•राजगीर में बना चीन की तरह ग्लास स्काईवॉक ब्रिज, मोह लेगा आपका मन:-
बिहार में राजगीर को टूरिस्टों का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल माना जाता है। यही वजह है कि ना सिर्फ देश के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी लोग राजगीर घूमने आते हैं। भगवान बुद्ध की विरासत और भारतीय इतिहास को अपने में समेटे ये शहर पूरे राज्य में आकर्षण का केंद्र है। अब इसी शहर में चीन की तरह पर्यटकों के लिए तैयार हुआ राज्य का पहला ग्लास ब्रिज लोगों का मन मोह रहा है। यह देश का दूसरा ग्लास स्काईवॉक ब्रिज है जो बिहार में नेचर एडवेंचर को बढ़ावा देगा। (इनपुट- रंजीत कुमार सिंह )
बता दें कि पूर्वोत्तर भारत में यह पहला ग्लाज ब्रिज है जिसे पर्यटकों के लिए बिहार सरकार ने तैयार कराया है। इसका मुख्य मकसद पूरे राजगीर क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस ग्लास ब्रिज को चीन के हांगझोऊ प्रांत में बने 120 मीटर ऊंचे कांच के पुल की तर्ज पर बनाया गया है। वेणुबन से पुल को सजाया जा रहा है। इस पुल पर चलते हुए आप अपने कदमों के नीचे की धरती को भी आसानी से देख पाएंगे।
बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने इस पुल के आसपास टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नेचर सफारी पार्क के निर्माण का फैसला लिया है। राजगीर को अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहां जू सफारी, तितली पार्क, आर्युवेदिक पार्क और देश-विदेश के अलग-अलग प्रजातियों के पेड़-पौधे देखने को मिलते हैं जो आम तौर पर कहीं और नहीं दिखता है।
नालंदा जिले को सेंट्रल जू अथॉरिटी से भी जू सफारी पार्क के लिए मान्यता मिल गयी है और पूर्वोत्तर के इस पहले ग्लास पुल को नए साल के मौके पर आम लोगों के लिए खोला जाएगा। इसके साथ ही वहां करोड़ों रुपये की लागत से रोपवे का भी निर्माण कराया जा रहा जो लोगों को विश्व शांति स्तुप तक आसानी से पहुंचा देगा।
चीन में बने पहले ग्लास स्काईवॉक ब्रिज को जब 20 अगस्त 2016 को आम लोगों के लिए खोला गया था तो यह उस वक्त दुनिया का सबसे लंबा और सबसे ऊंचा कांच का पुल था। इस पुल की कुल लंबाई में 430 मीटर (1,410 फीट) और चौड़ाई 6 मीटर (20 फीट) है, और यह जमीन से लगभग 300 मीटर (980 फीट) की ऊंचाई पर है।