गंगोत्री धाम की हमारी यात्रा शुरू होती है बाडकोट से बारकोड हम यमुनोत्री यात्रा करने के बाद हम बरकोट में आकर रुके थे आज हमें यमुनोत्री के लिए जाना है बारकोड से यमुनोत्री के लिए कोई डायरेक्ट बस नहीं है यमुनोत्री जाने के लिए हमें सबसे पहले पढ़ उत्तरकाशी जाना पड़ेगा
उत्तरकाशी बड़कोट से लगभग 82 किलोमीटर की दूरी पर है और पहाड़ी क्षेत्र और छोटे रास्ते होने की वजह से या 82 किलोमीटर जाने में हमें लगभग 3:00 से 3:30 घंटे लगने वाले हैं बड़कोट में हमने शाम को ही बस का पता कर लिया था बस हमारे होटल के थोड़े से दूर पर ही खड़ी थी जो कि सुबह 6:30 बजे निकलने वाली थी सुबह हम जल्दी उठकर निकालना था हमने बस में पूरा हमारा सामान रख दिया और बस लगभग 15 मिनट बाद उत्तरकाशी के लिए निकल गई रास्ते में काफी छोटे बड़े कस्बे पड़ते हैं जहां से काफी लोग उत्तरकाशी के लिए जाते हैं क्योंकि उत्तरकाशी एक जिला है छोटे रास्तों से होते हुए पहाड़ों का खूबसूरत नजारे देखते हुए हम धीरे-धीरे धरासू बैंड होते हुए उत्तरकाशी पहुंच गए कुछ उत्तरकाशी की खूबसूरत तस्वीरें लेते हुए हम वहां पहुंचे रास्ते में बस कहीं पर भी चाहे नाश्ते के लिए नहीं रुकती है अगर अपन खुद से बोलो ड्राइवर साहब को की गाड़ी रोक दो तो वह रोक देते हैं उत्तरकाशी गंगोत्री यात्रा का एक मुख्य पड़ाव है क्योंकि हम चार धाम की यात्रा कर रहे थे तो हम यमुनोत्री बड़कोट होते हुए हम उत्तरकाशी पहुंचे थे जो लोग सीधे गंगोत्री आना चाहते हैं वह हरिद्वार से सीधे बस लेकर भी उत्तरकाशी पहुंच सकते हैं उत्तरकाशी से आगे कोई भी बस नहीं जाती है केवल बस उत्तरकाशी ताकि आती है इसके बाद शेयरिंग टैक्सी सुमो बोलेरो से जाना पड़ता है
उत्तरकाशी पहुंचने पर बस वाले कंडक्टर भैया ने हमें बताया कि 500 मीटर आगे चलने पर गंगोत्री जाने वाली सुमो बोलेरो वाला टैक्सी स्टैंड है यहां से आगे कोई भी बस नहीं जाती है बॉस सीजन के समय चलती भी है लेकिन हम अगस्त के टाइम गए थे उस समय थोड़ा ऑक्सीजन चल रहा था तो आगे बसे नहीं जा रही थी केवल गंगोत्री जाने का साधन था बुलेरो से वह भी शेयरिंग में या पर्सनल बुक भी कर सकते हैं
उत्तरकाशी टैक्सी स्टैंड पर यूनियन चलती है यहां पर जब तक एक गाड़ी पूरी फुल नहीं हो जाती तब तक कोई भी गाड़ी गंगोत्री के लिए नहीं जाती है एक सवारी भी कम रहने पर वह दो 2 घंटे तक रूकती है एक सवारी फुल होने के बाद ही गाड़ी गंगोत्री के लिए जाती है हमारी गाड़ी में पूरी सवारी फुल हो चुकी थी हम गंगोत्री के लिए निकले गंगोत्री के लिए जैसे निकलते हैं रास्ते में काफी सारे गांव पड़ते हैं जैसे मनेरी भटवारी आंधी और रास्ते में जगह-जगह पर सेब की दुकानें लगी हुई मिलती है काफी जगहों पर ड्राइवर गाड़ी रोकते हैं जहां से आप सेब आदि खरीद सकते हैं और चाय नाश्ते के लिए भी गाड़ी रोकते हैं गंगोत्री जाने वाला रास्ता काफी खूबसूरत है
गंगोत्री मार्ग पर ही गंगनानी नाम का एक स्थान है जहां पर गर्म पानी का कुंड है गंगनानी के बारे में मैं गंगोत्री से वापस आते समय वाली यात्रा में बताऊंगा
जब हम उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए निकले तब बढ़िया धूप खेल रही थी कुछ ही समय हम आगे गए तो पहाड़ों में पहुंचते ही घने बादलों ने पहाड़ों को घेर लिया और छिटपुट बारिश शुरू हो गई लगभग 3 घंटे आगे बढ़ने के बाद हम सुक्की नाम के गांव जहां पर काफी घुमावदार रास्ते और चढ़ाई है वहां पर पहुंचे उसके थोड़ी पहले ही तेज बारिश शुरू होने लग गई हमारे देख बुलेरो के ऊपर ही केबिन में रखे हुए थे गाड़ी वाले भैया ने गाड़ी रोकी और सभी लोगों के बैक के ऊपर त्रिपाल बांधा
