राजकोट के होमियोपैथिक कालेज में स्टूडेंट्स के यूनिवर्सिटी के पेपर और प्रैक्टिकल में डयूटी को पूरा करके मुझे पंजाब वापस आना था| 4 मार्च 2023 को राजकोट रेलवे स्टेशन से रात को 11.30 बजे पोरबंदर-दिल्ली रेलगाड़ी पकड़ कर मैं अगले दिन सुबह राजस्थान के फालना रेलवे स्टेशन पर उतर गया| फालना रेलवे स्टेशन राजस्थान में आबू रोड़ और जोधपुर के बीच में पड़ता है| फालना रेलवे स्टेशन पर ही मैं फ्रैश हो गया| अपने दो बैग मैंने कलाक रुम में जमा करवा दिए| रेलवे स्टेशन से बाहर आकर प्याज कचौरी के साथ जलेबी का नाश्ता करने के बाद मैं रणकपुर की बस के इंतजार में एक चौक में खड़ गया| मुझे रणकपुर की सीधी बस नहीं मिली | मैं राजस्थान रोडवेज की बस में सवार होकर रणकपुर से 9 किलोमीटर पहले सादड़ी कस्बे में पहुँच गया| यहाँ भी मैंने बस के लिए इंतजार किया| थोड़े समय बाद मुझे राजस्थान रोडवेज की बस मिल गई| इस बस ने जोधपुर से उदयपुर जाना था वाया फालना, सादड़ी, रणकपुर होते हुए| बस पूरी फुल थी | मैं के प्रवेश द्वार में ही खड़े होकर रणकपुर जा पहुँचा| बस ने मुझे रणकपुर जैन मंदिर के पास ही उतार दिया| आसपास अरावली की पहाडियों और सामने नदी रणकपुर की खूबसूरती को और चार चांद लगा लेते हैं|
रणकपुर जैन मंदिर में आप जैन धर्म के तीर्थंकर आदिनाथ, नेमीनाथ और पार्श्वनाथ भगवान के मंदिरों के दर्शन कर सकते हो| इसके अलावा सूर्यनारायण मंदिर भी है जो थोड़ी दूरी पर बना हुआ है| रणकपुर जैन मंदिर पहुँचते मुझे 11 बजे का समय हो गया था| रणकपुर जैन मंदिर में प्रवेश करने के बाद मैं सबसे पहले भोजनालय में गया| यह भोजनालय मंदिर में प्रवेश करके दाएं वाली साईड में है| आपको 90 रुपये देकर टोकन मिलेगा| जिसमें आप भरपेट भोजन कर सकते हो| राजमाह की सब्जी और गरमा गरम रोटी, दाल, चावल, पापड़ आदि के साथ जैन मंदिर की भोजनालय में खाना खाने का आनंद लिया|
पाश्वनाथ मंदिर
सबसे पहले मैं इस मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंचा | जूते उतार कर कुछ सीढ़ियों को चढ़कर मैंने मंदिर में प्रवेश किया| मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत कलाकारी की हुई है| मैंने मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करके भगवान की मूर्ति के दर्शन किए| फिर मंदिर की परिक्रमा की | मंदिर के बाहर लाजवाब कलाकारी की हुई है| मैंने इस मंदिर की शानदार मूर्ति कला को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद कर लिया| इस मंदिर में आप फोटोग्राफी कर सकते हो| मंदिर के दर्शन करने के बाद में आदिनाथ भगवान के दर्शन के लिए आगे बढ़ गया|
रणकपुर जैन मंदिर के सबसे मुख्य और आकर्षिक मंदिर भगवान आदिनाथ का मंदिर है| भगवान आदिनाथ जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे| इनको भगवान ऋषभदेव भी कहा जाता है| रणकपुर जैन मंदिर में सबसे विशाल मंदिर यहीं हैं| इस विशाल मंदिर का निर्माण राणा कुम्भा के प्रधानमंत्री धरण शाह ने 1436 ईसवीं में करवाया जो जैन धर्म के अनुयायी थे| इस मंदिर में कुल 29 हाल और 1444 खंभे बने हुए हैं| हर खंभे के ऊपर खूबसूरत नक्काशी की हुई है| इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की चार मूर्ति बनाई गई है जो चारों दिशाओं में रखी हुई है| इस मंदिर के निर्माण के लिए 60 साल तक का समय लगा और उस समय तकरीबन 16 करोड़ खर्च हुआ था| मंदिर की खूबसूरत कलाकारी अद्भुत है| अगर आप को इस मंदिर में फोटोग्राफी करनी है तो आपको 100 रुपये की टिकट लेनी होगी| आप इस मंदिर के ईतिहास को जानने के लिए आडियो गाईड की सुविधा भी ले सकते हो जिसको जयादातार विदेशी टूरिस्ट ही लेते हैं| मैंने इस मंदिर के दर्शन किए और इसकी खूबसूरत कलाकारी और भगवान आदिनाथ की अद्भुत मूर्ति को नमन किया| मंदिर के अंदर काफी समय तक मैं इसकी खूबसूरती को निहारता रहा| इसके बाद मैं भगवान नेमीनाथ के मंदिर के दर्शन करने के लिए गया| उस मंदिर की कुछ तस्वीरें खींच कर मैं मंदिर से बाहर निकल कर थोड़ी दूर पर बने हुए सूर्य नारायण मंदिर पहुँच गया| यह मंदिर भी बहुत खूबसूरत है| यहाँ से अरावली की पहाडि़यों के खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं| रणकपुर जैन मंदिर में तकरीबन दो घंटे घूमकर मैं बस लेकर फालना रेलवे स्टेशन आ गया| जहाँ से शाम की रेलगाड़ी पकड़ कर मैं पंजाब की ओर रवाना हो गया|
रणकपुर राजस्थान के पाली जिले में उदयपुर से 96 किमी, जोधपुर से 170 किमी और फालना रेलवे स्टेशन से 35 किमी दूर है| फालना रणकपुर के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है| रणकपुर में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है हालांकि भारतीय रेलवे ने रणकपुर जैन मंदिर के नाम पर रणकपुर एक्सप्रेस रेलगाड़ी चलाई है जो बीकानेर से मुंबई के बीच में चलती है| आपको बस या अपने साधन से ही रणकपुर आना होगा| आप रणकपुर जैन मंदिर की धर्मशाला या फिर फालना रेलवे स्टेशन के पास होटल आदि में रुक सकते हैं|