विभिन्नता से भरपूर भारत देश के उत्तर पछमी में स्थित, क्षेत्रफल में सबसे बड़ा परदेश है- राजस्थान, थार मारूथल का सबसे ज्यादा हिस्सा समाए बैठा है। जब भी राजस्थान की बात आती है, तब दिमाग में रेत के टिब्बे, किले,तीखा खान-पान, संगीत, नाच, रंगीले लिबास तथा गौरवशाली इतिहास के विचार आते है।
क्यो कि पंजाब की सीमा राजस्थान से लगती है, इसलिए हमारे लिए राजस्थान जाना आसान है। बस या रेल द्वारा आसानी से राजस्थान के बड़े शहरों तक जाया जा सकता है।यूँ तो राजस्थान थार मारूथल, रेत के टिब्बो, किले, महलों, हवेलियाँ आदि के लिए प्रसिद्ध है।
मारुथल मतलब रेगिस्तान में रेत पर चलना बहुत कठिन होता है। सिर्फ़ कुछ जानवर ही रेत पर चलने के काबिल होते है।
जब हम पढ़ा करते थे तब समाजिक शिक्षा में एक प्रशन आता था-
रेगिस्तान का जहाज किसे कहते है?
इसका जवाब सब को पता ही होगा।
अगर आप को रेगिस्तान के जहाज ऊट के बारे में जानना हो तो बीकानेर के " नैशनल कैमल रिसचर सेन्टर" जरूर देखो जो ऊठो पर अपनी खोज को बखूबी निभा रिहा है। जहा पर ऊटो की अलग-अलग प्रजातिए है।
मुझे भी परिवार के साथ इस कैमल 🐫 रिसर्च सेन्टर को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
यह बीकानेर में स्थित एक बहुत ही खूबसूरत जगह हैं। जहाँ पर्यटक विभिन्न नस्लों के ऊंट और उनके व्यवहार को देख सकते हैं। यहां तीन नस्लों के कम से कम 230 ऊंट हैं। यहां आप ऊंटनी के दूध के नमूनों के साथ लस्सी का आनंद भी उठा सकते हैं ।ऊंट की सवारी भी पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बनी हुई हैं। यदि आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ बीकानेर में कही घूमने का प्लान बना रहे है तो आप लोकप्रिय पर्यटक स्थल ऊंट अनुसंधान केंद्र की यात्रा कर सकते है।
नैशनल कैमल रिसर्च सेंटर में प्रवेश करते ही आप को सब से पहले राजस्थानी कला को देखने काअवसर मिलेगा, जिस में आप राजस्थानी पेंटिंग्स, हाथी दांत का समान, लकड़ का समान, राजस्थानी पेंटिंग्स वाले टॉवल आदि देख सकते हो और खरीद भी सकते हो।
ऊट की सफ़ारी: नेशनल कैमल रिसर्च सेंटर का मुख्य आकर्षण ऊट की सफ़ारी है। मैंने और भाई यादविंदर सिंह ने ऊट पर बैठ कर ऊट की सफ़ारी की। मम्मी को बहुत डर लगा, डर के कारण उन्होंने ऊट की सफ़ारी नही की। जब ऊट उठता है, तब थोड़ा सा डर लगता है।
ऊट के दूध की कैंटीन: ऊठनी का दूध सावाद में नमकीन होता है। हमने कैंटीन से अलग अलग फ्लेवर का दूध पिया। यह दूध बहुत पतला होता है इसलिए इस का दही नहीं जमता।
ऊटनी के दूध की विशेषताएं:
1. स्लूना मतलब नमक वाला होता है।
2. बहुत पतला दूध होता है।
3.ऊंटनी का दूध शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
4.ऊंटनी का दूध पीने से बच्चों की मानसिक बीमारियां ठीक होती हैं।
5. यह बच्चों को कुपोषण से भी बचाता है
6.ऊंटनी के एक लीटर दूध में लगभग 52 यूनिट इंसुलिन की मात्रा होती है।
7. ऊटनी का दूध मधुमेह जैसी बीमारियां ठीक करता है।
8.ऊंटनी का दूध त्वचा निखारने का भी काम करता है।
9.ऊंटनी के दूध में कैल्शियम काफी मात्रा में होता है जिस से हड्डियां मजबूत बनती है।
10. ऊटनी के दूध से मोटापा कंट्रोल में रहता है।
नेशनल कैमल रिसर्च सेंटर पर्यटकों के घूमने के लिए प्रतिदिन दोपहर 2.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक खुला रहता है । नेशनल कैमल रिसर्च सेंटर में घूमने के लिए कम से कम 2-3 घंटे का समय जरूर होना चाहिए।
टिकट फीस:
भारतीय पर्यटकों के घूमने के लिए : 30 रूपये प्रति व्यक्ति
विदेशी पर्यटकों के लिए : 100 रूपये प्रति व्यक्ति
कैमरा 📷 और वीडियो कैमरा के लिए : 50 रूपये
कैसे जाएं: बीकानेर से 8 किलोमीटर पर स्थित नेशनल कैमल रिसर्च सेंटर में जाने के लिए आप कोई भी मार्ग जैसे सड़क, रेल और हवाई मार्ग से जा सकते है।
बीकानेर देश के विभिन्न शहरों से जुड़ा हुआ है। बीकानेर से सबसे नजदीक एयरपोर्ट जोधपुर का है जो 251 किलोमीटर की दूरी पर है, जोधपुर से बीकानेर के लिए 5 घंटे लगते है।
बीकानेर रेल और सड़क के माध्यम से भी देश की अलग अलग जगहों से जुड़ा है।
धन्यवाद।