ट्रैवल ब्लॉगर के तौर पर अक्सर किसी ऐसे इंसान की कल्पना की जाती है जो हमेशा पहाड़ों की वादियों के बीच सैर करता होगा या फिर कहीं समुद्र के गोते ले रहा होगा।लेकिन ऐसा नहीं है मेरे अनुसार असल में ट्रैवल ब्लॉगर एक ऐसा इंसान होता है जो हर उस जगह को लोगों तक पहुंचता हैं जहां वो नही जा पाते हैं और अपने बिजी शेड्यूल में से भी घूमने के लिए टाइम निकाल लेता हैं क्योंकि ट्रैवल ही उसकी जान होती हैं।तो सलाम, नमस्ते, केम छू मित्रो?कैसे हो आप सब ?मैं आप का दोस्त, हमदर्द, साथी हाज़िर हूं एक नए ब्लॉग के साथ ,एक ऐसी ट्रिप का अनुभव शेयर करने जिससे कर के मुझे समझ आया कि मैं ट्रैवल को ले कर कितना जुनूनी हूं।
रास्ते जहाँ ख़त्म होते हैं ज़िंदगी के सफ़र में,
मंज़िल तो वहाँ है जहाँ ख्वाहिशें थम जाती हैं।
ये शायरी हमारी अभी की स्थिति पर शाठिक बैठी हैं। क्योंकि रास्ता कहीं और का था पर ट्रैवल के जुनून ने हमें कहीं और ही पहुंचा दिया।मैं मेरा दोस्त अनिरूद्ध पटेल पहुंचे थे मेरे भाई की शादी में मेरे घर गोरखपुर। खैर अनिरूद्ध का गोरखपुर में यह पहला कदम था पर मैंने उससे पहले ही समझा दिया था की मैं यहां तुम्हें कही घुमा नहीं पाऊंगा, क्योंकि शादी के घर में बहुत काम होते हैं जिसे मुझे खुद अकेले देखना हैं।हम बारात ले कर बिहार गए ,फिर बिहार से गोरखपुर आए । गोरखपुर में रिसिप्शन हुई। रिसिप्शन की रात जब हम मैरिज हॉल से करीबन 2 बजे रात को आ रहे थे तब मेरे एक दोस्त कालू ने कहा चलो कही चाय पीने चलते हैं।फिर क्या था हम तीनो ने कार उठाई और 2 बजे चाय की तलाश में निकल लिए स्टेशन की तरफ़।बाकी आप लोगो को पता ही चाय पे अगर किसी बात पे चर्चा हो जाए तो लड़को के लिए उससे पूरा करना कितना जरूरी हो जाता हैं बोले तो मर्द की जुबान की बात हो जाती हैं। बातों बातों में पटेल की घुमाने की बात चली और हमने डिसाइड किया एक दिन हैं हमारे पास या तो सो के बिताए या फिर अपने स्टाइल में बिताए बस रात को 3 बजे चाय की चुस्की लेते हुए हमनें डिसाइड किया की कल सुबह हम रोड ट्रिप पे जायेंगे कुशीनगर।
उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जिला अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह भूमि बौद्ध धर्म के लिए एक पवित्र स्थान है। यहीं पर भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ था। इस बात को ध्यान देते हुए हमनें यहां का ट्रिप प्लान किया। सुबह सुबह करीब 8 बजे हम घर से निकले ,गाड़ी में मेरे मित्र अनुदीप उर्फ कालू का सॉन्ग कलेक्शन और मेरे डांस मूव करते करते कब हमने 60km का सफर अंजाम दिया हमने कुछ समझ नहीं आया। वहां पहुंचते ही सबसे पहले हमने बर्गर खाया उसके बाद निकल पड़े घूमने।
सबसे पहले हम सूर्य मंदिर गए। वहा के बारे में बोला जाता हैं कि यह मंदिर मूल रूप से गुप्त काल के दौरान बनवाया गया था। हालांकि, इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार हो चुका है। इस प्रतिमा का निर्माण नीलम धातु से किया गया है। हर साल नवंबर में यहां सूर्य महोत्सव का आयोजन भी होता है। जन्माष्टमी में इस दिन में खासा भीड़ देखने को मिलती है। यहां के दर्शन के बाद हम पहुंचे निर्वाण स्तूप।निर्वाण स्तूप को निर्वाण चैत्य के नाम से भी जाना जाता है, जो कि महापरिनिर्वाण मंदिर के पीछे स्थित है। दोनों मंदिर और 2.74 मीटर ऊंचा स्तूप 15.81 मीटर की ऊंचाई वाले स्तूप के साथ बनाया किया गया है। इस स्थान की खुदाई से एक तांबे की नाव मिली थी। इस स्मारक को गौतम बुद्ध का घर माना जाता है। इसके बाद हम पहुंचे महापरिनिर्वाण मंदिर यह मन्दिर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बौद्ध धर्म के अनुयाइयों के लिए सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की लेटी हुई मूर्ति है, जिसकी लंबानी 6.10 मीटर है। कहा जाता है कि यह मूर्ति की उस अवस्था में है, जब भगवान बुद्ध ने 80 वर्ष की आयु में अपने नश्वर अवशेषों को छोड़ मोक्ष की अवस्था प्राप्त की। मंदिर के चारों ओर फैली हरियाली और शांति पर्यटकों को आकर्षित करती है।
वहां से निकलते ही हमने मेरे फेवरेट मन्दिर चाइनीज मंदिर गए। यहां का लोकेशन देख के मुझे पांडा मूवी याद आ जाती हैं।चाइनीज मंदिर को लिन सुन चाइनीज मंदिर भी कहा जाता है जो कि कुशीनगर के आधुनिक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर बर्मा मंदिर के आगे उत्तर में स्थित है। यह पहला बौद्ध स्मारक है जो शहर के द्वार में प्रवेश करते ही पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। चाइनीज मंदिर में चीनी और वियतनामी वास्तुशिल्प डिजाइनों का मिश्रण देखने को मिलता है। इस मंदिर में कमल के तालाब भी हैं। ये सब घूमते घूमते कब शाम के 4 बज गए हमने पता भी नही चला क्योंकि गोरखपुर आ के नौका विहार नही घूमना तो क्या ख़ाक गोरखपुर आए आप।तो हमने अपनी गाड़ी उठाई और निकल पड़े नौका विहार की तरफ़।वहा जाने की हमारी टाइमिंग इतनी सही थी की हम आपको क्या बताएं वहां पहुंचते ही हमने वहां के फाउंटेन डांस का नजर लिया ,नौका विहार घुमा, ताल किनारे तंदूरी चाय का मज़ा लिया गोरखपुर के फेमस चिकन बिरयानी खाया और निकल पड़े घर की ओर।
टाइमिंग की दिक्कत की वजह से गोरखनाथ मंदिर नहीं जा पाए हम पर मैं अनिरूद्ध से वादा किया नेक्स्ट टाइम गोरखपुर अच्छे से घुमाऊंगा। घर पहुंचते ही हमने बैग पैक किया और मैंने अपने घर वालो को बाय बोला और जो ट्रिप हमने पहले से डिसाइड किया था रीवा ट्रिप उस के लिए बस पकड़ा।
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