राजस्थान का महत्वपूर्ण शहर है बीकानेर जो पंजाब से बहुत नज़दीक है।
इस शहर को राव जोधा के सपुत्र राव बीका ने 1485 में बसाया था।
बीकानेर का नाम भी राव बीका के नाम पर ही पड़ा है। नेर का मतलब होता है पानी।
बीकानेर अपने आप में ही इतिहास है।
इस ऐतिहासिक शहर को देखने का अवसर मिला था जनवरी 2014
में। पूरा परिवार बस से गया था, बस भी स्लीपर थी, तो बहुत मज़ा आया ,रास्ते में भी जब मोर दिखते सब एक दूसरे को दिखाने लग जाते , ऐसे ही हम आ गए बीकानेर।
ऑटो लेकर हम पहले करणी माता का मंदिर देखने गए फिर कैमल रिसर्च सेन्टर। इस के बाद हम बिकानेर की शान कहे जाने वाले जूनागढ़ किला देखने गए।
जूनागढ़ किले को लाल किला भी कहते है, बीकानेर का किला भी।
जाने यह किला क्यों खास है?
किसने बनाया इस विशाल किले को?
इस किले के निर्माण में कौन कौन सी चीज लगाई है?
क्या विशेष है इस किले में?
क्या क्या है इस किले में देखने के लिए?
कब जाना चाहिए इस किले को देखने के लिए?
इन सब बातों पर बात करेंगे आज इस ब्लॉग में।
जाने क्यों है यह खास?
लाल पत्थरों से बना होने के कारण इसे लाल किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में बहुत सारे रहस्य है। बहुत सारा सोना चांदी है। वर्ल्ड वार के जहाज भी यहां है। बहुत सारे शास्त्र, खाना बनाने वाली बहुत बड़ी देग, नागारा, तीर, सबसे पहला टेलीफोन, सबसे पहली लिफ्ट, सुंदर चित्रकारी वाले दरवाजे, अद्भुत झूला, वर्षा को दिखाता खूबसूरत बादल महल, औरंगजेब के साले को जिस तलवार से मारा था वो तलवार, चांदी के भारी भरकम दरवाजे, सोने से की चित्रकारी, 3D पेंटिंग्स, अखरोट की लकड़ी से बने दरवाज़े, असली खल वाला चीता, डाइनिंग टेबल ऐसे बहुत सी चीजें इस विशाल किले को ओर भी खास बना देती है।
किसने बनाया ?
जूना का अर्थ होता है पुराना। यह काफी पुराना किला है। इस किले का निर्माण राठौर शासिक राजा राय सिंह ने 1489 में करवाया था।
इस किले के निर्माण में 26-27 पीड़ीओ का हाथ है।
महाराजा गंगा सिंह , महाराजा गज सिंह, महाराजा कर्ण सिंह, महाराजा पदम सिंह , महाराजा डोगर सिंह, महाराजा लाल सिंह आदि ने अपना योगदान दिया इस के निर्माण में।
इस किले में आखरी राज तिलक 1988 में हुआ था। तब से लेकर आज तक यह किला टूरिस्ट जगह बन चुका है।
किले के निर्माण के लिए कौन कौन सी चीज लगाई गई है?
इस किले के निर्माण में तीन तरह का पत्थर देखने को मिलता है।
1. लाल बलुआ पत्थर जो मकराने से लाया गया था।
2.सफेद संगमरमर जो मकराने से लाया गया था।
3. इस के निर्माण के लिए जो लकड़ी लगाई है वो है चंदन की, अखरोट की। अखरोट की लकड़ी कश्मीर से लाई गई थी।
इस किले के निर्माण के किए पत्थरों को बिना काटे मतलब एक सिंगल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। यह पत्थर हाथियों से लाए गए थे।
क्या विशेष है इस किले में?
