![Photo of पशुपतिनाथ.. सन्यासियों के मन की बात ..! by Mountain Musafeer](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2087899/TripDocument/1676511287_20211103_082928.jpg)
पशुपतिनाथ.. सन्यासियों के मन की बात ..!
शम्भो ....हर हर महादेव ..इन्ही शब्दों के उदघोस के साथ पशुपतिनाथ के आंगन में एंट्री होती हैं हर शिव भक्ति की ..यहाँ तक तो सब कुछ सामान्य ही लगता हैं ..लेकिन जैसे मंदिर से बागमती के घाट के ऊपर एक पुराने पैगोडा शैली में बने काठ और पत्थर की कलात्मक माध्यम आकार के बने मंदिर की तरफ मेरी नजर गई बाबा जी अपने पुरे अंतर्मन से अपनी दिनचर्या में लगे हुए थे .. यज्ञया करने में ..पुरे अंतर्मन के साथ .. आस-पास ही मंदिर में कर्मकांडो और भक्तों का जैकारा भी अपने चरम पर था .. वाकई यह बड़े सय्यम की बात थी .. अब में भी टकटकी लगाए बाबा जी की आँखे खुलने का इंतजार करने लगा वाकई कुछ ही पलो में मेरा धैर्य जवाब देने लगा की छोडो यार चलता हूँ , कुछ पांच मिनट और हुए ही थे की अब बाबा जी की आखे खुली और मेरा पहला सम्बोधन शम्भो ...हर महादेव, हर हर... महादेव ! के प्रतिउत्तर के साथ बाबा जी की आवाज़ आई और सामान्य बातो के साथ हमारी बातचीत का शिलशिला आगे बड़ा .. मेरी टोन से ही बाबा जी समझ गए की में भारत से आया हु ..और उनका प्रशन हुआ कहा से हो आप ..बाबा जी उत्तराखंड से.. मेरा उत्तर .. क्या करते हो .. माउंटेन ट्रेकिंग गाइड ...अच्छा टूरिस्ट्स को घुमाते हो बाबा जी ने पूछा , जी हा ...
मेरा जवाब पहले से ही तैयार था .. और भी कई सारे प्रश्नो के साथ .. जैसे.. बाबा जी ध्यान कैसे लगाए ..दुनियादारी में क्या रखा हैं, खुश कैसे रहे ...या फिर हम जो कुछ भी करते हैं अंत में संतुस्टी क्यों नहीं होती ..एक ही साथ मैंने प्रश्नो की जैसे झड़ी लगा दी ..
मेरी बातो की गम्भीरता को समझते हुए बाबा जी ने मुझे अपने पीछे पीछे आने को कहा ... पशुपतिनाथ के दर्शन किया? ..उनका प्रशन ..जी हा मेरा उत्तर , कैसा लागा ? अच्छा लगा मेरा सामान्य उत्तर , क्या देखा ? जी ..अब में अटका .यहाँ भी में सामान्य सा उत्तर दे कर आगे बढ़ सकता था, लकिन..दोस्तों इससे आगे थोड़ा इंतज़ार ..
यही सभी लोग और पशुपतिनाथ के दर्शन ..में पीछे चलता जा रहा था , तभी बाबा जी ने रोका और कहा ..कितने बार आये हो यहाँ ..कही बार ..में आता रहता हूँ .. मैंने और शब्द जोड़ते हुए कहा ..वो देखो ..देखा ..पहले तो में सामन्य सी बात मान कर ..जी हा बोल कर सांत हो गया , लेकिन एक बार फिर देखा ..वाह.. यह क्या पशुपति मंदिर के सबसे चोटि पर एक अति सुन्दर कलाकृति .. सायद यह शब्द भी पूरा न हो उस अनुभव के लिए यह दृश्य केवल एक जगह से ही दीखता था पुरे पशुपति प्रांगड़ को छोड़ कर ,
इसी जगह से तो में कई बार आता जाता
रहा हु , लकिन ध्यान नहीं दिया मैंने कहा ,
यह पारस लिंग में आता हैं , पशुपति का शिवलिंग , जी के उत्तर के साथ अब हम बाबा जी के कुटिया में पहुंच चुके थे , थोड़ा होम करने के बाद, अब बातो का शील शिला चल पड़ा में तैयार था की कुछ अर्थः पूर्ण बात हो ,.. मैंने कई सरे प्रशन किये , लकिन सिमित उत्तर के साथ बातो का शिलशिला आगे बढ़ता रहा , और निष्कर्ष ..गहराई में जाना हैं ... जो कुछ भी करो बस करने और अर्थपूर्ण रूप से करने में अंतर होता हैं और उसका रिजल्ट भी सुखद ,
अब तो में थोड़ा ही सही सन्यासी मन को समझने का प्रयास भी
करने लगा हु , ..लकिन हम सब का उद्देश्य अपने आत्ममन और अंतर्मन को समझना भी होना चाहिए , शम्भू ...हर हर महादेव , अभी इतना ही लिख पा रहा हु , आपके सलाह सुझावो का सदा स्वागत रहेगा ...पहाड़ी गाइड ...!
![Photo of पशुपतिनाथ.. सन्यासियों के मन की बात ..! by Mountain Musafeer](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2087899/SpotDocument/1676511445_1676511440119.jpg.webp)
![Photo of पशुपतिनाथ.. सन्यासियों के मन की बात ..! by Mountain Musafeer](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2087899/SpotDocument/1676511450_1676511440768.jpg.webp)
![Photo of पशुपतिनाथ.. सन्यासियों के मन की बात ..! by Mountain Musafeer](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2087899/SpotDocument/1676511454_1676511441071.jpg.webp)