नवरात्रि स्पेशल : उत्तर प्रदेश के प्रमुख देवी माँ के मंदिर

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Photo of नवरात्रि स्पेशल : उत्तर प्रदेश के प्रमुख देवी माँ के मंदिर by Rakesh kumar Varma

नवरात्रि चल रही है | नवरात्रि हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जिसमें माता रानी के नौ स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा होती है | लोग कलश स्थापना करके माँ की पूजा करते हैं | इस दौरान उपवास भी रखे जाते हैं | सबसे महत्वपूर्ण दिन नवमी का होता है जब मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है | वैसे तो भारत में बहुत से प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ भक्त जाते हैं दर्शन अर्चन के लिए परंतु आज हम बात करेंगे उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख एवं प्रसिद्ध देवी माँ के मंदिरों के बारे में ---

देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर - उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में यह मंदिर स्थित है | यह 52 शक्तिपीठों में से एक है जहाँ माता का बांया स्कंध और पट गिरा था | यहाँ विराजमान देवी को मां मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है |

माँ ललिता देवी मंदिर, सीतापुर- यह मंदिर सीतापुर जिले में मिसरिख में स्थित है | यह मंदिर भी 52 शक्तिपीठों में से एक है | माना जाता है कि यहाँ माता सती का हृदय गिरा था | यहाँ दूर- दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं |

माँ विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर, मिर्जापुर - उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विन्ध्याचल में गंगा नदी के किनारे माँ विन्ध्यवासिनी देवी का अति प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर है |यहाँ देवी को महामाया देवी के रूप में पूजा जाता है | मान्यता है कि यहाँ का अस्तित्व सृष्टि के आरंभ से है और प्रलय के बाद तक रहेगा | उत्तर प्रदेश सरकार यहाँ विन्ध्याचल धाम कोरिडोर का निर्माण करा रही है जिसके बाद यह विश्व पटल पर अपनी छठा बिखेरेगा |

माँ शाकम्भरी देवी मंदिर, सहारनपुर - माँ शाकम्भरी देवी का  मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित एक शक्तिपीठ है। ब्रह्मपुराण मे इस पीठ को सिद्धपीठ कहा गया है | यह क्षेत्र भगवती शताक्षी का सिद्ध स्थान है। इस परम दुर्लभ तीर्थ क्षेत्र को पंचकोसी सिद्धपीठ कहा जाता है। भगवती सती का शीश इसी क्षेत्र मे गिरा था इसलिए इसकी गणना देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों मे होती है। उत्तर भारत की नौ देवियों की प्रसिद्ध यात्रा मां शाकम्भरी देवी के दर्शन बिना पूर्ण नही होती।

माँ तरकुलहा देवी मंदिर, गोरखपुर - गोरखपुर जिले में स्थित तरकुलहा मंदिर यूपी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को काफी चमत्कारी माना जाता है। इस मंदिर को लेकर एक कहानी प्रचलित है कि आजादी के पहले जब स्वतंत्रता की लड़ाई चल रही थी, तब यहां पर एक क्रांतिकारी बंधू सिंह रहता था, जो यहां से गुजरने वाले सभी अंग्रेजों का सिर काटकर माता को समर्पित करता था। इस बीच अंग्रेजों ने बधू सिंह को पकड़ लिया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी। ऐसे में जब उन्हें फांसी दी जाने लगी तो बार-बार फांसी का फंदा खुद से टूट जाता और बधू सिंह की जान बच जाती। फिर जल्लाद ने बधू सिंह से प्रार्थना की कि अगर उसने उन्हें फांसी नहीं दी तो अंग्रेज उसे मार देंगे। फिर बधू सिंह ने माता से प्रार्थना की तब जाकर बंधू सिंह को फांसी हुई। उसके बाद से ही माता की महिमा का गुणगान होने लगा और तब से लेकर आज तक माता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती है।

माँ विशालाक्षी मंदिर, वाराणसी - काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट पर स्थित माता का एक मंदिर है, जिसे माता के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। यहां पर माता के कान के मणि से जड़ित कुंडल गिरा था, यही कारण है कि इस घाट को मणिकर्णिका घाट कहा जाता है। यहां पर माता सती को विशालाक्षी मणिकर्णी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में ही स्थित है।

          यह तो थे उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख एवं प्रसिद्ध देवी मंदिर | इसके अलावा पूरे प्रदेश में अनेक छोटे बड़े देवी माँ के मंदिर है जो अपने क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हैं |

देवीपाटन मंदिर, बलरामपुर

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माँ विन्ध्यवासिनी देवी, मिर्जापुर

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माँ शाकम्भरी देवी, सहारनपुर

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माँ ललिता देवी, सीतापुर

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