त्रिपाल बांधने के बाद हमारी गाड़ी निकल चुकी थी गंगोत्री की ओर काफी तेज बारिश हो रही थी और काफी घुमावदार रोड भी शुरू हो गया था और भाई भी तेज थी काफी जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ था जिसकी मरम्मत का काम भी चालू था काफी समय उस घुमावदार रास्ते से होते हुए हम पहुंचे सुखी गांव जहां पर गाड़ी वाले भाई साहब ने चाय नाश्ते के लिए गाड़ी रोकी थी वही एक दुकान पर से भी मिल रहे थे मैंने से बड़े भैया से रेट पूछा तो उन्होंने बताया ₹90 किलो जो कि बहुत ज्यादा था ₹90 किलो तो उस समय हमारे शहर में भी सेब का रेट था और सुख की तो जहां सेब के बगीचे है और जहां सेब का उत्पादन होता है वहां भी ₹90 की दूरी थी तो हमने वहां से सेव नहीं खरीदें आधे घंटे रेस्ट करने के बाद हमारी गाड़ी निकली गंगोत्री के लिए
सुखी विलेज के बाद में हरसिल मिलता है हरसिल से आगे धराली और भैरव घाटी होते हुए हम गंगोत्री धाम पहुंचते हैं भैरव घाटी लंका ब्रिज के पास से ही गरतांग
गली के लिए जाते हैं वह मैं वापसी यात्रा में बताऊंगा हम अंधेरा होने के पहले ही गंगोत्री धाम पहुंच चुके थे सुख की विलेज के बाद का जो रास्ता है वह काफी खूबसूरत है हरे भरे पहाड़ नीला आसमान और पहाड़ों की चोटी पर जमा हुआ थोड़ा थोड़ा बर्फ काफी खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है
गंगोत्री धाम पहुंचकर हमने रूम की तलाश की रूम में ₹2000 का मिला हम लोग अंधेरा होने के पहले ही पहुंच चुके थे इसलिए हमने रूम बुक किया और रूम में हमारा सामान रखा और फ्रेश हुए क्योंकि ठंड तो बहुत ज्यादा थी गरम पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए हम गरम पानी की तलाश में नीचे होटलों में पता करने के लिए गए पता चला कि ₹50 बाल्टी के हिसाब से गर्म पानी मिलेगा हमने चार बाल्टी गर्म पानी लाया और नहाया और हमारे पास काफी समय था इसलिए हम शाम में ही मां गंगा के दर्शन करने के लिए पहुंच गए अगस्त का महीना था इसलिए भीड़भाड़ काफी कम थी थोड़ी देर में हमने मां गंगा के दर्शन किए पूजन पाठ किया उसके बाद हम गंगा नदी के किनारे पहुंचे वहां से दिखने वाला नजारा बहुत ही मनमोहक है गंगोत्री धाम पहुंचकर मान एकदम शांत एवं प्रफुल्लित हो जाता है गंगा के दोनों तरफ मंदिर बने हुए हैं मंदिर और काफी सारी धर्मशाला और होटल आदि बने हुए हैं बजट होटल भी मिल जाते हैं लेकिन थोड़ी सुविधा कम होती है हजार रुपए 1500 2000 में काफी अच्छे होटल में मिल जाते हैं खाने के लिए यहां पर भी 1:30 ₹100 थाली से ₹300 थाली तक भोजन अच्छा मिल जाता है
मां गंगा का दर्शन पूजन करने के बाद हमने गंगाजल लाया और अपने होटल पहुंच गए थोड़ी देर आराम किया उसके बाद हम भोजन करने के लिए नीचे आए जहां पर हमने ₹200 थाली में पेट भर और अच्छा भोजन किया भोजन करने के बाद एक बार फिर हम रात में मंदिर घूमने के लिए और आसपास की दुकानें मार्केट घूमने के लिए पहुंचे ज्यादा तो कुछ है नहीं घूमने के लिए लेकिन शाम के समय थोड़ी चहल-पहल जाती थी और ठंड भी बहुत अधिक थी थोड़ी देर घूमने के बाद हम रूम में आकर सो गए अगले दिन हमें गरतंग गली और हरसिल के लिए निकलना था आगे की यात्रा हरसिल और गर्दन गली वाले ब्लॉक में