राजकोट
राजकोट गुजरात के सौराष्ट्र में प्रदेश का चौथा बड़ा शहर है| राजकोट को सौराष्ट्र का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है| राजकोट शहर अजी और नयारी नामक दो नदियों के किनारे बसा हुआ है| राजकोट को जडेजा राजपूतों ने सौराष्ट्र की राजधानी के रूप में 1612 ईसवीं में बसाया था| राजकोट ब्रिटिश राज में पश्चिम भारतीय सटेट का हैडकवाटर रह चुका है| 1870 ईसवीं में अंग्रेजों ने राजकुमार कालेज शुरू किया जिसमें सौराष्ट्र के राज घरानों के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे| महात्मा गॉंधी का भी राजकोट शहर के साथ गहरा नाता रहा है| गांधी जी के बचपन का घर और सकूल अभी भी राजकोट शहर में मौजूद है| राजकोट गुजरात का इंडस्ट्रियल हब है| इसके साथ राजकोट में घुमक्कड़ी के लिए भी बहुत सारी जगहें है जहाँ आप घूम सकते हो| मैं भी राजकोट के पास एक होमियोपैथिक कालेज में पिछले तीन साल से एक टीचर के रूप में काम कर रहा हूँ| मुझे भी अक्सर राजकोट शहर को घूमने और देखने का मौका मिलता रहता है|
महात्मा गांधी मयूजियिम राजकोट
यह एक सकूल था जहाँ महात्मा गांधी ने शिक्षा ग्रहण की है| यह सौराष्ट्र का उस समय में पहला अंग्रेजी सकूल था| इस सकूल में महात्मा गांधी ने 1880 से लेकर 1887 ईसवीं तक पढ़ाई की है| 1971 ईसवीं में इसका नाम महात्मा गांधी विद्यालय रख दिया गया| इस सकूल में 39 कमरे थे और दो मंजिला सकूल है| इन कमरों को अब महात्मा गांधी से संबंधित गैलरियों में तब्दील कर दिया है| इस मयूजियिम में गांधी जी के जीवन से संबंधित घटनाओं और उनकी शिक्षा को प्रदर्शित किया गया है| महात्मा गांधी मयूजियिम में प्रवेश करने के लिए आपको 25 रुपये की टिकट खरीदनी होगी| मयूजियिम सुबह 10 बजे से लेकर शाम को 7 बजे तक खुला रहता है| शाम को 7 बजे से लेकर 7.20 बजे तक लाईट एंड साऊड शो भी दिखाया जाता है| जब भी राजकोट आए तो इस जगह पर जरुर जाना|
काबा गांधी नो डेलो
राजकोट में महात्मा गांधी से संबंधित दूसरी जगह है काबा गांधी नो डेलो | यह महात्मा गांधी के बचपन में राजकोट में उनका घर था| महात्मा गांधी के पिता जी उत्तम चंद गांधी राजकोट के दीवान थे| यह उनका घर था| गुजराती भाषा में डेला या डेलो का अर्थ होता है घर | इस घर का निर्माण 1880-81 ईसवीं में हुआ था| इस घर में महात्मा गांधी से संबंधित वस्तुओं से लेकर तस्वीरें आदि रखी हुई है| इस जगह में प्रवेश के लिए फ्री एंट्री है| आप यहाँ सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक इस जगह को देख सकते हो|
अजी डैम
राजकोट शहर से बाहर अजी नदी के ऊपर अजी डैम बना हुआ है| जिसके पास खूबसूरत गार्डन, बच्चों के लिए पार्क और फूड कोर्ट आदि बना हुआ है| मानसून के समय में अजी डैम से गिरता हुआ पानी जबरदस्त दिखाई देता है| आप अपनी फैमिली के साथ कुदरत की गोद में एक शाम अजी डैम घूम कर बिता सकते हो|
वाटसन मयुजियिम
इस मयुजियिम का निर्माण 1888 ईसवीं में किया गया| यह गुजरात के पुराने मयुजियिम में से एक है| इस मयुजियिम को जौन वाटसन की याद में बनाया गया जो काठीयावाड़ के ब्रिटिश काल में प्रबंधक थे| ईतिहास, कला आदि में वाटसन काफी दिलचस्पी रखते थे| इस मयुजियिम में आप सौराष्ट्र के कल्चर को देख सकते हो| इस मयुजियिम में आप सिक्के, ईतिहास से संबंधित वस्तुओं आदि के साथ सौराष्ट्र के कबीले के कपड़े और उनकी जीवन शैली को देख सकते हो| इसके साथ इस मयुजियिम में विकटोरिया रानी का बुत भी देख सकते हो|
इस मयुजियिम को देखने के लिए आपको 5 रुपये की टिकट लेनी होगी| सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक आप जगह को देख सकते हो| फोटोग्राफी के लिए आपको 100 रुपये देने पड़ेगे|
#राजकोट_शहर_की_एक_शाम
#गुजरात_टूरिज्म
