इन दिनों पूरे देश में बागेश्वर धाम और वहां के महंत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चर्चा जोरों पर है। मोबाइल हो या टीवी चैनल हर ओर इस स्थान को लेकर बहस छिड़ी है। पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया में बागेश्वर धाम की चर्चा थी, लेकिन नागपुर विवाद के बाद इस चमत्कारिक पवित्र जगह की जिरह हर जुबान पर है। इस चर्चा के बीच मंदिर पहुंचने वाले भक्तों की भीड़ भी बढ़ती जा रही है। देश भर से श्रद्धालु चमत्कारिक बाला जी महराज की मूर्ति के समक्ष शीश झुकाना चाह रहा है। चलिए आपको बागेश्वर धाम की यात्रा पर ले चलते हैं। वहां की अधिक से अधिक जानकारी साझा करने की कोशिश करते हैं। ताकि भविष्य में कभी यात्रा का मन बनाए तो किसी तरह की परेशानी न उठानी पड़े।
कहानी बागेश्वर धाम की
गढ़ा गांव के उत्तरी छोर पर एक छोटी सी पहाड़ी में बाला जी सरकार का मंदिर बना है। गांववालों के अनुसार 1987 धीरेंद्र कृष्ण के दादा जिन्हें वह दादा गुरू भगवान दास गर्ग के नाम से पुकारते हैं उन्होंने मंदिर की बागडोर संभाली। कुछ समय बाद गांववालों कीमत मदद से दादा गुरू ने एक यज्ञ कराया। जिसमें आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग एकत्र हुए। वह धाम में छोटा सा दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं का निवारण करते थे। 2016 में मंदिर की बागडोर धीरेंद्र कृष्ण ने संभाली। उन्होंने सोशल मीडिया का मदद से बागेश्वर धाम के चमत्कारों का खूब प्रचार किया। धीरे धीरे उनके दरबार और कथाओं की चर्चा आम हो गई।
कैसा है बागेश्वर धाम
छतरपुर जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर गढ़ा गांव स्थित बागेश्वर धाम की महिमा किसी से अब छिपी नहीं है। वैसे तो गढ़ा गांव अभी भी विकास से दूर है। मंदिर जाने का रास्ता गांव की गलियों से होकर गुजरता है। जो संकरा और कच्चा भी है। जिसमें हर समय वाहनों की लंबी कतार लगी रहती है। मंगलवार और शनिवार के दिन भीड़ अधिक होने पर ज्यादातर वाहनों को पुलिस मंदिर से दो किलोमीटर दूर गांव के पहले रोक देती है। ख्याति के साथ मंदिर का विकास भी तेजी से हो रहा है। छोटे से मंदिर को विशालकाय टीन शेड से आच्छादित कर दिया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गेट और सीढ़ी से वैरीकेटिंग और स्टील रेलिंग लगी है, जिसमें श्रद्धालुओं ने असंख्य मन्नत के नारियल लाल, काले और पीले कपड़े में बांध रखे हैं। मंदिर में संन्यासी बाबा की समाधि और अलग एक मंदिर में मूर्ति स्थापित है।
कैसे लगती हैं अर्जी
बागेश्वर धाम में अर्जी घर से या मंदिर पहुंचकर लगाई जा सकती है। मंदिर में एक लाल कपड़े में बंधे नारियल को बाला जी महराज के दर्शन उपरांत मंदिर में कहीं पर बांध देते हैं। मन्नत मानते हैं हे प्रभू मेरी समस्याओं का निवारण करो और अर्जी स्वीकारो। यहां पर टोकन व्यवस्था भी है। जो कि कई महीने तक फुल रहती है, इसकी जानकारी पोस्ट पर शेयर तस्वीर में लिखे नंबर से की जा सकती है। यहां पर लाल, पीला और काला कपड़े से बंधा नारियल मिलता है। मानना है कि लाल समस्याओं का, पीला शादी का और काला भूत प्रेत बाधा का होता है।
कैसे पहुंचे बागेश्वर धाम
बागेश्वर धाम जाने के लिए खजुराहो नजदीकी हवाई अड्डा है। जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन खजुराहो 12 किमी, छतरपुर 25 किमी. महोबा 70 किलोमीटर है। सड़क मार्ग खजुराहो - पन्ना रोड से गंज कस्बे से महज तीन किलोमीटर है। निजी वाहन के साथ यहां आटो टैक्सी और ई रिक्शा चलते हैं। रूकने के लिए गांव वालों ने अपने घरों में मामूली किराए पर होम स्टे की व्यवस्था की है। खाने के लिए छोटे छोटे होटल व चाय पकौड़ी की दुकानें हैं। बेहतर है कि रात वापसी हो जाए।