबंधित तसवीरें प्रदिशत की हुई है| उनके जीवन में घटित हुई महत्वपूर्ण घटनाओं को तस्वीरों के रूप में देख सकते हैं| कीर्ती मंदिर में ही महात्मा गांधी से संबंधित वस्तुओं को भी देख सकते हैं| कीर्ती मंदिर में कुछ फोटोग्राफी करने के बाद में यहाँ से चौपाटी बीच की तरफ चल पड़ा|
चौपाटी बीच- पोरबंदर अरब सागर के तट पर बसा हुआ है| चौपाटी बीच पोरबंदर की मशहूर बीच हैं| पोरबंदर शहर के लोग सुबह और शाम को पिकनिक मनाने के लिए चौपाटी बीच पर जाते हैं| सुबह के आठ बजे का समय हो रहा था| कीर्ती मंदिर देखने के बाद मैं पैदल ही चौपाटी बीच की तरफ चलने लगा| कीर्ती मंदिर से कुछ दूरी पर मैं अरब सागर के पास पहुंच गया| जहाँ पोरबंदर पोर्ट के समुद्री जहाज़ दिखाई दे रहे थे| चलते चलते मैं चौपाटी बीच पर पहुँच गया| चौपाटी बीच की तरफ जाने वाला रास्ता काफी अच्छा बनाया हुआ है| चौपाटी बीच पर पहुँच कर मैं काफी देर तक समुद्र की आती जाती लहरों को देखता रहा| चौपाटी बीच पर काफी लोग घूम रहे थे| समुद्र किनारे का आनंद ले रहे थे| दूर दूर तक दिखाई दे रहा समुद्र बहुत खूबसूरत लग रहा था| चौपाटी बीच पर मैंने फोटोग्राफी की| चौपाटी बीच पर समुद्र किनारे लहरों का आनंद लेने के बाद मैं पैदल ही पोरबंदर के बस स्टैंड की तरफ चल पड़ा| पोरबंदर का बस स्टैंड चौपाटी बीच के पास ही बना हुआ है| पोरबंदर के बस स्टैंड पर पहुँच कर वहाँ से बस में बैठ कर मैंने पोरबंदर को अलविदा कहा|
पोरबंदर कैसे पहुंचे- पोरबंदर अरब सागर के तट पर गुजरात का एक शहर है| पोरबंदर जिला मुख्यालय भी है| आप पोरबंदर रेल मार्ग से भी पहुँच सकते हो| पोरबंदर रेलवे मार्ग से राजकोट, अहमदाबाद, जयपुर, दिल्ली , मुम्बई आदि शहरों से जुडा़ हुआ है| बस से भी आप गुजरात के अलग अलग शहरों से पोरबंदर पहुँच सकते हो | पोरबंदर की दूरी अहमदाबाद से 400 किमी, राजकोट से 180 किमी, द्वारका से 105 किमी और सोमनाथ से 127 किमी है| पोरबंदर में रहने के लिए आपको हर बजट के होटल आदि मिल जाऐगे|