दोस्तों जैसा कि आपको पता ही हैं मैं गुजरात के राजकोट शहर के पास एक होमियोपैथिक कालेज मैं टीचर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूँ। मुझे अक्सर पंजाब से राजकोट और वहां से पंजाब आना जाना पड़ता हैं। राजकोट शहर गुजरात का अहमदाबाद, सूरत और वड़ोदरा के बाद चौथा सबसे बड़ा शहर हैं। राजकोट शहर की आबादी 25 लाख से जयादा हैं। राजकोट को सौराष्ट्र का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है कयोंकि आप अपनी सौराष्ट्र यात्रा का बेस राजकोट शहर को भी बना सकते हो। पिछले दिनों मैं जब राजकोट से पंजाब वापिस आ रहा था तो राजकोट को घूमने का मौका मिला। हमारा कालेज राजकोट से 18 किलोमीटर दूर है, 3.30 बजे कालेज समय खत्म होने के बाद कालेज बस में सटूडेंटस के साथ बैठकर मैं 4.20 तक राजकोट शहर के सरकारी हसपताल के पास उतर गया। वहां से मुझे वाटसन मयूजियिम देखने के लिए जाना था, लेकिन पिछली बार की तरह अभी भी यह मयूजियिम कोरोना की वजह से बंद हैं जिससे मन थोड़ा निराश भी हुआ कयोंकि मैं तीन बार इस वाटसन मयूजियिम को देखने के लिए पहुंचा पर हर बार बंद ही मिला। खैर मयूजियिम के बाहर रोड़ पर चलते हुए मुझे एक आईसक्रीम , सोडा, निंबू पानी वाली दुकान दिखाई दी। वहां आईस गोला भी लिखा हुआ था, गर्मी भी बहुत थी तो मैंने एक आईस गोला कैडबरी फलेवर का आडर कर दिया। आईस के छोटे छोटे टुकड़े कर के उसमें काफी सारा मावा भरकर , काजू बादाम डालकर, कैडबरी फलेवर डाल कर , शायद और भी काफी कुछ मिला कर मुझे आईस गोला खाने के लिए दे दिया। सचमुच आईस गोला काफी सवादिष्ट था, कयोंकि मैंने कभी इस तरह का आईस गोला खाया नहीं था। राजकोट का आईस गोला काफी मशहूर हैं। इसके बाद मैं थोड़ा पैदल चलकर बगल में ही एलफैरड़ सकूल पहुंच गया, जिसे अब महात्मा गांधी मयूजियिम में तबदील कर दिया गया है। 25 रुपये की टिकट लेकर मैं मयूजियिम के अंदर प्रवेश कर गया। महात्मा गांधी मयूजियिम में कुल 30 से जयादा गैलरी बनी हुई है जहां आपको महात्मा गांधी के जीवन के बारे में बताया जाता हैं। एक घंटे तक मयूजियिम को देखकर मैं दुबारा बाजार में आ गया। अभी बारिश भी शुरू हो गई थी, बारिश में भीगता भीगता मैं एक बर्तन वाले की दुकान में चला गया जहां मैंने सटील की एक छोटी सी केतली ली जो मुझे बहुत पसंद आई कयोंकि इसमें दो लोगों के लिए चाय रख सकते है। जब मैंने राजकोट में एक रात अपने सटूडेंटस के रुम में उनके साथ रुका था तब उनके पास इसी तरह की छोटी सी केतली थी, तो मैंने सोचा मैं भी अपने घर ऐसी ही केतली लेकर जायूगा। केतली खरीदने के बाद मैं पास की गली में महात्मा गांधी का राजकोट का घर जिसे काबा गांधी नो डेलो कहा जाता है देखने के लिए चला गया। गुजराती में गली को शेरी बोला जाता है। महात्मा गांधी का घर शायद आठ नंबर शेरी में हैं। काबा गांधी महात्मा गांधी के पिता जी का नाम है उनहीं के नाम पर घर का नाम रखा गया है। घर के अलग अलग कमरों में महात्मा गांधी से संबंधित सामान रखा हुआ है साथ में उनके जीवन के बारे में जानकारी दी हुई हैं। सात बजने वाले थे , मेरी रात को साढ़े आठ बजे बस थी। अब मुझे राजकोट के बस स्टैंड जाना था, रास्ते में एक होटल में काठीआवाड़ी खाने का आनंद लेकर मैं राजकोट बस स्टैंड पहुंच गया। राजकोट शहर का बस स्टैंड बिल्कुल एयरपोर्ट की तरह दिखाई देता है। बहुत साफ सुथरा बना हुआ है। बसें एक तरफ से अंदर आती हैं दूसरी तरफ से बाहर निकलती हैं। मुसाफिरों के खान पान, बाथरूम, बैठने और मोबाइल फोन चार्ज करने तक की सब सुविधा हैं। मैंने एक घंटा बस स्टैंड पर बिताया, फिर मेरी बस आ गई जिस पर चढ़कर मैं पालनपुर की ओर बढ़ गया। इस तरह मैंने एक शानदार शाम को राजकोट शहर में बिताने के बाद राजकोट को अलविदा कहा।
कैसे पहुंचे - राजकोट रेलवे स्टेशन रेलवे मार्ग से भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| आप गुजरात के शहरों से बस से भी राजकोट पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको राजकोट में हर तरह के होटल मिल जाऐगे|