अभी हाल ही मे महापर्व होली के दौरान मेरा इस खूबसूरत शहर से राब्ता ( जान –पहचान ) हुआ । किस्से तो बहुत सुने थे । विडियोज और फोटोज भी देखे थे । लेकिन यकीन मानिए असल में ये और भी ज्यादा खूबसूरत है । पिछले कुछ वर्षो से मैं होली पर्व पर अपने परिवार के साथ कही घूमने चला जाता हू। तो इस बार निश्चय किया की होली उदयपुर में
मनाएंगे। दिल्ली से मारवाड़ एक्सप्रेस के टिकटे लगभग 1 महीने पहले ही बुक करवा ली थी । लेकिन होटल की बुकिंग को लेकर थोड़ा असमंजस की स्थिति थी । पहले सोचा की ऑनलाइन बुकिंग करवा लू फिर अंत में सोचा की वही जाकर देख लेंगे और हुआ भी बिलकुल ठीक ।
जो रेट्स आनलाइन में दिख रहे थे थोड़े ज्यादा थे । ऑफलाइन होटल में जाकर देखा तो काफी सस्ते में ही बढ़िया होटल अच्छी लोकेशन पर मिल गया ।
इसीलिए आप ज्यादा ऑनलाइन के भरोसे मत बैठिए।
आपको ऑफलाइन अच्छी डील मिल जायेगी।
आप मोल भाव भी कर सकते है। और करना भी चाहिए ।
पैसे पेड़ पर नही उगते है ।
थोड़ा भाषण बाजी ज्यादा हो जाए तो माफ कीजिएगा
वो घूमने की बातों में थोड़ा भावनाओ में बह जाता हू ।
पहले कुछ पिक्चर्स,फोटो , चित्र देख लीजिए ।
फिर थोड़ा आगे बढ़ते हैं।
ये लीजिए पेश ए खिदमत
तो ये थी लेक पिछोला। उदयपुर की पहचान ।
तो साहब बड़ी ही खुबसूरत झील है ये । शायद फोटोज से आपको अंदाजा न लग पाए । लेकिन यकीन मानिए ।
खुबसूरती का कोई और नाम होता तो यकीनन मैं लेक पिछोला ही लेता । बड़ी ही खुबसूरत, शर्मीली थोड़ी संकुचाई सी झील है।
हा तो पहले हम कहा थे । तो सबसे पहले जब आपका आना उदयपुर में हो तो कोशिश कीजिए की आपका होटल लेक पिछोला के आस पास ही हो । ये जरूर सुनिश्चित करे । अन्यथा आपको बेवजह ही काफी ट्रैवल करके बार बार लेक पिछोला ही आना होगा ।
अगर आपका होटल लेक के आस पास ही हैं। नजारे तो आपको शानदार मिलेंगे ही जैसे मैंने अपनी यात्रा में बिलकुल लेक से सटा हुआ गड गौर घाट पर होटल लिया था ।
होटल की रूफटॉप यानी की छत के नज़ारे आप भी देख सकते हो । तो मेरे खुद के अनुभव से आप जब भी आए तो होटल लेक के किनारे गड़ गौर घाट के नजदीक ही ले ।
यहां होटल लेने के कई फायदे है । आप लगभग सभी जगह आसानी से जा सकते हो अगर आप लेक पिछोला गड़ गौर घाट के पास किसी होटल में हो तो ।
अब चलते है अगली लोकेशन पर जो है।
सिटी पैलेस उदयपुर ही नही वरन देश दुनिया की सबसे शानदार इमारतों में से एक है ।
ये विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है । कभी इसी पैलेस से मेवाड़ के राजा इस पूरे क्षेत्र पर राज किया करते थे । इस महल को राणा उदय सिंह जी ने बनवाया था । लगभग 600 साल पहले । सिटी पैलेस में बहुत कुछ है देखने समझने और निहारने को । क्या शानो शौकत रही होगी उस वक्त की ।
ये सब कुछ आज भी कितना अच्छा लगता हैं। आप विस्मित हुए बिना रह ही नही सकते ।
फिलहाल मेरी खींची गई कुछ तस्वीरे देखें ।
फिर आगे चलते है।
सिटी पैलेस के नजदीक है। उदयपुर का सबसे प्रसिद्ध और पुराना मंदिर । जगदीश मंदिर
ये बहुत पुराना तथा अच्छा मंदिर मुझे लगा । लोगो से बात करके पता चला की लगभग 1,000 साल पुराना ये मंदिर है ।
ये मंदिर मुख्य सड़क पर ही एक प्रमुख चौक पर स्थित हैं ।
इस चौक का नाम भी जगदीश चौक है । जैसा की मैने आपको बताया कि मैं परिवार सहित होली पर उदयपुर में था
तो बताना चाहूंगा होली त्योहार पर इस चौक की झलक बड़ी शानदार थी । लोग खचा खच भरे थे । एक अलग ही माहौल था । शब्दो में बया नही किया जा सकता। ये मंदिर उदयपुर की शान है । इतना ही कह सकता हु अपने अनुभवों के आधार पर । ये मंदिर सिटी पैलेस, लेक पिछोला, गड़ गौर घाट के नजदीक ही है ।
ये मंदिर भी मुझे व्यक्तिगत रूप से काफी पसंद आया ।
