जोशीमठ शहर के निवासियों ने भूस्खलन में वृद्धि और उत्तराखंड के पहाड़ी शहर में सैकड़ों घरों में दरारें आने की सूचना दी है, जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना और अन्य सभी निर्माण कार्यों को रोकने के आदेश जारी किए हैं। हेलंग बाईपास रोड सहित क्षेत्र में सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है। एशिया के सबसे लंबे रोपवे में से एक औली रोपवे का संचालन भी रोक दिया गया है।
दहशत में है लोग
जोशीमठ में कथित रूप से निर्माण गतिविधि के कारण घरों में खतरनाक दरारें पड़ने से निवासी दहशत में हैं। गुरुवार को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (जेबीएसएस) के बैनर तले कई स्थानीय लोगों ने दिन भर विरोध प्रदर्शन किया। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर शाम चार बजे तक यातायात बुरी तरह प्रभावित रहा, जिससे पर्यटक फंसे रहे। स्थानीय लोगों ने शहर से तत्काल निकासी और एनटीपीसी के निर्माण कार्य को रोकने की मांग को लेकर मार्च निकाला।
बाद में चमोली जिला प्रशासन ने जलविद्युत परियोजना से संबंधित निर्माण कार्य और यहां तक कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाए जा रहे हेलंग बाईपास पर भी रोक लगाने का आदेश देकर प्रदर्शनकारियों को शांत किया।
जोशीमठ में ऐसा क्यों हो रहा है, 2 बड़ी वजहें
पहला: NTPC की हाइडल प्रोजेक्ट की सुरंग और चारधाम ऑल-वेदर रोड निर्माण को इन हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सुरंग में मलबा घुस गया था। अब सुरंग बंद है। प्रोजेक्ट की 16 किमी लंबी सुरंग जोशीमठ के नीचे से गुजर रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि संभवत: सुरंग में गैस बन रही है, जो ऊपर की तरफ दबाव बना रही है। इसी कारण जमीन धंस रही है।
दूसरा: जोशीमठ का मोरेन पर बसा होना।
क्या होता है मोरेन?
जोशीमठ मोरेन के ऊपर बसा नगर है। मोरेन वो जगह है जहां ग्लेशियर होता है। ग्लेशियर के ऊपर लाखो टन मिट्टी और चट्टानें भी होती है। लाखों साल की प्रक्रिया के बाद ग्लेशियर की बर्फ पिघलती है और ग्लेशियर पीछे की ओर खिसक जाता है। लेकिन मिट्टी पहाड़ बन जाती है। यही पहाड़ मोरेन कहलाता है। जोशीमठ मोरेन पर है, तो वक्त के साथ खिसकेगा ही। परियोजनाओं ने इसकी रफ्तार बढ़ा दी है।
जमीन धंसने से क्या हो रहा है?
मकानों में दरारें आ गईं: जोशीमठ अलकनंदा नदी की ओर खिसक रहा है। जद में सेना की ब्रिगेड, गढ़वाल स्काउट्स और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की बटालियन भी है।
जोशीमठ का वजूद ही मिट सकता है: भूगर्भ वैज्ञानिकों ने चेताया है कि तत्काल निर्णायक कदम नहीं उठाया तो बड़ी आपदा आ सकती है। जोशीमठ का वजूद ही मिट सकता है।
सर्वे के लिए टीम गठित
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि जोशीमठ के हालात पर सरकार करीब से नजर रख रही है। वह खुद मौके पर हालाज का जायजा लेने जा रहे हैं। इसके अलावा भूकंप के अत्यधिक जोखिम को देखते हुए जोन-पांच में आने वाले इस शहर के सर्वे के लिए एक विशेष दल का गठन किया गया है।
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