8 मई 2013 को ग्जोऐशन ( बी एस सी) की आखरी परीक्षा देने के पश्चात दिमाग को आराम और ताजगी देने हेतु "गुलाबी शहर जयपुर "जाने की योजना बनाई गई। भीष्म गरमी की परवाह किए बिना बैग में सामान डाला और 9 मई की रात को करीब 10 बजे बस लेकर चल पड़े।सुबह 7 बजे हम जयपुर थे। नाश्ता करने के बाद हम ने सब से पहले होटल में कमरा लिया। फिर निकल पड़े भ्रमण करने। राजपूत सवाई जै सिंह आमेर के शाशक थे और उन्होंने 1727 जयपुर की स्थापना की थी और उसे अपनी राजधानी बनाया। जयपुर एक ऐतिहासिक शहर जो राजस्थान की राजधानी और सब से बड़ा शहर हैं। ज्यादा इमारतों और घरों का रंग गुलाबी होने के कारण गुलाबी शहर से भी प्रसिद्ध है जयपुर।
हम मई 2013 में राजस्थान में जैपुर गए। भीषण गर्मी में गए थे, तब पंजाब में इतनी गर्मी थी तो राजस्थान में क्या होगा। जैसे-तैसे सोचते-2 चले गए। वहां जाकर हम तो अचम्भित हो गए, गर्मी की जगह बादल ओर हल्की बारिश थी। खुशगवार मौसम में जैपुर अच्छे से घूमा गया। जंतर मंतर देखते समय हल्की हल्की बारिश ने जंतर मंतर को ओर भी हसीन बना दिया था।
जयपुर के संस्थापक सवाई जै सिंह एस्ट्रोनॉमर मतलब खंगोलसास्त्री भी थे।
जयपुर में स्थित जंतर-मंतर एक ऐतिहासिक स्मारक है । भारत की पांच खगोलीय सरचना में से सबसे बड़ा है। जंतर मंतर का निर्माण 18वीं सदीं में करवाया गया था जिसके यंत्र आज भी काम कर रहे है। भारत के मुख्य आकर्षक स्थल होने के साथ साथ जंतर 2010 में विश्व विरासत धरोहर बना था।, जिस का ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्व भी है।
जंतर मंतर जयपुर के सिटी पैलेस के पास स्थित है। जंतर मंतर संस्कृत के शब्द जंत्र मंत्र से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘उपकरण’ और ‘गणना’ ।
मतलब जंतर मंतर का अर्थ है ‘गणना करने वाला उपकरण’।
खगोलशास्त्री महाराजा सवाई जयसिंह ने अंतरिक्ष और समय की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए 1724 से 1734 ई. के बीच जंतर मंतर बनवाया था। जिस के लिए सवाई जय सिंह ने विश्व के अलग-अलग देशों में से खगोल विज्ञान के प्रमुख ग्रंथों की पांडुलिपियां एकत्र की थी, जिन का अध्ययन किया और फिर जिसके बाद प्रसिद्ध खगोल शास्त्रीयों की मदद से हिंदू खंगोल शस्त्र के अनुसार भारत के जयपुर, दिल्ली, बनारस, उज्जैन और मथुरा में 5 वेधशालाओं का निर्माण करवाया।
जयपुर के जंतर मंतर में कई बहुत सारे खगोल यंत्र भी मौजूद है। महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा बनाए पांच वेधशालाओं में से आज केवल दो जंतर मंतर जो दिल्ली और जयपुर के हैं वो ही बाकी बचे है, बाकी 3 खंडर बन चुके हैं।
जयपुर के जंतर मंतर की विशेषताएं निमानलिख्ति है:
1.जंतर मंतर का निर्माण समय मापने और ग्रहों व तारों की स्थिति जानने के लिए किया गया था। इसे अंतरिक्ष के अधियान के लिए भी बनाया गया था।
2.जंतर मंतर खगोलीय उपकरणों का संग्रह है, वर्तमान में भी इन उपकरणों का इस्तेमाल गणना और शिक्षण के लिए किया जाता है।
3.जंतर मंतर का इस्तेमाल निरीक्षण करने के साथ साथ सूर्य के चारों ओर कक्षाओं का अध्ययन करने के लिए भी किया जाता है।
4.जंतर मंतर लगभग 18,700 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
5.जंतर मंतर के निर्माण में संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
6. जंतर मंतर में समय, मौसम और अंतरिक्ष संबंधी सही भविष्यवाणी करने के लिए बहुत सारे उपकरणों का उपयोग किया गया है।
7.जंतर मंतर में 14 विशेष खगोलीय यंत्र हैं, जो कि तारे और गति की स्थिति जानने, समय मापने, मौसम की स्थिति जानने, आकाशीय ऊंचाई का पता लगाने और ग्रहण की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं।
8. जंतर मंतर में रखा राम यंत्र आकाश की ऊंचाई मापने का यंत्र है, वहीं सम्राट यंत्र से स्थानीय समय को 2 सेकंड की सटीकता तक मापा जा सकता है।
9.जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी है।जिसकी ऊंचाई 27 मीटर है।
10.आज हजारों साल बाद भी यहां के उपकरण सही तरीके से काम कर रहे हैं, मौसम सबंधी जानकारियां हासिल यहां के उपकरणों से की जाती है।
धन्यवाद।