जब सिटी देखकर बाहर निकलते है। तब ये मंदिर थोड़ा ही आगे है। लेकिन ये मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित हैं। या तो आप पैदल , चलकर जा सकते हो लगभग 1 घंटे का समय लगेगा । अन्यथा आप केबल कार ( उड़न खटोला ) से भी जा सकते हो 5 से 7 मिनट की राइड हैं। उड़ान खटोले से जाते हुए बड़े ही शानदार नजारे दिखते है उदयपुर शहर के ।
प्रति व्यक्ति टिकिट दर लगभग 110 रुपए थी । आना जाना
दोनो शामिल है। ऊपर पहुंचकर मंदिर में दर्शन करने के उपरांत वहा से आप पूरे उदयपुर शहर का 360 डिग्री व्यू के नज़ारे ले सकते हो । कुछ लोगो ने बताया कि यहां से सन सेट ( सूर्यास्त ) काफी अच्छा दिखता है।
अब चलते है । उदयपुर की दूसरी खुबसूरत झील फतेह सागर झील पर । ये भी किसी मायने में लेक पिछोला से कम नही है। अरावली पर्वतमाला से घिरी हुई एक बड़ी झील हैं।
इसमें भी लेक पिछोला की ही तरह आप बोटिंग का लुत्फ उठा सकते है । यही इस झील के निकट भारत के वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को समर्पित एक शानदार आर्ट गैलरी है। जिसमे आप महाराना प्रताप और उनके वंशजों के बारे में जान सकते हो । कई सारे पार्क भी इस आर्ट गैलरी में थे । इस झील फतेह सागर लेक के साथ साथ एक सड़क कई किलोमीटर तक चलती हैं। इसे देखकर मुंबई की मरीन ड्राइव की याद आ गई । शाम के समय इस रोड पर अलग ही चहल कदमी रहती है । यहां बैठकर आप घंटो इस झील की खुबसूरती निहार सकते है। आपका यहां से जाने का मन नही करेगा । मेरा तो बिलकुल भी नही था ।
एक बार तो मन किया की कुछ काम धंधा या जॉब ढूढकर यहीं शिफ्ट हो जाऊ। मगर क्या ही कर सकते है।
बहरहाल आप कुछ तस्वीरे देखिए ।
उदयपुर शहर से लगभग आधे घण्टे की दूरी पर स्थित है ।
सज्जन गढ़ मानसून पैलेस । यहां तक पहुंचने का रास्ता मुझे बड़ा अच्छा लगा । इतनी शानदार सड़क हरियाली से भरपूर । क्या कहने । लेकिन मैं इसे नही देख सका क्योंकि
जब मैं वहा गया तो होली पर्व के उपलक्ष्य में फोर्ट बंद था ।
इसीलिए फोर्ट को अंदर से नही देख पाया । लेकिन में तो वहा तक पहुंचने वाले रास्ते को ही देखकर मंत्र मुग्ध था ।
हुआ यूं की हमने दो स्कूटी किराए पर ली हुई थी । और किसी भी शहर को घूमने के लिए 2 व्हीलर से अच्छा कुछ नही। आप शहर के सारे ट्रैफिक को धत्ता बताते हुए आसानी से एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हो ।
मेरे खुद के अनुभव के अनुसार अगर कहीं घूमने जा रहे हो तो वहा 2 व्हीलर किराए पर लेकर आप आसानी से ज्यादा से ज्यादा जगह देख सकते हो ।
फिलहाल ये पिक्चर देखकर काम चलाइए।
ये जगह भी मुझे अच्छी लगी । खासकर मेरी मां को ।
ये बड़े करीने से सजाया गया एक बाग है ।
हरियाली से भरपूर , तरह तरह के फूल पत्तियों से लबरेज।
इसमें काफी सारे फव्वारे हमे देखने को मिले । मैने शायद ही
इतने अच्छे और खूबसूरत फव्वारे पहले कही देखे हो ।
मां को इस जगह आकर बहुत अच्छा लगा ।
अंदर की हरियाली देखकर सच में मेरा तो दिल गार्डन गार्डन हो गया। आप फोटोज देखकर एंजॉय कीजिए ।
थोड़ा समय के अभाव में इतना कुछ ही कवर कर पाया ।
कुछ जगह और भी जाया जा सकता है । लेकिन जो कुछ
देखा सबमें मजा आया । काफी सारी नई यादें इक्कठा की
जो की बढ़ते समय के अनुसार बेशकीमती होती चली जाएंगी । जब आप कही जाते हो तब आपको शायद
उसकी अहमियत नहीं होती । लेकिन जब जब बदलते वक्त के साथ पीछे मुड़कर देखते हो तब आपको उसकी अहमियत का पता चलता है ।
उदयपुर शहर के साथ साथ आप उसके नजदीकी शहरो और धरोहरों को भी देखने जा सकते हो जैसे – कुंभल गढ़ पैलेस
नाथ द्वारा , चित्तौड़ गढ़ , हल्दीघाटी , एकलिंगजी मंदिर
दिलवाड़ा , माउंट आबू इत्यादि
तो कुल मिलाकर मेरी ये यात्रा काफी सुखद रही ।
नई यादें इक्कठा की , नए नए पर्यटन स्थल देखे , नए नए व्यंजन चखे । और तो क्या ही कह सकता हु ।
अब इसके बाद फिर कोई नया शहर , नया प्रांत या क्या पता
नया देश देखने को मिल जाए ।
मिलते है फिर किसी नए सफर पर ।
तब तक हम है रही प्यार के फिर मिलेंगे चलते चलते ।