पट्टाडकल मंदिरों का समूह मालाप्रभा नदी के किनारे पर है जो कर्नाटक में बादामी से 29 किमी दूर है | यहाँ पर आपको 10 मंदिर एक समूह में देखने के लिए मिलेगें| पट्टाडकल मंदिरों को यूनैसको ने विश्व विरासत धरोहर में शामिल किया है | चालुक्य राजाओं की वास्तुकला कला का अद्भुत नमूना है पट्टाडकल मंदिर समूह | मैंने पट्टाडकल मंदिरों को घूमने के लिए बादामी से ही आटो बुक कर लिया था कयोंकि इस क्षेत्र में पब्लिक ट्रासपोर्ट का कोई भरोसा नहीं है| आटो वाले ने मुझे पट्टाडकल मंदिर समूह के सामने उतार दिया| टिकट लेकर मैंने पट्टाडकल मंदिर समूह में प्रवेश किया| सबसे पहले एक विशाल गार्डन आता है जिसमें आपको दूर मंदिरों के विशाल समूह दिखाई देते हैं | मंदिरों की भव्यता बहुत खूबसूरत है| दूर से दिखाई देते मंदिर बहुत शानदार लग रहे थे| मैं धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था| पट्टाडकल मंदिरों के बारे में पहले से ही पढ़ कर गया था और टिकट काउंटर से भी मुझे पट्टाडकल मंदिरों के बारे में एक छोटी सी किताब मिल गई थी जिससे मुझे मंदिरों के बारे में जानकारी मिल रही थी| दोस्तों जब भी आप कोई हैरीटेज साईट पर जाते हो तो उसके बारे में थोड़ा जानकारी जरूर पढ़ कर जाए या वहाँ जाकर कोई किताब या गाईड जरूर करें जिससे आपको उस जगह का ईतिहासिक महत्व भी पता लग सकें| जैसे पट्टाडकल मंदिरों का समूह है | यहाँ पर आपको काफी मंदिर देखने के लिए मिलेगें| जिनके नाम निम्नलिखित अनुसार है|
जम्बुलिंग मंदिर
गलगनाथ मंदिर
संगमेश्वर मंदिर
काशी विश्वेश्वर मंदिर
मल्लिकार्जुन मंदिर
विरुपाक्ष मंदिर
पाप नाथ मंदिर
पट्टाडकल चालुक्य राजाओं की ताजपोशी वाली जगह थी | यहाँ पर चालुक्य राज्य वंश के शाही समारोह हुआ करते थे और राजाओं की ताजपोशी की जाती थी| पट्टाडकल मंदिरों के समूह को आप दो हिस्से में बांट सकते हो| जैसे कुछ मंदिरों की शैली उत्तर भारत के मंदिरों जैसी है और कुछ मंदिर दक्षिण भारत की शैली के लगते हैं| उत्तर भारत के मंदिरों में आपको शिखर डिजाइन देखने के लिए मिलेगा|
उत्तर भारत की शैली के मंदिर - जैसे ही आप पट्टाडकल मंदिर समूह में प्रवेश करते हो तो आपको सामने जम्बुलिंग मंदिर दिखाई देता है| यह घुमावदार शिकारा वाला छोटा सा मंदिर है| इस मंदिर की दीवार पर आपको भगवान विष्णु की आकृतियाँ देखने के लिए मिलेगी|
गलगनाथ मंदिर- थोड़ा आगे चलने पर आपको गलगनाथ मंदिर दिखाई देगा | इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ है| यह एक शिव मंदिर है | इसका शिखर उत्तर भारत मंदिर की शैली का है|
काशी विश्वेश्वर मंदिर - यह मंदिर भी शिखर वाला है | इस मंदिर की छत पर आपको शिव और पार्वती की आकृतियाँ देखने के लिए मिलेगी|
दक्षिण भारत कला मंदिर
संगमेश्वर मंदिर - यह मंदिर काफी पुराना है | इसका निर्माण चालुक्य वंश के राजा विजयादित्य के शाशन में हुआ है| यह द्रविड़ शैली में बना हुआ मंदिर है|
विरुपाक्ष मंदिर - यह पट्टाडकल मंदिर समूह के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है| इस मंदिर का निर्माण कांचीपुरम तमिलनाडु को जीतने की खुशी में राजा विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोका महादेवी ने 745 ईसवीं में करवाया था| यह शिव मंदिर है| मंदिर के प्रवेश के सामने नंदीमंदप बना हुआ है| पट्टाडकल मंदिर समूह में विरुपाक्ष मंदिर में पूजा होती है| इस मंदिर के सतंभों के ऊपर खूबसूरत कलाकारी की हुई है|
मल्लिकार्जुन मंदिर- यह मंदिर भी विरुपाक्ष मंदिर के साथ ही बना हुआ है| इस मंदिर को रानी त्रैलोक्य महादेवी ने बनाया है| यह मंदिर विरुपाक्ष मंदिर के साथ जुडवां मंदिर की तरह है| इस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है|
पापनाथ मंदिर- विरुपाक्ष मंदिर से एक रास्ता पापनाथ मंदिर की ओर जाता है| यह मंदिर आठवीं शताब्दी में बना हुआ है| इस मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ और नागर शैली का मिश्रण है|
मैंने तकरीबन दो घंटे लगाकर पट्टाडकल मंदिर समूह के दर्शन किए| चालुक्य राजाओं की वास्तुकला का अद्भुत नमूना अपनी आखों के सामने देखना हो तो आईए पट्टाडकल मंदिर समूह में| यहाँ के मंदिरों की वास्तुकला आपको अचंभित कर देगी|
कैसे पहुंचे- पट्टाडकल मंदिर समूह बादामी से 29 किमी दूर है| आप आटो बस या अपने साधन से यहाँ पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको बादामी बेहतर विकल्प है| बादामी में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐगे|