भारत के क्षेत्रफल में सबसे बड़ा परदेश राजस्थान के बारे में सब जानते है, जो भारत की उत्तर पश्चिम सीमा पर स्थित थार मारूथल का सबसे ज्यादा हिस्सा समाए बैठा है। जब भी राजस्थान की बात आती है, तब दिमाग में रेत के टिब्बे, किले,तीखा खान-पान, संगीत, नाच, रंगीले लिबास तथा गौरवशाली इतिहास के विचार आते है।
क्यो कि पंजाब की सीमा राजस्थान से लगती है, इसलिए हमारे लिए राजस्थान जाना आसान है। बस या रेल द्वारा आसानी से राजस्थान के बड़े शहरों तक जाया जा सकता है।
अब आप सोच रहे होगे कि टाइटल तो आमेर का था, यह राजस्थान कहां से आ गया।
चलिए बता देते है यह आमेर राजस्थान को राजधानी गुलाबी शहर जयपुर से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर है। इसका अम्बर किला अपनी कालात्मिक शैली के लिए पर्याटकों की पहली पसंद है।
बात मई 2013 की है, जब ग्जोऐशन ( बी एस सी) की आखरी परीक्षा देने के पश्चात दिमाग को आराम और ताजगी देने हेतु "गुलाबी शहर जयपुर "जाने की योजना बनाई गई। भीष्म गरमी की परवाह किए बिना बैग में सामान डाला और 9 मई की रात को करीब 10 बजे बस लेकर चल पड़े।सुबह 7 बजे हम जयपुर थे। नाश्ता करने के बाद हम ने सब से पहले होटल में कमरा लिया। फिर निकल पड़े भ्रमण करने। ऑटो लेकर " अम्बर किला" देखने गए जो जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमेर में है।
राजपूत सवाई जै सिंह आमेर के शाशक थे और उन्होंने 1727 में जयपुर की स्थापना की थी।
जयपुर एक ऐतिहासिक शहर जो राजस्थान की राजधानी और सब से बड़ा शहर हैं।
आमेर का अम्बर किला विश्व विरासत जगह है जिस के साथ एक सुंदर झील है। यह किला ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है।जब हम किला देखने जा रहे थे तब हमें गाईड मिल गया जो पूरा किले देखने समय हमारे साथ रहा, हमें इस किले के बारे में साथ साथ बताता गया।गाइड ने हमें आमेर के इतिहास के बारे में बिताया।
गाईड ने बताया कि यह किला कछवाहा राजा मानसिंह ने बनाया था।
जय सिंह प्रथम ने इसका विस्तार किया। कछवाहा राजपूत राजाओं द्वारा आमेर दुर्ग में बहुत से सुधार एवं प्रसार किये गए। कछवाहा राजों का निवास स्थान भी यही किला था,
बादलों ने मौसम को खुशगवार बना दिया था।
इस किले के अंदर ही पर्यटकों के लिए बाजार भी लगता है, जहां पर सैलानी आर्कषक हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं।
राजस्थान के इस किले में बॉलीवुड और हॉलीवुड की बहुत सारी फिल्मों की भी शूटिंग भी हो चुकी है जैसे बाजीराव मस्तानी, शुद्ध देसी रोमांस, मुगले आजम, भूल भुलैया, जोधा अकबर आदि।
इस किले में रोजाना शाम को लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। यह शो आमेर के किले के खूबसूरत इतिहास एवं साहसी राजाओं के बारे में बताता है।
इस शो को देखने के लिए अलग से टिकट लेनी पड़ती है।
2013 में अम्बर किला को विश्व विरासत धरोहर घोषित किया गया। यह किला राजस्थान के प्रमुख और बड़े किलों में से एक है।
हिंदू-राजपूताना वास्तुशैली से बना यह किला कला का नायाब नमूना है।
अरावली पहाड़ी की चोटी पर राजा मान सिंह द्वारा निर्मित आमेर का किला राजस्थान के विशाल किलों में से एक है। सवाई जय सिंह दूसरा से पहले आमेर ही कछवाहा राज्यवंश की राजधानी था। सवाई जय सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी राजधानी आमेर से जयपुर को बना लिया था। आमेर के किले को पहले कदीमी महल के नाम से जाना जाता था, इसके भीतर शीला माता देवी का मंदिर भी है,जिसको राजा मान सिंह ने बनवाया था।
माना जाता है इस किले का नाम आमेर, भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर पर रखा गया था। पर कुछ लोग मानते हैं कि इस किले का नाम मां दुर्गा का नाम, अंबा से लिया गया है।
किले का मुख्य द्धार है, जिस को सूरपोल कहते है।
राजपूत राजाओं की कुल देवी शिला माता मंदिर किले के बिलकुल बीच में स्थापित है।
इस किले का निर्माण पीले, लाल बलुआ और संगमरमर के पत्थरों से किया गया है। किले के एक द्वार के ऊपर भगवान गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति है जिसे गणेश द्धार कहा जाता है।
आमेर किले के अंदर निम्नलिखित जगह देखने लायक है:
1.दीवान-ए-आम
2.सुख निवास
3.शीशमहल
4.गणेश पोल
5.चांद पोल दरवाजा
6.दिल आराम बाग
7.देवी शिला माता मंदिर
8.दीवान-ए-खास
कैसे जाए:
सड़क, रेल और वायु तीनों मार्गों से जयपुर देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जयपुर से आमेर 11 किलोमीटर की दूरी पर है।
जयपुर एयरपोर्ट से आमेर की दूरी 27 किलोमीटर है।