इस किले की कुछ विशेष बातें:
1. इस किले के निर्माण में 22 कैरट सोना और चांदी का इस्तेमाल किया गया है जो आज भी वैसे ही है। छत पर सोने चांदी से बहुत ही खूबसूरत चित्रकारी की हुई है।
2. महाराजा गंगा सिंह के ड्रैसिंग टेबल के लिया जो शीशा था वो बेल्जियम से लाया गया था।
3. हालैंड से ब्लू पत्थर लाकर खूबसूरत चीजें बनाई गई थी।
4.इस किले में ऐसी जाली है जिस से रानियों को बाहर का सब दिखता था परंतु बाहर से कोई भी नहीं देख सकता था। इस से रानी परदे में भी रहती थी और बाहर देख कर मनोरंजन भी कर सकती थी।
5. चांदी से बना हुआ लगभग साढ़े 300 किलो का दरवाजा भी है जिस में 65 किलो चांदी इस्तेमाल की गई है।
7. महाराजा पदम सिंह की 27 किलो तलवार जिससे औरंगजेब के साले को मारा गया था वो तलवार भी है।
8.राव बीका सिंह की देग जिस में खाना बनाया जाता था इसे भी इस किले में देख सकते हो।
9. कैदियों के बनाए हुए आलीशान गलीचे। जहां पर कुछ कीलों भी है जिस पर विशेष प्रजाति के लोग नंगे पांव चलते थे।
10. वर्ल्ड वार पहले के समय का जहाज जो सिर्फ दो ही जगह पर है एक लंदन में दूसरा जूनागढ़ में जिसे अंग्रेजों ने महाराजा गंगा सिंह को तोहफ़े में दिया था।
11. बीकानेर के राजों के सिंबल और चिन्ह जो अंग्रजों ने उपाधि के लिए राजों को दिए थे।
12. बहुत सारे शास्त्र जैसे तलवार , किरपान, चोटी किरपान ,तीर और कमान, बंदूक जिस में ऊट पर रख कर चलाने वाली बढ़ी बढ़ी बंदूक,कारतूस, युद्ध में पहनें जानेवाले वस्त्र जैसे हेलमेट, जंजीर, बुलेट प्रूफ जैकेट जो जंजीर से बनती है, बाजू पर युद्ध मेंपहने जाने वाले वस्त्र सब है।
13. राजों के शतरंज, चौपट, ताश खेलने के लिए टेबल।
14. 160 साल पुराना झूला जिसे हिलाने पर झूले पर बनी गोपियां नाचती नजर आती है।
15. 1919 में बनी हूई भारत की पहली लिफ्ट जो महाराजा गंगा सिंह ने लगवाई थी।
16. 3D पेंटिंग्स भी देखने को मिल जाती है।
17. महाराजा गज सिंह की हाथी दांत की खड़ाव भी है।
क्या क्या है इस किले में देखने के लिए ?
1. होली महल: होली महल में एक ओर पुरष होली खेलते थे, एक ओर महिला। बीच में। रंग से भरा सरोवर था।
2. करण महल: 1631 में महाराजा कर्ण ने बनाया था कर्ण महल जिस में 22 कैरट सोने से चित्रकारी की गई है। सोने का सिंहासन भी है जिस पर आखरी राजतिलक 1988 में हुआ था।
3. बादल महल : बारिश कम होने के कारण लोगों को बारिश का एहसास करवाने के लिए बादल महल बनाया गया था जिस में बादल जैसी पेंटिंग्स। नीचे पानी भरा जाता था, जो पानी उपर जाकर बारिश की तरह बरसता था। इंद्र देवता की पेंटिंग्स जिस में इन्द्र देवता 7 सुंड वाले हाथी ऐरावत पर बैठे हुए दिखाई देते है।
4. फूल महल और चंदर महल : राजा की 2 रानी थी जिन के लिए 2 बेडरूम थे फूल महल और चंदर महल जिस के दरवाजे पर राधा कृष्ण की चित्रकारी की हुई थी। सूरज देवता की मूर्ति एक ही पत्थर से बनी हुई भी है।
5. अनूप महल : चांद तारों जैसे दिखने वाले अनूप महल की चित्रकारी बहुत ही खुबसूरत है। सोने चांदी से की हुई। जब रात को लालटेन जलती थी तब यह चित्रकारी आसमान में तारों चांद जैसे चमकती थी।
कब जाना चाहिए ?
इस किले को देखने के लिए सही समय सर्दी का है क्यों बीकानेर में काफी गर्मी पढ़ती है।
नवंबर से ले कर मार्च तक सही समय है जूनागढ़ देखने का।
कैसे जाएं:
बीकानेर जाने के लिए आप रेल और सड़क से का सकते है। निकटतम एयरपोर्ट जोधपुर एयरपोर्ट है।
जोधपुर से बीकानेर की दूरी 251 किलोमीटर है।
दिल्ली से 445 किलोमीटर है।
धन्यवाद।