तो आज बात करेंगे दिल्ली की । मेरा मतलब असली दिल्ली की । जिसे हम पुरानी दिल्ली के नाम से भी ज्यादा जानते है
तो साहब शुरू करते है । वैसे तो आए दिन आप लोग देश दुनिया की खबरों में इस शहर के चर्चे सुनते रहते होंगे। इसमें तो कोई शक और शुबाह है नही।
पुराने समय से ही दिल्ली शहर देश की राजनैतिक, संस्कृतिक, और औधोगिक धुरी का केंद्र रहा है ।
भले ही आज देश दुनिया ने कितनी भी तरक्की कर ली हो
सभ्यता कितनी भी विकसित हो गई हो । हम सबने भी अपने जीने के तौर तरीके बदल दिए हो । लेकिन पुरानी दिल्ली ने अभी भी काफी कुछ वैसा का वैसा ही बचा कर रखा हुआ है ।
भले ही दिल्ली की इन पुरानी गलियों में चलते चलते आपके कंधे अजनबियों से मिल जाते हो । भले ही आपको थोड़ी साफ सफाई की कमी लगे । भले ही आपको जरूरत से ज्यादा लोग दिखे । लेकिन यही तो यहां की पहचान है ।
पुरानी दिल्ली की इन गलियों में अब पुरानी वाली तो बात नही है । लेकिन फिर भी ये गलियां आपको अपनी ओर खींच ही लेंगी । देश दुनिया की शायद ही कोई ऐसी चीज हो जो यहां आपको न मिले ।
" ये गलियां समेटे है। अपने आप में बहुत कुछ
इन गलियों ने देखे है दौरे –जहा "
इन गलियों के आकर्षण से तो पुराने लोग भी नही बच पाए।
एक पुराने शायर इब्राहिम ज़ौक ने इन गलियों के बारे में लिखा है ।
इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी कद्र ए सुखन ।
पर कौन जाएं ज़ौक दिल्ली की गलियां छोड़ कर
पुरानी दिल्ली के पुराने घर अभी भी आपका ध्यान अपनी ओर खींचते है । अभी भी गलियों में होने वाली हसी ठिठोली
वो मसाले की खुसबु , वो लजीज खाने की महक , वो लोगो का जमघट , क्या दौर रहा होगा जब ये गलियां और भी रंगीन हुआ करती थी ।
चलिए आज कुछ पुरानी गलियों की तरफ चलते है ।
क्या पता खोया बचपन ही मिल जाए ।
कासिम गली ( बल्लीमारान ) – ये वो इलाका है। जहा कभी मशहूर शायर मिर्जा गालिब रहा करते थे । आज यहां इनकी पुरानी हवेली है । जिसको अब एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है । हालाकि अब यहां थोक के भाव में जूतों का कारोबार होता है । ये पुरानी दिल्ली की सबसे मशहूर गली में से एक थी । मिर्जा गालिब ने अपनी ज़िंदगी में अंतिम दिन यही इसी गली में बिताए। वो भी इन गलियों का मोह छोड़ नही पाए ।
दरिबा कला – ये भी पुरानी दिल्ली की मशहूर गली हुआ करती थीं । यहां पर दूर दराज से देश दुनिया की महिलाए
चांदी के जेवरात की खरीदी के लिए आया करती थी ।
अभी भी यहां चांदी का काफी कारोबार होता है।
चांदी के आभूषणों के अलावा चांदी की मूर्तियां भी मिलती हैं। शादी ब्याह में काम आने वाले सभी प्रकार के आभूषण आपको यहां मिल जायेंगे ।
परांठे वाली गली – खाने पीने वाले लोग इस गली को कैसे भूल सकते हैं। यहां तरह तरह के परांठे और लस्सी आपको मिल जायेगी। यहां के खाने की बात ही कुछ और है ।
आपकी पुरानी दिल्ली की यात्रा इस गली में से बिना कुछ खाए बिना पूरी नही हो सकती । खाने के शौकीनों के लिए तो ये गली स्वर्ग है ।
इमामिया गली – जब मुगल काल में शाही इमाम के पूर्वज दिल्ली आए तो वो इसी गली में रहे । बाद में इम्माम साहब के परिवार के लोगो की वजह से इस गली को गली इमामिया
या इमाम गली पड़ गया।
गली इमलिया – कहते है पुरानी दिल्ली में पहले एक छोटी पहाड़ी भी हुआ करती थी । इसी छोटी पहाड़ी पर एक इमली का पेड़ भी था इसी पहाड़ी की ढलान पर एक गली थी ।
जिसे इमलिया गली बोला जाता था। अब न तो पहाड़ी है ।
और शायद न ही कोई इमली का पेड़ बचा है । लेकिन नाम अभी भी इमलिया गली ही है ।
सिंगा वाली गली – कहते है कभी इस गली में एक हकीम रहा करते थे । वो काफी मशहूर थे । अपने अनूठे अंदाज से इलाज करने के लिए । वो लगभग सभी प्रकार के इलाज बकरी के एक सिंग से करते थे । उन्ही हकीम के नाम पर इस गली का नाम सिंगा वाली गली पड़ा ।
अखाड़े वाली गली – जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है ।
कभी इस गली में दर्जनों अखाड़े हुआ करते थे । देश दुनिया के पहलवान यहां कुश्ती के दाव पेंच सीखने के लिए आया करते थे। हालाकि अब यहां इतने ज्यादा अखाड़े तो नही बच
पाए है । पर हा अभी भी कुछ पहलवान इस गली में रहते है ।
तथा अपना अखाड़ा चला रहे है । अब तो अखाड़ों की जगह जिम ने ली है ।
मशालची गली – इस गली में मुगल दरबार के शाही पकवान बनाने वाले रहा करते थे । अभी भी कुछ पुराने खानदानी खानसामे यहां रहा करते है। अपनी विरासत बचा कर सहेज कर रखे हुए है । मगर वो मुगल काल की बात तो नही रही ।
लेकिन गली का नाम अभी भी मसलची गली ही है ।
दिल्ली घराने की गली – गीत संगीत की दुनिया में दिल्ली घराने की अपनी अलग ही जगह थी । इस गली में कभी
संगीत की स्वर लहरियां सुनाई पड़ती थी। यहां लगभग सभी प्रकार के संगीत वाद्य यंत्र मिल जाया करते थे । तथा यहां पर इन्हें बजाने की कला भी सीखी जा सकती थी ।
अब तो हालाकि न वो गाने वाले रहे न बजाने वाले ।
लेकिन ये गली अभी भी जीवित है । और और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है ।
इन गलियों का अपना ही इतिहास हैं। और मैं दावे के साथ कह सकता हु की अगर आप कहते है की अपने दिल्ली देखी है। लेकिन यदि आप पुरानी दिल्ली की भूल भुलैया सरीखी गलियों में नही घूमे है । तो आपकी दिल्ली की यात्रा पूरी नही हो सकती । ये शहर न जाने कितनी बार उजड़ा लेकिन लेकिन बस गया इन गलियों ने अपने अस्तित्व को बचा कर रखा । ये सिर्फ गलियां भर नही है । चलता फिरता , जीता जागता इतिहास हैं ।
तो बस एक शेर के साथ अपनी बात खतम करूंगा।
""दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है
जो भी गुज़रा है उसी ने लूटा है ""
तो आप कब आ रहे हो पुरानी दिल्ली की इन गलियों में ।